Noida News : अभी तक तो मुन्नी ही बदनाम हुई थी अपने डार्लिंग (Darling) के लिए। पर अब यह क्या हो रहा है? कौन किस-किस को समझाए? और बताए कि मैं जिसके साथ आ रही थी वह रैपीडो (Rapido) वाला था। मेरा डार्लिंग नहीं था। फरवरी का महीना पहली फरवरी से 14 तक हर दिन बदनाम कहने वाले तो यह भी कहने लगे हैं कि इन दिनों में छोरियां लूट-लूटकर खा जाती हैं छोरों को। पर य़ह भी पूर्ण सत्य नहीं है। क्योंकि आज महिला सशक्त है। कामकाजी है। इसलिए उनको भी हर रोज ही आना-जाना होता है। बचत तो हर कोई चाहता है ना। इसलिए अब छोरियों को भी आना-जाना पड़ता ही है रैपीडो से। बचत तो है ही। पर यह जो मुफ्त की बदनामी इसका क्या?
कुछ ना कुछ तो करना ही होता है
कुछ छोटी सोच फालतू दिमाग के लोगों के हाथ तो जैसे बटेर या लॉटरी ही लग गई है। हर महिला को ही सर्टिफिकेट देने लगे हैं। यह किसके साथ उतरी थी? यह किसके साथ जा रही थी? ख़ामख्वाह ही बदनाम हो रहे हैं। रैपीडो तेरे लिए लगभग नोएडा के सभी सेक्टरों में लोगों ने अपने व्यवसाय के लिए गल्र्स पीजी खोलें हुए हैं। इस बात को लेकर हमें कोई शिकायत भी नहीं है। क्योंकि व्यवसाय करने का हक सबका है। जीने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही होता है। ऐसे में कुछ लोग अपने घर में इस व्यवसाय को खोले हुए हैं और व्यर्थ इन फालतू शोहदों का तनाव झेल रहे हैं।
अब इसमें कसूर किसका है?
चर्चा इस बात की नहीं है कि आज बेटी तनाव का कारण नहीं बल्कि शान है? पीजी (PG) में रहने वाली लड़कियां क्योंकि परिवार से अलग हैं। अत: उन्हें तो कोई भी सर्टिफिकेट दे ही सकता है। लेकिन फरवरी माह में कुछ ज्यादा ही अफवाह उडऩे लगी हैं। कारण उनका हर समय, हर रोज, कभी-कभी दिन में कई कई बार अलग-अलग लडक़ों के साथ मोटरसाइकिल पर बैठकर आना जाना हो ही जाता है। मोहल्ले में, पार्कों में, महिलाएं सीनियर सिटीजन, आमजन इस बात पर चर्चा करते नजर आते हैं। पता नहीं किन 2 घरों की हैं रोज ही नए-नए लोगों के साथ यह लड़कियां आ जा रही होती हैं। पीजी वाले भी क्या करें? उनकी इनकम भी यही है। चुप से रह जाते हैं। धीरे से कभी कभी कह भी देते हैं कि बेटा पैसे भी खर्च कर लिया करो आप कमाती हो? अपने लिए, सही आने जाने का साधन ढूंढो? तब लड़कियां। बुरा मान जाती हैं? किसके साथ आ रहे हैं रैपीडो में आ रहे हैं। अब इसमें कसूर किसका है? बेटियों का या इस कंपनी का हम सभी देखते हैं कि कुछ कंपनियां अपने स्टाफ को उस कंपनी के नाम की टी शर्ट देते हैं या टोपी देती हैं जिसको पहनना या लगाना लाजमी होता है। अब क्योंकि यह सर पर हेलमेट लगाएंगे तो इनको टी-शर्ट तो दी जा सकती है? कब समझ आएगी इस कंपनी को य़ह बात लड़कियों की नेक नामी को बढ़ाकर ही चैन आएगा? समझदारी करना तो बनता ही है न? या तो रैपीडो सिर्फ पुरुषों के लिए हो जाये न बदनामी का डरना न कंपनी को घाटा। वरना इस तरह की बदनामी कौन औढ़ेगा आखिरकार लड़कियों को ही बदलना होगा न? कि चलो थ्री व्हीलर या कैब को ही डबल दाम दे देंगे। लेकिन हम बेवजह इस कंपनी के कर्मी के साथ आवागमन करके बदनाम नहीं होंगे। पर ऐसा करने से बात बनती नहीं है। तनख्वाह तो उतनी ही है जीना खाना निभाना भी उसमें ही अब कुछ लडकियों को तो दिन में तीन-तीन चार बार जाना पड़ता है जैसे कि मार्केटिंग की महिलाओं को मीटिंग करने जाना होता है।
छोरियां तो बदनाम हो रही हैं
कैब, ऑटो इन सबसे सस्ती रैपीडो पड़ती है। पर रैपीडो में जाओ और मुफ्त की बदनामी और साथ में ले आओ। भाई इस छोरी को तो चैन ही नहीं है? दिन में चार-चार लडक़ों के साथ घूमती है। अत: कंपनी मेरे इस लेख पर विशेष ध्यान दें और जल्दी से जल्दी अपने सब बाइक चलाने वाले बाइकर्स को अपनी कंपनी की ब्रांडेड शर्ट पहनावाए और लड़कियों को भी अपनी सुविधा का पूरा-पूरा लाभ उठाने का मौका दें। नहीं तो हाल वही हो रहा है कि आज तक जिनकी कोई भी नहीं सुनता था लोग उनकी भी सुनने लगे हैं। बात ही रसीली है लेकिन छोरियां तो बदनाम हो रही हैं न। कंपनी को चाहिए कि अपने राइडर्स को ब्रांडेड शर्ट जिस पर रैपीडो सर्विस लिखा हो। फरवरी जाते-जाते पहना ही दें ताकि काली जबान वालों को फिर से लोग सुनना बंद कर दें। Noida News :
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