Noida News : हैसिंडा प्रोजेक्ट्स की सेक्टर-107 स्थित लोटस 300 सोसाइटी में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारी घिर रहे हैं। पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह के ठिकानों पर छापेमारी व पूछताछ के बाद ईडी ने पूर्व सीईओ रमारमण को भी जांच के दायरे में ले लिया है। लखनऊ में कई घंटे पूछताछ हुई है।
जांच में परियोजना में फंड डायवर्जन की बात सामने आई
ईडी सूत्रों की मानें तो अब तक की जांच में परियोजना में फंड डायवर्जन साफ हो चुका है। अब आगे फ्लैट खरीदारों व जमीन बेचकर जो 190 करोड़ रुपये निकाले गए उनका पता लगाया जा रहा है। तस्वीर तकरीबन साफ हो गई है कि अगर प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारी हैसिंडा प्रोजेक्ट्स प्रा.लि. पर मेहरबान न होते तो फंड डायवर्जन आसान नहीं था। आगे जांच में एक और पूर्व सीईओ व दो प्लानिंग विभाग के अधिकारियों के नाम आ रहे हैं।
निवेशकों से मिले 190 करोड़ रुपये का फंड भी डायवर्ट कर दिया
हाईकोर्ट के आदेश के बाद लोटस-300 सोसाइटी परियोजना में फंड डायवर्जन की जांच ईडी ने मई 2024 में शुरू की थी। जांच में सामने आया है कि हैसिंडा प्रोजेक्ट्स प्रा.लि. के नाम पर 69,942 वर्गमीटर जमीन अथॉरिटी से आवंटित की गई। इसमें से 27, 942 वर्ग मीटर जमीन हैसिंडा प्रोजेक्ट्स ने सहयोगी कंपनी थी सी रियल्टर्स को 2 फरवरी 2012 को बेची। तब इसको अनुमानित कीमत करीब 236 करोड़ रुपये थी। नोएडा प्राधिकरण को जमीन का बकाया नहीं दिया। प्राधिकरण के अधिकारियों ने जमीन की इस बिक्री को मंजूरी ही नहीं दी, बल्कि बची जमीन पर बकाया मिले बगैर संशोधित लेआउट भी पास कर दिया। इस मूक सहमति से बिल्डर फेड डायवर्जन करने में कामयाब रहे। लोटस 300 परियोजना में फ्लैट खरीदारों जमीन बेचने से आया पैसा डायवर्ट होने से परियोजना फंसी। फ्लैट खरीदारों को भटकना पड़ा। ईओडब्ल्यू व अन्य जांच के आधार पर निदेशालय ने तय किया है कि इस तरह बिल्डर कंपनी और उसके निदेशकों ने आपराधिक षड़यंत्र करते हुए निवेशकों से मिले 190 करोड़ रुपये का फंड भी डायवर्ट कर दिए। ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट को पूरा न हो पाने की स्थिति में छोड़ दिया।
हाईकोर्ट ने बताया था ठगी का नायब उदाहरण
लोटस 300 सोसाइटी केटरी रजिस्ट्री के लिए हाईकोर्ट पहुंचे थे। पक्ष रखने पर हाईकोर्ट ने पूरा प्रकरण 20 फरभी 2024 को उदाहरण है। इसके साथ ही नोएडा प्राधिकरण को फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री कराने और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को जांच खरीदारों के कर परियोजना में खरीदारों के पैसे का पता लगाने को कहा था। इसके बाद इंडी ने छापेमारी यह और जांच शुरू की। प्रकरण सुप्रीम कोर्ट गया, यहां से बिल्डरों को आखिर में कोई राहत नहीं मिली थी। इसके बाद से ईडी की जांच जारी है। Noida News
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