Noida News : मानसून आने में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है लेकिन नोएडा प्राधिकरण की तैयारियों की हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। CEO लोकेश एम. ने नालों की समय से सफाई के स्पष्ट निर्देश दिए थे मगर जमीनी सच्चाई कुछ और ही है।
हालात बेहद चिंताजनक
भंगेल, सलारपुर और बरौला गांव के पीछे बहने वाले नालों के हालात बेहद चिंताजनक हैं। नाले प्लास्टिक, पॉलीथिन और कचरे से पूरी तरह जाम हैं। हैरानी की बात ये है कि इन नालों में छोटे बच्चे प्लास्टिक बीनते दिखे, जो न सिर्फ प्रशासनिक उदासीनता को उजागर करता है बल्कि मासूम जिंदगियों को खतरे में डालता है।
हरौला में भी गंदगी, बदइंतजामी और डर
सेक्टर-5 स्थित हरौला गांव की स्थिति भी इससे बेहतर नहीं। यहां मंदिर के सामने बह रहा खुला नाला स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत बन चुका है। स्थानीय निवासीृियों ने बताया कि, कई बार मवेशी और राह चलते लोग इसमें गिर चुके हैं। बरसात में हालात और बदतर हो जाते हैं लेकिन शिकायतों के बावजूद कोई स्थायी समाधान नहीं मिला। स्थानीय निवासी ने बताया कि, “हमारा घर नाले से सटा है और उसकी दीवारें कभी भी गिर सकती हैं। शिकायतें देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर जल्द सफाई और मरम्मत नहीं हुई तो इस बार मानसून की पहली बारिश ही प्राधिकरण की पोल खोल देगी।”
कहीं सफाई, कहीं अनदेखी
हालांकि सेक्टर-37 स्थित बोटेनिकल गार्डन के पास सफाई का कार्य मशीनों से किया जा रहा है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ये सिर्फ दिखावा है। जहां सच में जरूरत है, वहां अब भी नजरअंदाज किया जा रहा है।
समय की होड़ में प्राधिकरण
भारत मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, इस साल मानसून 15 दिन पहले ही दस्तक दे चुका है। मुंबई की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब पूरे उत्तर भारत में भी बहुत जल्द बारिश शुरू हो जाएगी। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या नोएडा प्राधिकरण इतने कम समय में नालों की सफाई पूरी कर पाएगा? या फिर इस बार भी शहर जलभराव का सामना करेगा और आम नागरिक लापरवाही की कीमत भुगतेंगे ? Noida News
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