Monday, 6 May 2024

GHAZIABAD KHAS: बनी पुलिस कमिश्नरी, बढ़ी मुसीबत

GHAZIABAD KHAS:  गाजियाबाद। जिले में पुलिस कमिश्नरी बनने का फायदा लोगों को मिलेगा ऐसा सोचना सरकार का है। फिलहाल, जो…

GHAZIABAD KHAS: बनी पुलिस कमिश्नरी, बढ़ी मुसीबत

GHAZIABAD KHAS:  गाजियाबाद। जिले में पुलिस कमिश्नरी बनने का फायदा लोगों को मिलेगा ऐसा सोचना सरकार का है। फिलहाल, जो देखा जा रहा है पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद आम लोगों क्या खास लोगों तक की भी मुसीबतें बढ़ गयी है। एक—एक काम के लिए लोगों को कई चक्कर काटने पड़ रहे हैं। दूसरी ओर, यह कहने में कोई कोताही नहीं है कि उत्तर प्रदेश के सात जिलों में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लिटमस टेस्ट तो नहीं है।

GHAZIABAD KHAS

आपको किसी उत्सव, महोत्सव, रैली, सभा करने के लिए परमिशन लेनी है तो इसके लिए आपको कई चक्कर लगाने पड़ेंगे। कुछ लोग इस चक्कर—दर—चक्कर को झेल रहे है। मसलन, पहले जिलाधिकारी के यहां आवेदन करने पर उसी दिन अथवा अधिकतम दूसरे दिन यह अनुमति मिल जाती थी। लेकिन, अब ऐसा नहीं है। एक परमिशन के लिए कई—कई दिन लग जाते हैं और इसके लिए कई—कई चक्रमण करना पड़ता है।
बात करें क्राइम कंट्रोल की, तो उसका रेसियो घटने की बजाय बढ़ा ही है। पुलिस कमिश्नरी बनने का हौव्वा कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है। पुलिस कमिश्नरी बनने का भय बदमाशों में तो बिल्कुल ही नहीं है। अगर यह कहें कि उनका हौसला बढ़ा है तो कोई गलत नहीं है। पुलिस कमिश्नरी बनने के बाद लोगों को लगता था कि क्राइम पर लगाम लगेगी लेकिन, सब पानी का बुलबुला साबित हो रहा है।

बता दें, गाजियाबाद, गौतमबुद्वनगर समेत लखनऊ, कानपुर, वाराणसी में भी पुलिस कमिश्नरी सिस्टम परवान नहीं चढ़ पा रहा है। गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरी बनने से पहले पूरे जिले में 5000 पुलिस कर्मी थे। बाद में कमिश्नरेट बनने पर 1500 पुलिस कर्मी और बढ़ गए। बात यहीं पर खत्म नहीं होती। पुलिस विभाग के कारखासों के मुताबिक, पुुलिस कर्मियों की संख्या अभी 2000 और बढ़नी है।

सबसे खासमखास तो यह है कि उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रह चुके एक अधिकारी ने तो दो लाइनों में सपाट कहा, कमिश्नर प्रणाली लागू करना बड़ी बात नहीं, इसका सफल होना बड़ी बात है। यानि उनका यह संदेह साफ शीशे की तरह दिखने लगा है। कहा, कुल मिलाकर पुलिस कमिश्नरी बनने पर पुलिस की जवाबदेही बढ़ जाती है। असलियत में देखा जाए तो गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम सफलता की परवान नहीं चढ़ पा रहा है। अभी आगे देखिए होता है क्या।

 

जिलाधिकारी से छिने ये अधिकार कमिश्नर प्रणाली के बाद अब पुलिस को मिले ये अधिकार
धारा 144 व कर्फ्यू कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए अब पुलिस खुद धारा 144 व कर्फ्यू लगा सकती है।
धारा 151 (शांतिभंग) शांति भंग के आशंका के तहत किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर 14 दिनों के लिए जेल भेज सकती है पुलिस।
107/16 निरोधात्मक कार्रवाई का अधिकार पुलिस को मिला
गुंडा एक्ट व गैंगस्टर एक्ट, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम पुलिस इन मामलों में अब सीधे कार्रवाई कर सकेगी।
कारागार कारागार से जुड़े निर्णय लेने का अधिकार मिला।
गिरोहबंद अपराध और समाज विरोधी अधिकार पर कार्रवाई पुलिस इन मामलों में अब सीधे फैसले लेगी।
एनएसए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने का अधिकार मिला। इसके अलावा 15 अन्य अधिनियम के तहत कार्रवाई का अधिकार भी पुलिस को मिल गए हैं।
धरना प्रदर्शन धरना प्रदर्शन की अनुमति देने न देने का अधिकार मिला।
सरकारी गोपनीयता सरकारी गोपनीयता भंग करने वालों पर कार्रवाई पुलिस ऐसे मामलों पर सीधे कार्रवाई करेगी।

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