उत्तर प्रदेश में पीएम आवास योजना में गड़बड़ी, CAG ने उठाए गंभीर सवाल

सीएजी ने इसे डेटा की अशुद्धि या आंकड़ों में गड़बड़ी की ओर संकेत माना है। दिलचस्प यह भी कि ग्राम्य विकास विभाग ने अक्टूबर 2023 में स्वीकार किया था कि कई पात्र लाभार्थी गलती से स्थायी प्रतीक्षा सूची से बाहर हो गए थे।

उत्तर प्रदेश में PMAY-G पर CAG का बड़ा खुलासा
उत्तर प्रदेश में PMAY-G पर CAG का बड़ा खुलासा
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar25 Dec 2025 10:06 AM
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UP News : उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के क्रियान्वयन को लेकर सीएजी (CAG) की ताजा रिपोर्ट ने सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में योजना का लाभ सैकड़ों अपात्र लोगों तक पहुंच गया और मकान निर्माण के नाम पर करोड़ों रुपये जारी कर दिए गए। मामला यहीं नहीं रुका साइबर धोखाधड़ी के चलते 159 लाभार्थियों की 86.20 लाख रुपये की राशि उनके खातों में पहुंचने से पहले ही दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर होने की बात सामने आई है। विधानमंडल में बुधवार को पेश इस रिपोर्ट ने संकेत दिए हैं कि पात्रता जांच, सत्यापन और भुगतान सुरक्षा तीनों स्तरों पर उत्तर प्रदेश में निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है।

2016-17 से 2022-23 तक का ऑडिट

सीएजी (CAG) की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत कच्चे या जर्जर मकान में रहने वाले परिवारों को अपनी जमीन पर पक्का घर बनाने के लिए 1.20 लाख रुपये की सहायता तीन किस्तों में दी जाती है। रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2016-17 से 2022-23 के बीच उत्तर प्रदेश में 34.71 लाख आवास स्वीकृत किए गए, जिनमें से 34.18 लाख (98.48%) का निर्माण मार्च 2024 तक पूरा होना दर्शाया गया है। हालांकि, आंकड़ों की इस चमक के बीच लाभार्थी सूची को लेकर सीएजी ने गंभीर सवाल उठाए हैं। जांच में दर्ज है कि मई 2016 में 14.47 लाख लाभार्थियों की अंतिम सूची प्रकाशित हुई थी। इसके बाद केंद्र की सलाह पर दोबारा सर्वे कराया गया और आवास प्लस सर्वे के आधार पर मार्च 2024 तक पात्र परिवारों की संख्या 33.64 लाख तक पहुंच गई। लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक, इस बढ़ी हुई संख्या में से केवल 22.29 लाख परिवारों को ही सूची में अतिरिक्त रूप से शामिल किया गया, जबकि एक बड़ा हिस्सा स्थायी प्रतीक्षा सूची से बाहर रह गया। सीएजी ने इसे डेटा की अशुद्धि या आंकड़ों में गड़बड़ी की ओर संकेत माना है। दिलचस्प यह भी कि ग्राम्य विकास विभाग ने अक्टूबर 2023 में स्वीकार किया था कि कई पात्र लाभार्थी गलती से स्थायी प्रतीक्षा सूची से बाहर हो गए थे।

किस्तों की धीमी रफ्तार ने बढ़ाई ग्रामीण आवास योजना की चिंता

सीएजी (CAG) की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार ने 2017 से 2023 के बीच प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण पर कुल 40,231 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें 37,984 करोड़ रुपये सीधे मकान निर्माण पर और 157 करोड़ रुपये प्रशासनिक मद में व्यय होना दर्शाया गया है। रिपोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि प्रशासनिक मद में अपेक्षाकृत कम खर्च के चलते यूपी को केंद्र से 357 करोड़ रुपये कम प्राप्त हुए, जिससे योजना की संचालन-क्षमता पर असर पड़ने की आशंका जताई गई है। ऑडिट में भुगतान प्रक्रिया को लेकर भी गंभीर खामियां सामने आईं। रिपोर्ट के अनुसार, 79% लाभार्थियों को पहली किस्त जारी करने में 7 कार्य दिवस से अधिक की देरी हुई। वहीं अगस्त 2024 तक 11,031 लाभार्थियों के मामलों में 20.18 करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी नहीं होने पर सीएजी ने आपत्ति दर्ज की है। यानी, जिनके लिए घर “सपने” की तरह था, उनके लिए किस्तों की देरी और अटकी रकम योजना की रफ्तार पर बड़ा सवाल बनकर खड़ी हो गई है।

साइबर ठगी का बड़ा केस

रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाली चूक उजागर हुई है। सीएजी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 159 लाभार्थियों की कुल 86.20 लाख रुपये की सहायता राशि साइबर धोखाधड़ी के कारण उनके खातों में पहुंचने के बजाय दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर हो गई। यह मामला सिर्फ ठगी का नहीं, बल्कि संकेत है कि योजना से जुड़े भुगतान तंत्र, बैंकिंग सत्यापन और डेटा-सुरक्षा की परतों में कहीं न कहीं बड़ी कमजोरी मौजूद है। ऐसे में जरूरत है कि यूपी में लाभार्थी सत्यापन से लेकर डिजिटल ट्रांजैक्शन तक, हर चरण पर कड़ी निगरानी और तकनीकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए ताकि “घर की पहली ईंट” रखने से पहले ही किस्तें लीक न हों।

यूपी के अन्य विभाग भी CAG की रडार पर

सीएजी (CAG) की रिपोर्ट ने उत्तर प्रदेश के कई विभागों के वित्तीय अनुशासन और बजट प्रबंधन पर भी तीखे सवाल खड़े किए हैं। समाज कल्याण विभाग के मामले में रिपोर्ट कहती है कि मूल बजट से 342 करोड़ रुपये बचने के बावजूद वित्त विभाग को सिर्फ 40 करोड़ ही लौटाए गए, जबकि शेष करीब 302 करोड़ रुपये का स्पष्ट हिसाब सामने नहीं आ सका। इतना ही नहीं, 115 करोड़ रुपये का अनुपूरक अनुदान भी रिपोर्ट के मुताबिक अनावश्यक साबित हुआ। वहीं कुछ योजनाओं में केंद्रांश समय पर न मिलने के कारण करीब 19 करोड़ रुपये वापस करने की नौबत आ गई यानी पैसा उपलब्ध होने और सही समय पर मिलने के बीच समन्वय की कमी उजागर हुई है। रिपोर्ट में उच्च शिक्षा और आबकारी विभाग भी सीएजी की आपत्ति के दायरे में आए हैं। उच्च शिक्षा विभाग में 957 करोड़ रुपये की बचत के बावजूद राशि वापस न करने पर सवाल उठे हैं, साथ ही 3.92 करोड़ का अनुपूरक अनुदान भी “फिजूल” बताया गया है। इसी तरह, आबकारी विभाग में 195 करोड़ रुपये बचने के बावजूद कोई रकम लौटाई नहीं गई और ऊपर से 50 करोड़ का अनुपूरक अनुदान भी अनावश्यक माना गया। वहीं व्यावसायिक शिक्षा विभाग की तस्वीर भी चिंताजनक बताई गई है रिपोर्ट के अनुसार मूल बजट की 402.24 करोड़ रुपये की राशि वित्त विभाग को लौटाई नहीं गई, इसके बावजूद जुलाई 2024 में 300 करोड़ का अनुपूरक अनुदान लेना भी औचित्यहीन ठहराया गया। सीएजी ने यह भी संकेत दिया कि कई योजनाओं में खर्च की रफ्तार बेहद धीमी रही—जैसे दस्तकार प्रशिक्षण योजना, मेगा राजकीय ITI और मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना में बजट उपयोग का स्तर काफी कम दर्शाया गया। कुल मिलाकर, रिपोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बजट “बचत” और “अनुदान” के बीच चल रही गणना की गड़बड़ी पर स्पष्ट सवालिया निशान लगा दिया है।

वितरण कंपनियों की वित्तीय कमजोरी पर उठे सवाल

सीएजी (CAG) की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश की बिजली से जुड़ी प्रमुख योजनाओं दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और सौभाग्य योजना के प्रबंधन पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय प्रबंधन की कमजोरियों के चलते बिजली वितरण कंपनियां 20,026.61 करोड़ रुपये के ऋण को अनुदान में परिवर्तित नहीं कर सकीं, जिससे योजनाओं के वित्तीय संतुलन पर दबाव बढ़ा। सीएजी ने टैक्स क्लेम की प्रक्रिया में भी खामियां गिनाईं। जीएसटी/राज्य कर दावों में त्रुटियों के कारण 2.90 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी प्रतिपूर्ति और 4.21 करोड़ रुपये की बकाया प्रतिपूर्ति हासिल नहीं हो सकी। वहीं, लागू ब्याज दरों के सत्यापन में कमी के चलते आरईसी (REC) ऋणों पर 7.19 करोड़ रुपये का अधिक ब्याज भुगतान दर्ज किया गया है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि कुछ मामलों में गलत जीएसटी लगाना, जरूरत से ज्यादा ऋण लेना, और परियोजनाओं के क्रियान्वयन में 29 से 49 महीने तक की देरी जैसे मुद्दे सामने आए। कुल मिलाकर, सीएजी की टिप्पणी यह संकेत देती है कि उत्तर प्रदेश में “घर-घर बिजली” के लक्ष्य से जुड़ी योजनाओं में कागजी दावों के साथ-साथ वित्तीय अनुशासन और निगरानी तंत्र को भी मजबूत करने की जरूरत है।

लेखापरीक्षा के बाद वसूली

सीएजी (CAG) की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में विद्युत सुरक्षा निरीक्षण शुल्क को लेकर लेखापरीक्षा में खामियां पकड़े जाने के बाद दो बिजली वितरण कंपनियों ने 5.97 करोड़ रुपये की वसूली जरूर कर ली। लेकिन रिपोर्ट ने यह भी साफ किया है कि सुधार की यह कार्रवाई अधूरी रही क्योंकि कुछ मदों में अतिरिक्त भुगतान की स्थिति अब भी बनी हुई है। यानी ऑडिट की आपत्ति सामने आने पर रकम वापस लेने की पहल तो हुई, पर भुगतान प्रक्रिया की निगरानी और शुल्क निर्धारण की पारदर्शिता पर सवाल अभी भी कायम हैं। UP News

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लखनऊ की बदनाम जमीन बनेगी प्रेरणा-भूमि, पीएम मोदी आज देश को देंगे बड़ी सौगात

उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी में तैयार यह परिसर केवल स्मारक नहीं, बल्कि विचारों की विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने वाला केंद्र है जहां राष्ट्रनायकों के संघर्ष, योगदान और दर्शन को समेटता अत्याधुनिक संग्रहालय भी विकसित किया गया है, जिसका प्रधानमंत्री स्वयं निरीक्षण करेंगे।

पीएम मोदी करेंगे ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का उद्घाटन
पीएम मोदी करेंगे ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का उद्घाटन
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar25 Dec 2025 09:40 AM
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UP News : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ आज एक ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने जा रही है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ आज एक ऐसे ऐतिहासिक क्षण की दहलीज पर खड़ी है, जो विकास और विरासत दोनों का संदेश देता है। जिस जगह कभी दुर्गंध, गंदगी और कूड़े के ढेर के कारण लोग रास्ता बदल लेते थे, वही भूमि अब राष्ट्रनिर्माण की प्रेरणा का नया प्रतीक बनने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचकर भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती के अवसर पर भव्य ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का लोकार्पण करेंगे। इस अवसर पर वे अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय की कांस्य प्रतिमाओं का अनावरण भी करेंगे। उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी में तैयार यह परिसर केवल स्मारक नहीं, बल्कि विचारों की विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने वाला केंद्र है जहां राष्ट्रनायकों के संघर्ष, योगदान और दर्शन को समेटता अत्याधुनिक संग्रहालय भी विकसित किया गया है, जिसका प्रधानमंत्री स्वयं निरीक्षण करेंगे।

यूपी की मिट्टी से निकली विकास की मिसाल

करीब 65 एकड़ में फैला यह राष्ट्र प्रेरणा स्थल लगभग 230 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। स्थापत्य, संस्कृति और विचारधारा का यह संगम उत्तर प्रदेश को देश के वैचारिक मानचित्र पर एक नई पहचान देता है। यह स्थल केवल स्मारक नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए राष्ट्रभक्ति और सेवा भाव की पाठशाला के रूप में विकसित किया गया है।

कभी कूड़े का पहाड़, आज प्रेरणा का प्रतीक

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आईआईएम रोड स्थित घैला क्षेत्र कभी शहर का सबसे बदनाम डंपिंग ग्राउंड माना जाता था। चारों तरफ कूड़े के पहाड़, तेज दुर्गंध और जहरीली मिट्टी इसका असर सिर्फ आसपास के मोहल्लों तक सीमित नहीं था यह इलाका गोमती नदी के प्रदूषण का कारण बन रहा था और आसपास की उपजाऊ जमीन भी लगातार बर्बाद हो रही थी। मगर नगर निगम ने इस बदनुमा दाग को इतिहास बनाने का फैसला किया। साढ़े छह लाख मीट्रिक टन से ज्यादा कचरा हटाना आसान नहीं था—यह एक बड़ा ऑपरेशन था, जिसे करीब छह साल की सतत मेहनत और लगभग 13 करोड़ रुपये की लागत के साथ अंजाम दिया गया। कचरे को मोहान रोड स्थित शिवरी में शिफ्ट करने के बाद लिगेसी वेस्ट को खत्म करने की प्रक्रिया चली, जिसमें करीब डेढ़ साल लगे। जमीन जब दोबारा “सांस लेने” लगी, तो उसे लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) को सौंप दिया गया और फिर अगले तीन वर्षों में वही बदनाम डंपिंग ग्राउंड बदलकर भव्य ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ के रूप में सामने आ गया।

अभेद सुरक्षा में प्रधानमंत्री का कार्यक्रम

प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और उसके आसपास का पूरा इलाका अभेद सुरक्षा व्यवस्था में तब्दील कर दिया गया है। एसपीजी, खुफिया एजेंसियों और तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी बीते कई दिनों से सुरक्षा इंतजामों की हर परत पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। जमीन से लेकर आसमान तक निगरानी का मजबूत घेरा तैयार किया गया है, ताकि किसी भी तरह की चूक की गुंजाइश न रहे। प्रधानमंत्री विशेष सैन्य हेलीकॉप्टर से सीधे कार्यक्रम स्थल पर उतरेंगे। उनके मूवमेंट को देखते हुए सभी प्रमुख मार्गों को पूरी तरह बाधा-मुक्त किया गया है। सड़कों की मरम्मत, रोशनी, साफ-सफाई और यातायात प्रबंधन पर खास ध्यान दिया गया है।

1.25 लाख लोगों के बैठने की व्यवस्था

लोकार्पण समारोह को लेकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तैयारियां चरम पर हैं। आयोजन स्थल पर करीब 1.25 लाख कुर्सियां लगाई गई हैं, ताकि भारी संख्या में लोग प्रधानमंत्री के संबोधन के साक्षी बन सकें। कार्यक्रम के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगभग 1 घंटा 55 मिनट तक परिसर में रहेंगे,लोकार्पण और प्रतिमाओं के अनावरण के बाद वे जनसभा को भी संबोधित करेंगे। इस ऐतिहासिक अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी भी कार्यक्रम को खास महत्व दे रही है। लखनऊ रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर कहा कि देश की महान विभूतियों की विरासत का सम्मान और संरक्षण सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने इस पहल को राष्ट्रनिर्माण की दिशा में एक अहम कदम बताते हुए इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का केंद्र बताया। UP News

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प्रयागराज का रहा है गौरवपूर्ण राजनीतिक इतिहास

ब्रिटिश शासन के दौरान प्रयागराज को संयुक्त प्रांत की राजधानी बनाया गया। राजधानी होने के कारण यहाँ प्रशासन, न्याय और नीति-निर्माण की गतिविधियाँ केंद्रित हुईं। इसी दौर में यह शहर राष्ट्रवादी विचारधाराओं और राजनीतिक जागरूकता का प्रमुख मंच बन गया।

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इलाहाबाद विवि
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar24 Dec 2025 06:53 PM
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UP News : प्रयागराज भारत के उन चुनिंदा नगरों में शामिल है, जिनकी पहचान केवल धार्मिक या सांस्कृतिक कारणों से नहीं, बल्कि राष्ट्र-निर्माण में निभाई गई ऐतिहासिक राजनीतिक भूमिका से भी बनी है। यह नगर आधुनिक भारत की राजनीतिक चेतना, नेतृत्व और वैचारिक विकास का सशक्त केंद्र रहा है।

1. औपनिवेशिक काल में राजनीतिक महत्व

ब्रिटिश शासन के दौरान प्रयागराज को संयुक्त प्रांत की राजधानी बनाया गया। राजधानी होने के कारण यहाँ प्रशासन, न्याय और नीति-निर्माण की गतिविधियाँ केंद्रित हुईं। इसी दौर में यह शहर राष्ट्रवादी विचारधाराओं और राजनीतिक जागरूकता का प्रमुख मंच बन गया।

2. स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में प्रयागराज की भूमिका अत्यंत निर्णायक रही। यहाँ से कई आंदोलनकारी रणनीतियाँ तैयार की गईं। विदेशी शासन के विरुद्ध जनमत तैयार करने में इस नगर के बुद्धिजीवियों, छात्रों और पत्रकारों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। प्रयागराज के अनेक नागरिकों ने जेल यात्राएँ कीं और राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई।

3. नेहरू परिवार और राजनीतिक चेतना

प्रयागराज भारतीय राजनीति में नेहरू परिवार की कर्मभूमि के रूप में विशेष स्थान रखता है। मोतीलाल नेहरू ने इस नगर में रहकर न केवल कानून और राजनीति को नई दिशा दी, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम को संगठित स्वरूप भी प्रदान किया। जवाहरलाल नेहरू का राजनीतिक व्यक्तित्व यहीं विकसित हुआ, जिसने आगे चलकर भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को आकार दिया। आनंद भवन और स्वराज भवन जैसे स्थल राजनीतिक विचार-विमर्श और राष्ट्रीय आंदोलनों के जीवंत केंद्र बने।

4. प्रधानमंत्री देने वाला ऐतिहासिक नगर

प्रयागराज उन गिने-चुने नगरों में है, जिसने देश को कई प्रधानमंत्री दिए। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह नगर केवल जनसंख्या का नहीं, बल्कि नेतृत्व-निर्माण का केंद्र रहा है। यहाँ का राजनीतिक वातावरण राष्ट्रीय स्तर के नेतृत्व को जन्म देने में सक्षम रहा है।

5. शिक्षा और वैचारिक राजनीति

इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने राजनीतिक और बौद्धिक दृष्टि से प्रयागराज को विशेष पहचान दिलाई। यहाँ लोकतंत्र, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और संविधानिक मूल्यों पर गंभीर विमर्श हुआ। विश्वविद्यालय से निकले छात्र आगे चलकर राजनीति, प्रशासन और नीति-निर्धारण के महत्वपूर्ण पदों तक पहुँचे।

6. न्यायपालिका और राजनीतिक प्रभाव

प्रयागराज स्थित उच्च न्यायालय ने भारतीय लोकतंत्र की रक्षा में अहम भूमिका निभाई। कई ऐसे निर्णय यहीं से आए जिन्होंने देश की राजनीति की दिशा को प्रभावित किया। न्याय और राजनीति के संतुलन को बनाए रखने में इस नगर की भूमिका ऐतिहासिक रही है।

7. उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजनीति में योगदान

प्रयागराज लंबे समय तक उत्तर प्रदेश की राजनीति का वैचारिक मार्गदर्शक रहा। यहाँ से चुने गए जनप्रतिनिधियों ने विधानसभा से लेकर संसद तक प्रभावी नेतृत्व दिया। यह नगर राजनीतिक संवाद, बहस और नीति-निर्माण की प्रयोगशाला के रूप में कार्य करता रहा।

प्रयागराज केवल आस्था का संगम नहीं, बल्कि विचार, नेतृत्व और लोकतंत्र का संगम भी है। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक भारत के शासन ढांचे तक, इस नगर ने राजनीतिक चेतना को दिशा दी है। भारतीय राजनीति के इतिहास में प्रयागराज का स्थान स्थायी, विशिष्ट और अत्यंत गौरवशाली है।

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