लखनऊ में सीएम योगी की बड़ी बैठक, समय से पहले हाजिरी का निर्देश
बैठक का समय दोपहर 3:30 बजे तय है, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से सभी मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को कम से कम 15 मिनट पहले पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं। हर विभाग का जिम्मेदार अधिकारी खुद सामने आकर प्रगति रिपोर्ट देगा, सवालों का जवाब देगा और तय समयसीमा के साथ अगला रोडमैप रखेगा।

UP News : उत्तर प्रदेश की सियासी और प्रशासनिक हलचल के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज दोपहर एक अहम समीक्षा बैठक करने जा रहे हैं। यह बैठक सिर्फ रूटीन रिव्यू नहीं मानी जा रही बल्कि इसे सरकार की प्राथमिकताओं, कामकाज की रफ्तार और जवाबदेही तय करने वाला संकेतक बताया जा रहा है। बैठक का समय दोपहर 3:30 बजे तय है, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से सभी मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को कम से कम 15 मिनट पहले पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रतिनिधि नहीं, खुद हाजिरी जरूरी
इस बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार के सभी कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री मौजूद रहेंगे। अफसरशाही के शीर्ष स्तर को भी अनिवार्य रूप से हाज़िर रहने का निर्देश दिया गया है। मुख्य सचिव से लेकर सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और विभागीय सचिव तक बैठक में शामिल होंगे। संकेत बिल्कुल साफ है: अब “प्रतिनिधि भेजकर” औपचारिकता निभाने का दौर नहीं चलेगा। हर विभाग का जिम्मेदार अधिकारी खुद सामने आकर प्रगति रिपोर्ट देगा, सवालों का जवाब देगा और तय समयसीमा के साथ अगला रोडमैप रखेगा।
विकास योजनाओं की प्रगति पर सीधी नजर
सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बैठक में उत्तर प्रदेश की प्रमुख विकास योजनाओं की टाइमलाइन, प्रगति रिपोर्ट और लंबित प्रस्तावों की बारीक “लाइन-टू-लाइन” समीक्षा करेंगे। एजेंडा साफ है कौन-सी फाइल कहां अटकी है, कौन-सा काम जमीन पर रुका है और देरी की असल वजह नीति, फंड, फाइल या फील्ड हर बिंदु पर जवाब तय होगा। बैठक में खास तौर पर वित्तीय स्वीकृतियों से जुड़े पेंडिंग प्रस्ताव, शिलान्यास-उद्घाटन से जुड़े कार्य, और समय-सीमा वाली परियोजनाओं में देरी के कारणों पर चर्चा के साथ जिम्मेदारी भी निर्धारित होने की संभावना है। मुख्यमंत्री यह भी जानना चाहेंगे कि जिन प्रोजेक्ट्स की रफ्तार धीमी है, वहां बाधा किस स्तर पर है और उसे तुरंत हटाने की कार्ययोजना क्या होगी। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में जनता से सीधे जुड़ी सेवाओं सड़क, बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास से संबंधित योजनाएं बैठक का मुख्य फोकस रहेंगी। जिन विभागों का आउटपुट अपेक्षा के अनुरूप नहीं मिला, उनसे स्पष्टीकरण लिया जा सकता है और संबंधित अधिकारियों को सख्त, समयबद्ध निर्देश दिए जा सकते हैं।
बजट उपयोग और नए प्रस्तावों पर भी मंथन
बैठक के एजेंडे में बजट प्रावधानों और जारी धन के वास्तविक उपयोग को भी खास अहमियत दी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यह परख सकते हैं कि जिन योजनाओं के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने राशि स्वीकृत कर दी, वह पैसा जमीन पर कितना उतरा और किन विभागों में खर्च की रफ्तार अनावश्यक रूप से धीमी है। संकेत साफ है फंड होने के बावजूद अगर काम अटका है, तो “क्यों” और “कौन जिम्मेदार” इसका जवाब उसी टेबल पर तय होगा। इसके साथ ही नई योजनाओं/प्रस्तावों पर चर्चा, उनकी व्यवहारिकता, और प्रदेश की जरूरतों के हिसाब से प्राथमिकता निर्धारण पर भी मंथन होने की संभावना जताई जा रही है ताकि संसाधन बंटें नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के लिए सबसे जरूरी कामों पर फोकस और तेज हो।
मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं के बीच बढ़ी बैठक की अहमियत
उत्तर प्रदेश की राजनीति में खरमास के बाद संभावित मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाओं ने फिर रफ्तार पकड़ ली है। ऐसे माहौल में इस बैठक को कई लोग सिर्फ प्रशासनिक समीक्षा नहीं, बल्कि सरकार के भीतर कामकाज के “परफॉर्मेंस ऑडिट” और आगे की रणनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं। माना जा रहा है कि संगठनात्मक बदलावों के बाद होने वाली यह बैठक लखनऊ से एक साफ संदेश दे सकती है।
किन विभागों पर सख्ती ?
कुल मिलाकर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह बैठक उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक अनुशासन और परिणाम आधारित शासन का संकेत दे रही है। अब सबकी नजर इस पर है कि समीक्षा के बाद किन विभागों को कड़ी टाइमलाइन मिलेगी, कहां जवाबदेही तय होगी और किन परियोजनाओं को फास्ट-ट्रैक करने के निर्देश जारी होते हैं। UP News
UP News : उत्तर प्रदेश की सियासी और प्रशासनिक हलचल के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज दोपहर एक अहम समीक्षा बैठक करने जा रहे हैं। यह बैठक सिर्फ रूटीन रिव्यू नहीं मानी जा रही बल्कि इसे सरकार की प्राथमिकताओं, कामकाज की रफ्तार और जवाबदेही तय करने वाला संकेतक बताया जा रहा है। बैठक का समय दोपहर 3:30 बजे तय है, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से सभी मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को कम से कम 15 मिनट पहले पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रतिनिधि नहीं, खुद हाजिरी जरूरी
इस बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार के सभी कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री मौजूद रहेंगे। अफसरशाही के शीर्ष स्तर को भी अनिवार्य रूप से हाज़िर रहने का निर्देश दिया गया है। मुख्य सचिव से लेकर सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और विभागीय सचिव तक बैठक में शामिल होंगे। संकेत बिल्कुल साफ है: अब “प्रतिनिधि भेजकर” औपचारिकता निभाने का दौर नहीं चलेगा। हर विभाग का जिम्मेदार अधिकारी खुद सामने आकर प्रगति रिपोर्ट देगा, सवालों का जवाब देगा और तय समयसीमा के साथ अगला रोडमैप रखेगा।
विकास योजनाओं की प्रगति पर सीधी नजर
सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बैठक में उत्तर प्रदेश की प्रमुख विकास योजनाओं की टाइमलाइन, प्रगति रिपोर्ट और लंबित प्रस्तावों की बारीक “लाइन-टू-लाइन” समीक्षा करेंगे। एजेंडा साफ है कौन-सी फाइल कहां अटकी है, कौन-सा काम जमीन पर रुका है और देरी की असल वजह नीति, फंड, फाइल या फील्ड हर बिंदु पर जवाब तय होगा। बैठक में खास तौर पर वित्तीय स्वीकृतियों से जुड़े पेंडिंग प्रस्ताव, शिलान्यास-उद्घाटन से जुड़े कार्य, और समय-सीमा वाली परियोजनाओं में देरी के कारणों पर चर्चा के साथ जिम्मेदारी भी निर्धारित होने की संभावना है। मुख्यमंत्री यह भी जानना चाहेंगे कि जिन प्रोजेक्ट्स की रफ्तार धीमी है, वहां बाधा किस स्तर पर है और उसे तुरंत हटाने की कार्ययोजना क्या होगी। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में जनता से सीधे जुड़ी सेवाओं सड़क, बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास से संबंधित योजनाएं बैठक का मुख्य फोकस रहेंगी। जिन विभागों का आउटपुट अपेक्षा के अनुरूप नहीं मिला, उनसे स्पष्टीकरण लिया जा सकता है और संबंधित अधिकारियों को सख्त, समयबद्ध निर्देश दिए जा सकते हैं।
बजट उपयोग और नए प्रस्तावों पर भी मंथन
बैठक के एजेंडे में बजट प्रावधानों और जारी धन के वास्तविक उपयोग को भी खास अहमियत दी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यह परख सकते हैं कि जिन योजनाओं के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने राशि स्वीकृत कर दी, वह पैसा जमीन पर कितना उतरा और किन विभागों में खर्च की रफ्तार अनावश्यक रूप से धीमी है। संकेत साफ है फंड होने के बावजूद अगर काम अटका है, तो “क्यों” और “कौन जिम्मेदार” इसका जवाब उसी टेबल पर तय होगा। इसके साथ ही नई योजनाओं/प्रस्तावों पर चर्चा, उनकी व्यवहारिकता, और प्रदेश की जरूरतों के हिसाब से प्राथमिकता निर्धारण पर भी मंथन होने की संभावना जताई जा रही है ताकि संसाधन बंटें नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के लिए सबसे जरूरी कामों पर फोकस और तेज हो।
मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं के बीच बढ़ी बैठक की अहमियत
उत्तर प्रदेश की राजनीति में खरमास के बाद संभावित मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाओं ने फिर रफ्तार पकड़ ली है। ऐसे माहौल में इस बैठक को कई लोग सिर्फ प्रशासनिक समीक्षा नहीं, बल्कि सरकार के भीतर कामकाज के “परफॉर्मेंस ऑडिट” और आगे की रणनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं। माना जा रहा है कि संगठनात्मक बदलावों के बाद होने वाली यह बैठक लखनऊ से एक साफ संदेश दे सकती है।
किन विभागों पर सख्ती ?
कुल मिलाकर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह बैठक उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक अनुशासन और परिणाम आधारित शासन का संकेत दे रही है। अब सबकी नजर इस पर है कि समीक्षा के बाद किन विभागों को कड़ी टाइमलाइन मिलेगी, कहां जवाबदेही तय होगी और किन परियोजनाओं को फास्ट-ट्रैक करने के निर्देश जारी होते हैं। UP News












