उत्तर प्रदेश में किसान के बेटे ने कर दिया कमाल

वर्तमान में परिवार मेरठ शहर में छावनी स्थित रेड क्वार्टर में रहता है। परिवार में सेना में अधिकारी बनने वाले वे पहले सदस्य हैं। शांतनु की इस उपलब्धि के पीछे उनकी 85 वर्षीय दादी का वर्षों पुराना सपना था कि उनका पोता सेना में अफसर बने। पोते की पीओपी के साथ दादी का यह सपना आखिरकार साकार हो गया।

मेरठ के शांतनु पाराशर
मेरठ के शांतनु पाराशर
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar16 Dec 2025 05:47 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के एक किसान के बेटे ने बड़ा कमाल कर दिया है। उत्तर प्रदेश के इस बेटे की हर जगह चर्चा हो रही है। उत्तर प्रदेश के मूल निवासी किसान के बेटे ने अपने परिवार, अपने समाज, अपने गाँव, जिले तथा प्रदेश का सम्मान बढ़ाने का काम किया है। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के इस लाड़ले बेटे ने अपनी 85 वर्ष की दादी का बड़ा सपना पूरा करने का भी काम किया है।

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले का रहने वाला है कमाल का बेटा

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले का रहने वाला किसान का बेटा शांतनु पाराशर खूब तारीफ बटोर रहा है। दरअसल उत्तर प्रदेश के बेटे शांतनु पाराशर ने अपने कठिन परिश्रम और अटूट आत्मविश्वास के बल पर भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए), देहरादून में हुई पासिंग आउट परेड के साथ भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में कमीशन प्राप्त किया। यह गौरवपूर्ण क्षण न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। शांतनु मूल रूप से किसान परिवार से हैं। उनका पैतृक गांव उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में रोहटा रोड पर घसौली गाँव है। वर्तमान में परिवार मेरठ शहर में छावनी स्थित रेड क्वार्टर में रहता है। परिवार में सेना में अधिकारी बनने वाले वे पहले सदस्य हैं। शांतनु की इस उपलब्धि के पीछे उनकी 85 वर्षीय दादी का वर्षों पुराना सपना था कि उनका पोता सेना में अफसर बने। पोते की पीओपी के साथ दादी का यह सपना आखिरकार साकार हो गया।

उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुई है पढ़ाई

शांतनु की शैक्षिक यात्रा में उन्होंने कक्षा 10 तक सेंट मेरीज अकादमी से प्राप्त की और 95 प्रतिशत अंक हासिल किए। इसके बाद कृष्णा पब्लिक स्कूल से कक्षा 11 व 12 की पढ़ाई की, जहां विज्ञान वर्ग में 96 प्रतिशत अंकों के साथ उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। कक्षा 12 में पढ़ते हुए ही उन्होंने एनडीए की लिखित परीक्षा, एसएसबी और मेडिकल, तीनों को पहले प्रयास में सफलता पूर्वक उत्तीर्ण किया। एनडीए खडक़वासला में तीन वर्षों की कठोर सैन्य प्रशिक्षण और स्नातक शिक्षा के बाद शांतनु का चयन आईएमए, देहरादून के लिए हुआ, जहां से उन्होंने अधिकारी बनकर देशसेवा की राह चुनी। शांतनु पाराशर की इस सफलता में परिवार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। उनकी माता गृहिणी हैं और परिवार का मानना है कि बेटे की उपलब्धि का सम्पूर्ण श्रेय मां को जाता है, जिनके संस्कार और त्याग ने यह मुकाम दिलाया। शांतनु के ताऊ-ताई चिकित्सक हैं। ताऊजी सर्जन और ताईजी स्त्री रोग विशेषज्ञ। वहीं उनकी बहन डा. माला शर्मा ने प्रशिक्षण काल के दौरान समय-समय पर काउंसलिंग और निरंतर प्रेरणा देकर भाई का मनोबल ऊंचा बनाए रखा। डा. माला ने एमबीबीएस जुलाई में पूर्ण किया है और वर्तमान में नीट पीजी के माध्यम से स्पेशलाइजेशन की तैयारी कर रही हैं। शांतनु के पिता सतीश शर्मा वर्तमान में मेरठ के शांति पब्लिक स्कूल में प्रधानाचार्य हैं।

मजदूर के बेटे ने भी कर दिया कमाल

उत्तर प्रदेश के शांतनु पाराशर की तरह ही हरियाणा के एक बेटे ने भी बड़ा कमाल किया है। हमेशा कहा जाता है कि सफलता की राह में अक्सर रूकावटें तो आती ही हैं, पर यहां मंजिल भी उन्हीं को मिलती है जो हार नहीं मानते।' हरियाणा के हरदीप गिल ने इस फेमस लाइन को सच साबित करके दिखाया दिया है। बचपन में पिता को खोना, मां के साथ खेतों में मजदूरी और सर्विस सेलेक्शन बोर्ड (SSB) में लगातार 8 असफलता... किसी भी इंसान का हौसला तोडऩे के लिए काफी है। लेकिन सेना में जाने का जज्बा और मां का संघर्ष ही था जिन्होंने हरदीप को सेना में अफसर बन दिया। उनकी सक्सेस स्टोरी आज उन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो जिंदगी में कुछ बनना चाहते हैं। हरियाणा के जींद जिले में उचाना के पास अलीपुर गांव के रहने वाले हरदीप का जीवन संघर्ष और मेहनत से भरा हुआ है। वह महज 2 साल के थे जब उनके पिता का निधन हो गया। तब उनकी मां संत्रों देवी ने हरदीप और उनकी तीन बहनों को अकेले पाला। चार बच्चों की सिंगल मदर के लिए यह आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने बच्चों की परवरिश के लिए कड़ी मेहनत की। हरदीप गिल की मां ने बच्चों की पढ़ाई के लिए दिन-रात एक कर दिया। वे सुबह जल्दी उठकर खेतों में मजदूरी और दोपहर में एक स्कूल में मिड-डे मिल वर्कर काम करतीं। उन्हें 800 रुपये महीना मिलते थे, जिससे परिवार का खर्चा चलता था। उनके पास जमीन का छोटा-सा टुकड़ा भी है, जिससे ज्यादा कुछ नहीं मिलता। जैसे-तैसे उन्होंने गांव के स्कूल में हरदीप का दाखिला कराया। खराब आर्थिक स्थिति ने छोटी-सी उम्र में ही हरदीप को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास करा दिया था। उन्होंने मां के साथ खेतों में जाना शुरू कर दिया। वे दिन में खेतों में काम करते और दोपहर के बाद पढ़ाई करते। उन्होंने गांव के स्कूल से ही 10वीं और 12वीं क्लास तक पढ़ाई पूरी की।

पढ़ाई के वक्त ही देख लिया था बड़ा सपना 

12वीं क्लास के बाद हरदीप के सिर सेना में जाने का जुनून सवार हो गया। उन्होंने इंडियन एयर फोर्स (IAF) एयरमैन की नौकरी के लिए अप्लाई किया। लेकिन चयन प्रक्रिया के दौरान छोटी-छोटी कमियों के चलते सेलेक्शन नहीं हो पाया। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। इंडियन एक्स्प्रेस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि मैंने उन कमियों को ठीक किया और फिर से कोशिश की। जब एयरमैन पद के लिए करीब 3000 युवाओं का सेलेक्शन हुआ तो मैं ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में 59वें नंबर पर था। तभी अग्निपथ योजना के चलते सबकुछ बदल गया और ज्वॉइनिंग लेटर नहीं आया।' निराश-हताश हरदीप ने आगे की पढ़ाई IGNOU से करने का मन बनाया, फिर भी उनका एक लक्ष्य था सेना में जाने का। IGNOU से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने फिर से कोशिश की। उन्होंने कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज (CDS) एग्जाम दिया। हरदीप 9वीं बार में सर्विसेज सेलेक्शन बोर्ड (SSB) एग्जाम में सफल हुए। ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में 54वां स्थान पाकर साल 2024 में भारतीय सैन्य अकादमी ((IMA)) में शामिल हुए। दिसंबर 2025 में अपनी गर्वित मां की मौजूदगी में पासिंग आउट परेड में मार्च किया। लेफ्टिनेंट हरदीप गिल सिख लाइट इन्फैंट्री की 14वीं बटालियन में शामिल होंगे। UP News


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उत्तर प्रदेश के सात लाख बच्चे पढ़ेंगे फ्री में

अगले शिक्षण सत्र के तहत गरीब वर्ग के बच्चों को फ्री में पढ़ाने के लिए जल्दी ही आवेदन पत्र आमंत्रित किए जाएंगे। इस काम के लिए उत्तर प्रदेश सरकार RTE पोर्टल को मजबूत करने का काम कर रही है।

योगी सरकार का बड़ा फैसला RTE के तहत बढ़ीं मुफ्त सीटें
योगी सरकार का बड़ा फैसला: RTE के तहत बढ़ीं मुफ्त सीटें
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar16 Dec 2025 05:31 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत बड़ा बदलाव होने वाला है। अगले शिक्षा सत्र में उत्तर प्रदेश के सात लाख बच्चों को RTE के तहत फ्री में पढ़ाने की योजना है। उत्तर प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ाने की व्यवस्था शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत की जाती है। उत्तर प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों को 25 प्रतिशत बच्चे RTE के तहत पढ़ाने अनिवार्य हैं।

उत्तर प्रदेश में RTE के तहत बढ़ेंगी 50 हजार सीटें

आपको बता दें कि वर्तमान शिक्षा सत्र में उत्तर प्रदेश में RTE के तहत 6 लाख 20 हजार बच्चों को फ्री में पढ़ाया जा रहा है। अगले शिक्षा सत्र में RTE के तहत 50 हजार सीट बढ़ाने की योजना पर काम चल रहा है। इस प्रकार अगले शिक्षा सत्र में उत्तर प्रदेश में RTE के तहत लगभग सात लाख बच्चों को फ्री में पढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी। अगले शिक्षण सत्र के तहत गरीब वर्ग के बच्चों को फ्री में पढ़ाने के लिए जल्दी ही आवेदन पत्र आमंत्रित किए जाएंगे। इस काम के लिए उत्तर प्रदेश सरकार RTE पोर्टल को मजबूत करने का काम कर रही है। 

उत्तर प्रदेश सरकार ने बढ़ा दिया है RTE का दायरा

आपको बता दें कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम यानी RTE के तहत गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिया जाता है। RTE के तहत 25 फीसदी सीटों पर मुफ्त शिक्षा दी जा रही है। इस साल सरकार ने इस योजना का दायरा और बढ़ा दिया है. उत्तर प्रदेश में आरटीई के तहत निजी स्कूलों में जल्द ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। इससे पहले RTE पोर्टल को भी अपडेट किया जा रहा है। साथ ही प्रदेश के 67 हजार निजी स्कूलों की मैपिंग भी कराई गई है।  गौरतलब है कि पिछले साल यह संख्या 62 हजार थी। इसी वजह से इस बार करीब 50 हजार सीटें बढ़ाई जा रही हैं। गरीब परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों पर मुफ्त दाखिला मिलेगा। इसके लिए जल्द ही ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस बार प्रवेश के लिए बच्चे और अभिभावक दोनों का आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है। आधार से सत्यापन के बाद ही दाखिला दिया जाएगा। ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोका जा सके। पात्र बच्चों को ही दाखिला मिल सके। इस बार उत्तर प्रदेश में RTE की प्रवेश प्रक्रिया को छह चरणों में पूरा किया जाएगा। अगर किसी वार्ड में सीट खाली नहीं होती है, तो पास के वार्ड में भी बच्चे को दाखिला दिया जाएगा। सरकार ने सभी जिलों के खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने ब्लॉक के सभी निजी स्कूलों को सूचीबद्ध करें।अगर कोई निजी स्कूल आरटीई के तहत दाखिले से मना करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

क्या है RTE की व्यवस्था ?

दरअसल, गरीब बच्चों को फ्री और अनिवार्य शिक्षा के लिए राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 (RTE) लाया गया था। इस योजना के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा की गारंटी दी जाती है. 4 अगस्त 2009 को संसद में RTE एक्ट को लाया गया था और एक अप्रैल 2010 को लागू कर दिया गया था। इसके तहत 14 साल तक के बच्चों को अपने आसपास के किसी भी निजी स्कूल में दाखिला लेने का अधिकार है। भारत सरकार द्वारा संसद में बनाए गए RTE एक्ट के तहत उत्तर प्रदेश में लाखों बच्चों को फ्री में पढ़ाया जा रहा है। UP News

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में PDA की गूंज… अखिलेश ने जनता से क्या अपील की?

अखिलेश ने जोर देकर कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और विविधतापूर्ण राज्य में शिक्षा का उद्देश्य समाज को संवाद, विवेक और सभ्यता की दिशा में आगे ले जाना है। इसलिए शिक्षा संस्थानों को ऐसी मानसिकता से बचाना जरूरी है जो नफरत, डर और हिंसा को बढ़ावा देती हो।

अखिलेश यादव
अखिलेश यादव
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar16 Dec 2025 02:50 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश की राजनीति में सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों को लेकर बहस एक बार फिर केंद्र में आ गई है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया के माध्यम से देशवासियों को आगाह करते हुए कहा कि हिंसक और विभाजनकारी सोच रखने वाले तत्वों के प्रति सतर्क रहना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। उनका कहना है कि जो लोग “शस्त्र को शास्त्र से बड़ा” मानते हैं, उन्हें शिक्षालयों, विश्वविद्यालयों और सामाजिक जीवन से दूर रखना हर सभ्य नागरिक की जिम्मेदारी बनती है। अखिलेश ने जोर देकर कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और विविधतापूर्ण राज्य में शिक्षा का उद्देश्य समाज को संवाद, विवेक और सभ्यता की दिशा में आगे ले जाना है इसलिए शिक्षा संस्थानों को ऐसी मानसिकता से बचाना जरूरी है जो नफरत, डर और हिंसा को बढ़ावा देती हो।

“खुद दूर रहें, परिवार-मित्रों को भी सावधान करें”- अखिलेश यादव

अपने संदेश में अखिलेश यादव ने लोगों से अपील की कि वे ऐसे तत्वों से खुद भी दूरी बनाए रखें और अपने परिवार व मित्रों को भी सचेत करें। उन्होंने शिक्षा को समाज की सबसे बड़ी ताकत बताते हुए कहा कि नफरत और नकारात्मक सोच फैलाने वाले लोग सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करते हैं। अखिलेश ने अपनी पोस्ट में इशारों में सरकार पर भी हमला बोला और कहा कि कुछ शक्तियां विभाजन और विद्वेष के सहारे अपना स्वार्थ साधती हैं। उनका आरोप है कि ये ताकतें पुरानी सत्ता संरचना को जिंदा रखना चाहती हैं ताकि समाज में ऊपर की परत हमेशा ऊपर बनी रहे और नीचे का वर्ग नीचे ही दबा रहे। अखिलेश के मुताबिक, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में सामाजिक न्याय और संवैधानिक बराबरी की राह तभी मजबूत होगी जब जनता ऐसी राजनीति को पहचानकर उसे चुनौती देगी।

उत्तर प्रदेश का PDA समाज जाग गया है- अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अब PDA समाज पीड़ित, दलित और आदिवासी पूरी तरह “जाग” चुका है। उनके मुताबिक जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे नकारात्मक राजनीति करने वाले तत्वों की बेचैनी भी बढ़ती जा रही है। अखिलेश ने दावा किया कि अब उत्पीड़ित वर्ग अपमान और पीड़ा को चुपचाप सहने के मूड में नहीं है, और इसी वजह से PDA की एकजुटता लगातार मजबूत हो रही है। उन्होंने अपने संदेश का सार नारे के अंदाज़ में रखते हुए कहा“जो पीड़ित, वो PDA… और पीड़ा बढ़ रही है, इसलिए PDA बढ़ रहा है। UP News


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