प्लास्टिक के महीन कण जिन्हें Microplastic भी कहा जाता है, से जुड़ा हुआ एक अध्ययन सामने आया है जिसके बाद लोगों को माइक्रोप्लास्टिक से सचेत रहने की आवश्यकता है। अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि हर सप्ताह एक मानव शरीर में औसतन 0.1ग्राम से लेकर 5 ग्राम तक के माइक्रोप्लास्टिक के कण जाते हैं। ये कण सांस, पेय पदार्थ और त्वचा के माध्यम से मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और 5 mm से कम आकार के कण मनुष्य के पाचन, श्वसन एवं परिसंचरण तंत्र में भी प्रवेश कर जाते हैं।
कई बीमारियों को पैदा कर सकते हैं ये Microplastic के कण
Microplastic के ये कण शरीर में पहुंच कर कई गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं। ज्यादा लम्बे समय तक शरीर में बने रहने के कारण इनसे प्रजनन क्षमता पर असर पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त कैंसर, मधुमेह, मोटापा और हार्ट से जुड़ी हुई भी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। प्रारम्भिक अध्ययन से यह बात भी पता चली है कि मछली खाने वाले लोगों के शरीर में इन कणों के प्रवेश की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।
रोजाना फेफड़ों के सम्पर्क में आते हैं ये खतरनाक Microplastic के कण
Microplastic के कणों पर किये गए अध्ययन के अनुसार हर दिन मानव शरीर के फेफड़ों के सम्पर्क में कम से कम 26-130 Microplastic के कण आते हैं। प्लास्टिक की बोतलों के बढ़ते प्रयोग एवं प्लास्टिक पैकेजिंग आदि के कारण यह समस्या अधिक बढ़ रही है। हालांकि Microplastic से जुड़े हुए इस अध्ययन में अनुपचारित पानी को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि उनमें कणों के बारे में पता लगाना काफ़ी चुनौतीपूर्ण होता है। हालांकि अध्ययन से यह बात भी स्पष्ट हुई कि अनुपचारित पानी में Microplastic के कणों की वही मात्रा होती है जो एक प्लास्टिक बॉटल में भरे द्रव्य में होती है। इसलिए अनुपचारित पानी भी मानव शरीर के लिए उतना ही खतरनाक है।