Thursday, 9 May 2024

नोएडा के किसानों के साथ फिर छलावा, थमा दी मीठी गोली

Noida News :  करीब 300 दिनों के धरना-प्रदर्शन के बाद गुरुवार हुई नोएडा प्राधिकरण की 212वीं बोर्ड बैठक में किसानों…

नोएडा के किसानों के साथ फिर छलावा, थमा दी मीठी गोली

Noida News :  करीब 300 दिनों के धरना-प्रदर्शन के बाद गुरुवार हुई नोएडा प्राधिकरण की 212वीं बोर्ड बैठक में किसानों को मीठी गोली दे दी गई। प्राधिकरण के इस निर्णय से किसान संगठनों में खासा आक्रोश है। किसानों का कहना है कि प्राधिकरण ने 10 फीसदी आबादी के भूखंड की मांग को शासन के पास प्रेषित करने का निर्णय लेकर फिर किसानों को झुनझुना थमा दिया है। इसके पूर्व भी शासन को तीन प्रस्ताव भेजे गए थे जिन पर अभी तक कोई निर्णय नहीं आया। इस बार भी अपना पल्ला झाड़ते हुए प्राधिकरण ने शासन को प्रस्ताव भेजने की महज खानापूर्ति कर दी।

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भारतीय किसान यूनियन मंच के प्रवक्ता अशोक चौहान का कहना है कि नोएडा प्राधिकरण की प्रेस विज्ञप्ति में लिखी गई भाषा स्पष्ट करती है कि प्राधिकरण इस मामले में लीपापोती करके महज खानापूर्ति कर अपना पल्ला झाड़ लेता है। शासन इस प्रस्ताव पर कब निर्णय देगा, इसकी भी निर्धारित समय-सीमा तय करनी चाहिए। प्राधिकरण की 212वी बोर्ड बैठक में किसानों की मांग को अनुमोदित करते हुए प्राधिकरण ने शासन को भेज दिया है। शासन स्तर पर तय किया जाएगा कि किसानों की ये मांग जायज है या नहीं।

क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, नोएडा प्राधिकरण ने भू अर्जन अधिनियम 1984 में वर्णित प्राविधानों के अनुसार 16 गांव की 19 अधिसूचनाओं को एक किसान की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। इस चुनौती पर उच्च न्यायालय ने किसानों को 64.70 प्रतिशत की दर से मुआवजा और 10 प्रतिशत आबादी भूखंड देने का आदेश दिया। यही नहीं 21 अक्टूबर 2011 के आदेश क्रम में ऐसे किसान जिनकी याचिका खारिज कर दी गई या जो न्यायालय नहीं गए उनका निर्णय प्राधिकरण को लेने का निर्देश दिया गया।

न्यायालय के आदेश के बाद प्राधिकरण ने 191वीं बोर्ड बैठक में निर्णय लिया कि 10 प्रतिशत विकसित आबादी भूखंड (जिन्हें पूर्व में 5 प्रतिशत विकसित आबादी भूखंड मिल चुका है उन्हें अतरिक्त 5 प्रतिशत भूखंड) या इसके क्षेत्रफल के समतुल्य मुआवजा सिर्फ उन्ही किसानों को दिया जाएगा। जो उच्च न्यायलय के आदेश 21 अक्टूबर 2011 में शामिल हुए थे। प्राधिकरण ने माना कि ऐसे किसान जिन्होंने न्यायालय में चुनौती दी लेकिन उनकी याचिका को निरस्त कर दिया गया और ऐसे किसान जिन्होंने अधिसूचना को चुनौती ही नहीं दी। वे पात्र नहीं है।

इस प्रकरण में प्राधिकरण ने मार्च 2002 से मार्च 2014 तक के किसानों को नोएडा क्षेत्र में प्राधिकरण के पक्ष में अर्जन प्रक्रियाओं एवं बैनामें से हस्तांतरित हुई भूमि के सापेक्ष 64.70 प्रतिशत अतरिक्त मुआवजा दे दिया गया। इस निर्णय के बाद किसानों में आक्रोश भर गया। इसके बाद ऐसे किसान जो उस समय न्यायालय नहीं गए थे। उन्होंने याचिका दायर की। जिसे कोर्ट ने खरिज कर दिया।

दो वर्ष से चल रहा है विरोध प्रदर्शन

किसानों ने 2019-20 में 5 व 10 प्रतिशत विकसित भूखंड या इसके समतुल्य धनराशि की मांग को लेकर प्राधिकरण पर धरना दिया। किसानों ने मांग की कि 10 प्रतिशत के अतरिक्त भूखंड को प्राप्त करने के लिए कोर्ट की बाध्यता को समाप्त किया जाए। इसके अलावा 1997 से 2014 तक के सभी किसानों को 10 प्रतिशत भूमि या इसके समतुल्य मुआवजा दिया जाए। किसानों ने तर्क दिया कि न्यायालय के आदेश पर आपने जो किसान न्यायालय गए उनको 10 प्रतिशत जमीन दी।

लेकिन उसी दौरान हमारी जमीन भी अधिग्रहीत की गई। किसानों ने यह भी कहा जिन किसानों ने न्यायालय से याचिका वापस ली या जो आपके कहने पर न्यायालय नहीं गए उनको भी आपके द्वारा 5 प्रतिशत अतरिक्त प्लाट दिया गया। इस धरने के बाद पहली बार प्राधिकरण ने बोर्ड में किसानों से संबंधित प्रस्ताव भेजा गया जिसे बोर्ड ने निरस्त कर दिया।

2020-21 में भी किया था प्रदर्शन

आपको किसानों ने इसी मांग को लेकर 2020-21 में धरना प्रदर्शन किया था, जिसके बाद प्राधिकरण ने किसानों की मांग के अनुरूप 4 जनवरी 2021 को शासन को मांग पत्र भेज दिया। साथ ही 11 मार्च, 29 अक्टूबर 2022 और 14 मार्च 2023 को रिमाइंडर भी भेजा गया। जवाब नहीं आने पर किसानों ने जून 2023 से 19 सितंबर 2023 तक फिर प्राधिकरण पर लगातार धरना दिया। इस धरने में भी किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड को भी प्राथमिकता दी गई।

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