Tuesday, 7 May 2024

Twin Tower Noida : ध्वस्त हो गया ट्विन टावर, लेकिन मुखिया मोहिन्दर सिंह समेत सभी दोषी अफसरों पर कार्रवाई का इंतजार

Noida : नोएडा। उत्तर प्रदेश की औद्यौगिक राजधानी कहे जाने वाले नोएडा शहर(Noida city ) में 28 अगस्त को एक…

Twin Tower Noida : ध्वस्त हो गया ट्विन टावर, लेकिन मुखिया मोहिन्दर सिंह समेत सभी दोषी अफसरों पर कार्रवाई का इंतजार

Noida : नोएडा। उत्तर प्रदेश की औद्यौगिक राजधानी कहे जाने वाले नोएडा शहर(Noida city ) में 28 अगस्त को एक और काला अध्याय इतिहास के पन्नों में शुमार हो गया। 28 अगस्त को भ्रष्टाचार का एक ऐसा रावण ध्वस्त हुआ, जिसकी काली करतूतें सत्ता के रखवालों की रग-रग में समायी हुई हैं। भ्रष्टाचार (Corruption)  के इस दानव को समझने के लिए आपको थोड़ा पीछे ले चलते हैं। बात साल, 2006 की है। तब नोएडा प्राधिकरण के सीईओ थे सरदार मोहिन्दर सिंह। यह वही आईएएस अफसर हैं, जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती का ऐसा आशीर्वाद प्राप्त था कि पूरा उत्तर प्रदेश नोएडा से ही हांका जाता था।

भ्रष्टाचार की इस गगनचुंबी इमारतों के ध्वस्त होने के बाद रविवार की देर रात यूपी की योगी सरकार ने सुपरटेक ट्विन टावर के भ्रष्टाचार में शामिल नोएडा प्राधिकरण के 26 अधिकारियों की सूची जारी की है। इनमें से 06 अफसर मौजूदा समय में कार्यरत हैं। एक की मृत्यु हो चुकी है, जबकि 19 अधिकारी रिटायर हो चुके हैं। इस सूची में भी सबसे पहला नाम नोएडा प्राधिकरण के सीईओ सरदार मोहिन्दर सिंह का है। भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों में दो महिलाओं के भी नाम शामिल हैं।

इस मामले में कोर्ट के आदेश पर हुई उच्च स्तरीय जांच में नोएडा प्राधिकरण के 26 अफसरों को ट्विन टावर्स के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार में शामिल होने का दोषी पाया गया था। इस मामले में सुपरटेक कंपनी के भी चार निदेशक और दो आर्किटेक्ट को भ्रष्टाचार में शामिल पाया गया था। यहां इस बात का उल्लेख जरूरी है कि सुप्रीम अदालत के आदेश के 362 दिन बाद 28 अगस्त-2022 को ट्विन टावर को ध्वस्त किया गया। लेकिन, जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद अब तक अफसरों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो पाई।

नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर लगभग 200 करोड़ की लागत से बनाए गए ट्विन टावर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 28 अगस्त को ढहा कर टॉवर के निर्माता कंपनी सुपरटेक को सजा दे दी गई। लेकिन, यह सवाल अब भी ‘सुरसा’ की तरह मुंह बाए खड़ा है कि इस भ्रष्टाचार में शामिल पूर्व सीईओ सरदार मोहिन्दर सिंह समेत उन 26 सरकारी अफसरों को कब और कौन सजा देगा। और, यह भी कि अब तक इस मामले की सीबीआई जांच क्यों नहीं कराई गई। यह भी सवाल है कि जब जांच में ये अधिकारी पहले ही दोषी साबित हो चुके हैं, फिर सूची जारी करने का क्या औचित्य है और ऐसा कर सरकार क्या साबित करना चाहती है।

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