Sunday, 5 May 2024

चुनावी साल में वेतनभोगियों को टैक्स में राहत की उम्मीद

कर्मचारियों में एक ओर अच्‍छी सेलरी वाली नौकरी की विशेष ललक होती है तो दूसरी ओर उन्‍हें अपनी सेलरी पर लगने वाले टैक्‍स को बचाने की चिंता बराबर बनी रहती है।

चुनावी साल में वेतनभोगियों को टैक्स में राहत की उम्मीद

New Delhi News  नई दिल्‍ली। कर्मचारियों में एक ओर अच्‍छी सेलरी वाली नौकरी की विशेष ललक होती है तो दूसरी ओर उन्‍हें अपनी सेलरी पर लगने वाले टैक्‍स को बचाने की चिंता बराबर बनी रहती है। नया साल आते ही वेतनभोगी कर्मचारी लोग फिर इन्कम टैक्स में राहत की तैयारी करने लगते हैं। इधर मोदी युग के पिछले दस साल में हर जनवरी- फ़रवरी में कर्मचारियों को यही आशा बनी रहती है कि इस बार तो कोई न कोई राहत ज़रूर मिलेगी। लेकिन वेतनभोगियों की यह इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकी। छिटपुट कुछ नियम इधर- उधर किए जाते रहे लेकिन इनके कारण टैक्स का भार कभी कम नहीं हुआ। बड़ी चालाकी से एक तरफ़ अगर कोई छोटी-मोटी राहत दी तो दूसरी तरफ़ से कोई नया नियम लाकर उसे वापस ले लिया गया।

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चुनावी साल होने के कारण टैक्‍स छूट की उम्‍मीद बढ़ी

वेतनभोगियों की टैक्‍स छूट की मुराद इस बार चुनावी साल होने के कारण पूरी होती नजर आ रही है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम वर्ष भी होने के कारण  वेतनभोगियों की उम्मीदों को पंख लग चुके हैं। फ़िलहाल संभावना जताई जा रही है कि इन्कम टैक्स में अभी जो पचास हज़ार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन दिया जा रहा है, उसे बढ़ाकर एक लाख किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो ठीक ठाक राहत मिल सकती है। क्योंकि पचास हज़ार पर टैक्स का सीधा फ़ायदा तो मिलेगा ही। इसके कारण कुछ लोग जो बड़े टैक्स स्लैब में हैं, वे भी निचले टैक्स स्लैब में आ सकते हैं। उन्हें कुछ ज़्यादा फ़ायदा भी हो सकता है। चुनावी साल होने के कारण इसकी पूरी संभावना भी है।

टैक्‍स में ज्‍यादा राहत की उम्‍मीद पालना बेकार

इस मोदी सराकर से टैक्स में राहत की ज़्यादा उम्मीद नहीं पालना चाहिए क्योंकि इससे पहले भी चुनावी साल आ चुके हैं लेकिन मोदी सरकार ने कुछ भी राहत नहीं दी। मोदी सरकार अपना पहला कार्यकाल पूरा कर रही थी, लेकिन तब भी टैक्स राहत के नाम पर कुछ नहीं किया था। असल में इस सरकार ने चुनाव से पहले पहले कोई ना कोई ऐसा मुद्दा सामने ला देती है जिसके सहारे वह अपनी चुनावी वैतरणी पार कर लेती है। और अब अगले लोकसभा चुनाव में टैक्स राहत की बजाय सरकार या भारतीय जनता पार्टी अयोध्या और राम मंदिर मुद्दे पर ज़्यादा निर्भर रहेगी। वह इसे ही भुनाने की कोशिश करेगी। वैसे भाजपा या एनडीए के पास कोई न कोई ऐसा मुद्दा होता ही है जिसके भरोसे वह चुनावी वैतरणी पार कर ही लेती है। इसी कारण  भाजपा सरकार टैक्स में राहत देने की बहुत चिंता नहीं करती। क्‍योंकि उसे पता है कि उसके पास अभी राम मंदिर का मास्‍टर कार्ड है जिसके सहारे वह चुनावी वैतरणी पार करने का मन बनाए बैठी है।

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