Saturday, 4 May 2024

Lata Mangeshkar Death: जिस का जीतना हो आँचल यहां पर, उस को सौगात उतनी मिलेगी…काफी संघर्षों से भरा रहा लता मंगेशकर का जीवन

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का आज कोरोना के चलते 92 साल की उम्र में निधन हो गया । लता मंगेशकर (Lata…

Lata Mangeshkar Death: जिस का जीतना हो आँचल यहां पर, उस को सौगात उतनी मिलेगी…काफी संघर्षों से भरा रहा लता मंगेशकर का जीवन

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का आज कोरोना के चलते 92 साल की उम्र में निधन हो गया । लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका थीं, जिनका छ: दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालाँकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है। लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) भारत की उन नामचीन हस्तियों में से हैं जिन्होंने अपने हुनर से पूरी दुनिया को अपना दीवाना बनाया ही साथ ही साथ उनके जीवन यात्रा ने सभी को चौकाया भीलता की गायकी (Lata Mangeshkar) को एक चमत्कार की तरह देखा जाता रहा है। उनकी गायकी में वो आकर्षण था जो सदियों में एक बार ही किसी को प्राप्त होता है। इसी के साथ ही भारत रत्न लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। बताते चलें उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा । आज आपको उनके जीवन से जुड़े कुछ उनके जीवन से जुड़े कुछ अनसुने किस्से आपको शेयर करते हैं…

13 साल की उम्र में पिता का साया उठा
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था उनका बचपन अभावों में गुजरा। उनके सर से मात्र 13 साल की उम्र में पिता का साया उठ गया था। ये वो समय था जब लता के ऊपर परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी। जिसके बाद उन्होंने अपनी विधवा मां के साथ 3 बहनें और भाइयों के लिए काम की शुरुआत की। उन्होंने गायकी को ही अपने जीवान-यापन का जरिया बनाया।

5 साल की उम्र में पहला गाना गाया
लता(Lata Mangeshkar) ने मात्र 5 साल की उम्र से गायकी शुरू कर दी थी लेकिन घर पर कम उम्र में ही जिम्मेदारियों का बोझ पड़ने पर उन्होंने इसे प्रोफेशन बना लिया। उन्होंने गायकी की शुरुआत मराठी फिल्म में गाना गाकर किया था। उनका पहला गाना मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ का ‘नाचू या गड़े’ था इस गाने को संगीत दिया था सदाशिवराव ने दिया था। उनका पहला गाना ही फिल्म में नहीं चुना गया लेकिन इसके बाद भी उन्होंने मराठी फिल्मों में गाना जारी रखा।

कई बार रिजेक्ट हुईं थी
मास्टर गुलाम हैदर और लता (Lata Mangeshkar) से जुड़ा एक किस्सा बहुत चर्चित था। फिल्ममेकर शशधर मलिक एक ‘शहीद’ नाम की फिल्म बना रहे थे। जिसमें गुलाम हैदर संगीत दे रहे थे लेकिन जब उन्होंने लता(Lata Mangeshkar) की आवाज शशधर को सुनाई तब उन्होंने उनकी आवाज को बहुत पतला बताकर रिजेक्ट कर दिया था। जिसके बाद मास्टर गुलाम को ये बात चुभ गई और उन्होंने लता को स्टार बनाने की ठान ली।

दिल मेरा तोड़ा गाने से हुईं थी हिट
साल 1948 में लता को फिल्म ‘मजबूर’ में मास्टर गुलाम हैदर में एक गाना गवाया, गाने के बोल थे ‘दिल मेरा तोड़ा’, इसके बाद लता की किस्मत बदल गई। इस फिल्म के साथ-साथ इस फिल्म गीत और संगीत दोनों हिट हो गया। इसके बाद लता इंडस्ट्री की एक जानी मानी हस्ती बन गईं।

पिता जिंदा होते तो नहीं बनती सिंगर
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने एक इंटरव्यू के दौरान बड़ी दिलचस्प बात साझा की थी। उन्होंने बताया था कि उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर को बहुत समय तक पता ही नहीं था कि वो गाना गाती हैं। उन्होंने यहां तक कहा था, “पिताजी जिंदा होते तो मैं शायद सिंगर नहीं होती। गाना गाने पर कई बार उनकी मां से भी उन्हें डांट मिली थी।

शादी का जब सोचा तो जिम्मेदारियां ओर बढ़ गयी
पिता के गुजर जाने के बाद घर की सारी जिम्मेदारियां लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) पर आ गईं थीं। एक इंटरव्यू में लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने कहा था कि ‘घर के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी मुझ पर थी। ऐसे में कई बार शादी का ख्याल आता भी तो उस पर अमल नहीं कर सकती थी। बेहद कम उम्र में ही मैं काम करने लगी थी।  सोचा कि पहले सभी छोटे भाई बहनों को व्यवस्थित कर दूं। फिर बहन की शादी हो गई। बच्चे हो गए। तो उन्हें संभालने की जिम्मेदारी आ गई। इस तरह से वक्त निकलता चला गया।‘

किशोर कुमार से मुलाकात
लता मंगेशकर(Lata Mangeshkar) और किशोर कुमार (Kishor Kumar)ने एक साथ अनेक गीत गाए। हालांकि लता मंगेशकर और किशोर कुमार (Lata Mangeshkar and Kishor Kumar)की पहली मुलाकात बहुत ही अजीब थी। 40 के दशक में लता मंगेशकर(Lata Mangeshkar) ने फिल्मों में गाना शुरू किया था। तब वो लोकल ट्रेन पकड़कर स्टूडियो पहुंचती थीं। रास्ते में उन्हें किशोर कुमार मिलते थे लेकिन तब दोनों एक दूसरे को नहीं जानते थे। लता को किशोर की हरकतें बहुत अजीब लगती थीं। उस वक्त वो खेमचंद प्रकाश की एक फिल्म में गाना गा रही थीं। एक दिन किशोर कुमार उनके पीछे पीछे स्टूडियो पहुंच गए। तब लता ने खेमचंद से शिकायत की। खेमचंद ने उन्हें बताया कि ये तो अशोक कुमार का छोटा भाई किशोर है। फिर खेमचंद ने दोनों की मुलाकात करवाई।

मोहम्मद रफी से झगड़ा
60 के दशक में लता मंगेशकर(Lata Mangeshkar) , मुकेश और तलत महमूद ने रॉयल्टी लेने के लिए एक एसोसिएशन बनाई। उन्होंने रिकॉर्डिंग कंपनी एचएमवी और प्रोड्यूसर्स से मांग की कि गायकों को गानों के लिए रॉयल्टी मिलनी चाहिए लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। तब कुछ निर्माताओं और रिकॉर्डिंग कंपनी ने मोहम्मद रफी को समझाया कि क्यों सभी रॉयल्टी मांग रहे हैं। रफी ने कहा कि उन्हें रॉयल्टी नहीं चाहिए। उनके इस कदम से सभी गायकों को धक्का पहुंचा। लता और मुकेश ने रफी को बुलाकर समझाना चाहा लेकिन मामला उलझता ही चला गया। बैठक में लता और रफी के बीच बहस हो गई। दोनों ने एक साथ गाने से मना कर दिया था। इस तरह से साढ़े तीन साल तक यह झगड़ा चला।

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