Friday, 3 May 2024

Natural Farming Tips : टीएमयू के कृषि वैज्ञानिकों ने दिए नेचुरल फार्मिंग के टिप्स

नोएडा : (Natural Farming Tips by प्रो. श्याम सुंदर भाटिया) तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज (Tirthankar Mahaveer University…

Natural Farming Tips : टीएमयू के कृषि वैज्ञानिकों ने दिए नेचुरल फार्मिंग के टिप्स

नोएडा : (Natural Farming Tips by प्रो. श्याम सुंदर भाटिया) तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज (Tirthankar Mahaveer University College of Agricultural Sciences) की ओर से नानकबाड़ी गांव (Nanakbari Village) में आयोजित चौपाल चर्चा के फर्स्‍ट डे कॉलेज के कृषि वैज्ञानिकों (Agricultural scientists) और शिक्षाविदों ने नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) के तहत रसायन मुक्त प्राकृतिक तरीकों से खेती (chemical free natural farming) करने के तमाम टिप्स दिए.

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उल्लेखनीय है, टीएमयू की ओर से चार गांव- नानकबाड़ी, गिन्नौर, मनोहरपुर और औरंगाबाद गोद लिए हुए हैं. यूनिवर्सिटी का मकसद इन गांवों की सूरत और सीरत बदलना है. यूनिवर्सिटी का एग्रीकल्चर कॉलेज (Agriculture College) हमेशा इस मुहिम में बढ़चढ़ कर भाग लेता है. कृषि कॉलेज इन गांवों में समय-समय पर न केवल काश्तकारों को कृषि का सघन प्रशिक्षण (Intensive training in agriculture) देता है, बल्कि बीमार मिट्टी को सेहतमंद करने, मल्टीक्रापिंग, कीट प्रबंधन और पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट 2022 तक धरतीपुत्रों की आय दोगुनी करने के संग-संग पर्यावरण की दृष्टि से वृक्षारोपण के अलावा साक्षरता, केन्द्र और राज्यों की नीतियों के प्रति अवेयर भी करता है.

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चौपाल चर्चा में छात्र कल्याण निदेशक प्रो. एमपी सिंह, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक (Agricultural Scientist) प्रो. बलराज सिंह, डॉ. आशुतोष अवस्थी, श्री देवेन्द्र पाल सिंह, डॉ. अनिल कुमार चौधरी आदि के साथ-साथ नानकबाड़ी के प्रधान और बड़ी संख्या में काश्तकारों ने शिरकत की. चौपाल में सवाल-जवाब का दौर भी चला.

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उल्लेखनीय है, नेचुरल खेती की प्रक्रिया में मिट्टी के साथ कम से कम छेड़छेड़ की जाती है. उदाहरण के तौर पर फसल में अलग से किसी प्रकार की खाद या दवा का उपयोग नहीं होता है, क्योंकि खाद-दवा आदि प्रकृति के जरिए स्वयं ही प्राप्त हो जाती है. इससे न केवल फार्मर्स (Farmers) पर आर्थिक बोझ कम पड़ता है, बल्कि उत्पाद की गुणवत्ता भी उत्कृष्ट होती है. नेचर का भी संतुलन बना रहता है. यह दो दिनी चौपाल चर्चा 04 जनवरी को भी होगी. इसका प्रसारण न केवल डीडी किसान चैनल पर होगा बल्कि यू-ट्यूब (You Tube) पर भी देखा और सुना जा सकता है.

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