Thursday, 2 May 2024

Statue of Oneness- मध्यप्रदेश में बन रही आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा

Statue of Oneness- मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल जिले के ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई…

Statue of Oneness- मध्यप्रदेश में बन रही आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा

Statue of Oneness- मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल जिले के ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई जा रही है। 9 फरवरी 2017 को नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (MP CM Shivraj Singh Chouhan) ने इस प्रतिमा को बनाने का संकल्प लिया था। इस प्रतिमा को स्थापित करने का लक्ष्य साल 2023 में रखा गया है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए प्रतिमा के निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है।

108 फीट ऊंची होगी प्रतिमा –

मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में बन रही आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा 108 फीट ऊंची होगी, जिसे 54 फीट ऊंचे प्लेटफार्म पर स्थापित किया जाएगा। इस प्रतिमा को बनाने के लिए दो हजार करोड़ रुपए की लागत लगेगी। यह प्रतिमा आदिगुरु शंकराचार्य के बाल स्वरूप की होगी। प्रतिमा का निर्माण कंस्ट्रक्शन कंपनी, पर्यटन विकास निगम के जरिए किया जा रहा है।

ओंकारेश्वर से है आदि गुरु शंकराचार्य का खास रिश्ता –

मध्यप्रदेश में स्थित ओमकारेश्वर से आदि गुरु शंकराचार्य का एक बेहद खास रिश्ता है। यह आदि गुरु शंकराचार्य की दीक्षा स्थली है। गुरु शिष्य के सम्मान भरे रिश्ते की प्रतीक इस तीर्थ स्थली में शंकराचार्य के गुरु गोविंदपाचार्य की गुफा है। इस गुफा में आदि गुरु शंकराचार्य को मां नर्मदा को अपना कमंडल लेते हुए दिखाने वाली एक मूर्तियां स्थापित की गई। ओंकारेश्वर आने वाले श्रद्धालुओं को सबसे पहले गोविंदपाचार्य की मूर्ति के ही दर्शन प्राप्त होते हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार नर्मदा नदी में बाढ़ आने से उसका पानी गोविंदपाचार्य की गुफा तक पहुंच चुका था। उस समय गोविंदपाचार्य गुफा के अंदर तपस्या कर रहे हैं। उस समय गुरु की तपस्या भंग ना हो इसलिए शंकराचार्य ने मां नर्मदा से शांत हो जाने की प्रार्थना की थी। उसी समय मां नर्मदा शंकराचार्य के कमंडल में समा गई थी। इसके बाद से ही इस गुफा की महत्वता और भी अधिक बढ़ गई है।

हिंदू धर्म के रक्षक थे शंकराचार्य-

हिंदू धर्म के रक्षक आदि गुरु शंकराचार्य का उल्लेख शास्त्रों में भी किया गया है। सनातन धर्म में इन्हें शिव का अवतार माना जाता है। उन्होंने वेदों में लिखे ज्ञान का प्रचार प्रसार किया है, और भारत के चार कोनों में चार मठों की स्थापना की है। 8 वर्ष की अवस्था में ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के ठीक नीचे इन्होंने गोविंदाचार्य से दीक्षा लेकर सन्यास ग्रहण किया था। इसके बाद वाराणसी होते हुए बद्रिकाश्रम तक पैदल यात्रा की थी। 16 वर्ष की आयु में बद्रिकाश्रम में इन्होंने ब्रह्मसूत्र विषय पर भाष्य लिखा था।

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