Greater Noida News : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में स्थित ग्रेटर नोएडा वेस्ट, लगभग 3,635 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। सोलह से अधिक गुर्जर बहुल गांवों को समाहित करते हुए यह उपनगर एक दशक में एक लाख से बढ़कर बारह लाख की आबादी वाला घनी बस्ती में तब्दील हो चुका है। वर्ष 2025 तक यह जनसंख्या 15 लाख के आंकड़े को पार कर सकती है। इसके बावजूद आज भी इस क्षेत्र के लाखों निवासी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।
सस्ते मकानों का सपना
दिल्ली और एनसीआर के महंगे प्रॉपर्टी रेट्स से परेशान होकर हजारों मध्यवर्गीय परिवार और सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बसे। यहां की ऊंची-ऊंची इमारतों में रहने का सपना तो पूरा हो गया, लेकिन सुविधाएं नदारद हैं। सीजीएचएस (CGHS) डिस्पेंसरी, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और एलोपैथिक इलाज की सुविधाएं यहां नहीं हैं। सार्वजनिक परिवहन, मेट्रो, रैपिड मेट्रो, मेट्रो फीडर सेवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।
CGHS कार्डधारक वरिष्ठ नागरिकों की बेबसी
यहां रहने वाले हजारों वरिष्ठ नागरिक जो केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से सेवानिवृत्त हुए हैं स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से जूझ रहे हैं। इलाज, दवाओं के लिए उन्हें नोएडा सेक्टर 82, सेक्टर 11 या ग्रेटर नोएडा की डिस्पेंसरी तक पंद्रह से बीस किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। आने-जाने में 400 से 500 रुपये खर्च करना आम बात है।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बिना जिंदगी कठिन
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में कोई भी सार्वजनिक परिवहन सेवा नहीं है। लोगों को रोजमर्रा के काम या नौकरी के लिए दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद आदि शहरों में जाना होता है। कैब या ऑटो ही एकमात्र साधन है, जो आम आदमी की जेब पर भारी पड़ता है। एक ओर बिल्डर लगातार नए प्रोजेक्ट्स बना रहे हैं, फ्लैट और शॉपिंग मॉल बेच रहे हैं, दूसरी ओर प्रशासन नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं की अनदेखी कर रहा है। फ्लैट खरीदारों को दशकों से आवागमन सुविधाओं का सपना दिखाया जा रहा है। लाखों रुपये टैक्स वसूलने के बावजूद सरकारें इस क्षेत्र के विकास में उदासीन बनी हुई हैं।
कई बार लगाई गई गुहार
स्थानीय निवासी, वरिष्ठ नागरिकों के प्रतिनिधिमंडल सांसद डॉ. महेश शर्मा और विधायक पंकज सिंह के माध्यम से कई बार स्वास्थ्य और परिवहन सुविधाओं की मांग शासन-प्रशासन से की गई है। लेकिन आश्वासनों के सिवा आज तक कुछ नहीं मिला। यहां उत्तराखंड, बिहार, पूर्वांचल और गुर्जर समुदायों की बड़ी आबादी निवास करती है। सभी की समस्याएं एक जैसी हैं बुनियादी सुविधाओं की कमी। यदि सरकार इच्छाशक्ति दिखाए तो CGHS डिस्पेंसरी, सार्वजनिक परिवहन, मेट्रो फीडर और बस सेवाएं शुरू कर इस क्षेत्र को राहत दी जा सकती है। Greater Noida News