Monday, 9 December 2024

नोएडा हिन्‍दी खबर,  07 नवंबर के अखबारों से, एक साथ पढ़ें

Noida News: नोएडा उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध शहर है। हर कोई नोएडा के विषय में जानना चाहता है। यहां नोएडा…

नोएडा हिन्‍दी खबर,  07 नवंबर के अखबारों से, एक साथ पढ़ें

Noida News: नोएडा उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध शहर है। हर कोई नोएडा के विषय में जानना चाहता है। यहां नोएडा के प्रतिदिन के सभी समाचार अखबारों के हवाले से हम समाचार प्रकाशित करते हैं। नोएडा शहर से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों में 07 नवंबर को क्या खास समाचार प्रकाशित हुए हैं यहां एक साथ पढऩे को मिलेंगे।

Noida News:

समाचार अमर उजाला से

अमर उजाला अखबार ने अपने नोएडा संस्करण में मुख्य समाचार “दिवाली पर रियल एस्टेट सेक्टर में सात हजार करोड़ का कारोबार, गौतमबुद्ध नगर में 16512 लोगों ने करवाई रजिस्ट्री, 513 करोड़ का राजस्व मिला” शीर्षक से प्रकाशित किया है। इस समाचार में बताया गया है कि इस दिवाली पर लोगों ने सोना और गाड़ी के साथ-साथ जमीन, फ्लैट और प्लॉट भी जमकर खरीदे। अक्तूबर के त्योहारी सीजन में 16512 लोगों ने जिले में संपत्ति खरीदी। इनमें फ्लैट खरीदार भी शामिल हैं। इससे प्रशासन को 513 करोड़ रुपये का राजस्व मिला। जबकि खरीदी गई संपत्तियों की कीमत करीब 7000 करोड़ से अधिक बताई जा रही है। अहम है कि वहीं पिछले वर्ष दिवाली के आसपास 9792 लोगों ने संपत्तियां खरीदी थी। जिससे जिला प्रशासन को 255 करोड़ का राजस्व मिला था।

इस दिवाली पर जिले में करीब 2000 करोड़ से अधिक की खरीदारी हुई, लेकिन इस बार लोगों ने संपत्ति भी जमकर खरीदी हैं। अक्तूबर में सबसे ज्यादा 6452 रजिस्ट्री दादरी सब रजिस्ट्रार कार्यालय में हुई। जबकि ग्रेटर नोएडा के गामा-2 स्थित सब रजिस्ट्रार सदर के कार्यालय में 4488 ज्यादा 6452 रजिस्ट्री दादरी सब रजिस्ट्रार कार्यालय में हुई। जबकि ग्रेटर नोएडा के गामा-2 स्थित सब रजिस्ट्रार सदर के कार्यालय में 4488 रजिस्ट्री हुई। नोएडा के तीनों सब रजिस्ट्रार कार्यालय में 4492 रजिस्ट्री हुई थी। उधर जेवर कार्यालय में 1080 रजिस्ट्री हुई। जबकि वहां अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट आने के कारण सबसे ज्यादा संपत्ति खरीदी जा रही हैं विभागीय अफसरों का कहना है कि अक्तूबर की रजिस्ट्री से 513 करोड़ रुपये का राजस्व मिला।

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अमर उजाला अखबार ने अपने नोएडा संस्करण में मुख्य समाचार “बड़ी तादाद में जुटेंगे श्रद्धालु, नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने शहर में बनाए 40 कृत्रिम तालाब, 500 से अधिक स्थानों पर दिया जाएगा अर्घ्य” शीर्षक से प्रकाशित किया है। इस समाचार में बताया गया है कि गौतमबुद्ध नगर के 500 से अधिक स्थानों पर श्रद्धालु बृहस्पतिवार शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे। श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए नोएडा में 17 और ग्रेटर नोएडा में 23 कृत्रिम तालाबों का निर्माण किया गया है। इसके अलावा, विभिन्न स्थानों पर छठ पूजा समितियों ने भी अस्थायी जलाशय भी तैयार किए हैं।

जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने बुधवार को कालिंदी कुंज घाट पर निरीक्षण किया। उन्होंने श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए। मौके पर सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने और यमुना नदी के किनारे बैरिकेडिंग के निर्देश दिए गए। जिससे लोगों को गहरे पानी में जाने से रोका जा सके।

पूर्वांचल मित्र मंडल छठ पूजा समिति के मुताबिक सिर्फ कालिंदी कुंज में एक लाख से भी अधिक लोगों के आने की संभावना है। वहीं सूर्य पूजा समिति की ओर से सेक्टर-75 में कृत्रिम तालाब को तैयार किया गया है। वहीं सेक्टर 21-ए स्थित नोएडा स्टेडियम में भी 160 फुट लंबे कृत्रिम जलाशय को भी तैयार कर लिया गया है।

Hindi News:

Noida News: अमर उजाला ने 07 नवंबर 2024 के अंक में प्रमुख समाचार “ट्विन टावर : जांच में आरोपी 12 अधिकारियों ने रखा अपना पक्ष, ग्रेनो प्राधिकरण के एसीईओ हैं जांच अधिकारी, 12 अधिकारियों के खिलाफ चल रही जांच”  शीर्षक से प्रकाशित किया है। इस समाचार में बताया गया है कि सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी सेक्टर-93ए में अवैध ट्विन टावर खड़े करवाने के आरोपी नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों ने विभागीय जांच में अपना पक्ष और दस्तावेज दे दिए हैं। यह विभागीय जांच 12 अधिकारियों के खिलाफ चल रही है। शासन की मंजूरी के बाद इनको आरोप पत्र जारी हुए थे। पहले यह आरोपी अधिकारी जवाब देने से बच रहे थे और जांच में शामिल भी नहीं हो रहे थे। जांच अधिकारी की तरफ से जुलाई में नोटिस जारी किए जाने के बाद सभी ने आरोप पत्र के मुताबिक अपना पक्ष रखा और लिखित में भी जवाब दिया है। जांच अधिकारी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ सौम्य श्रीवास्तव ने आगे की जांच में सहयोग के लिए शासन से एक तकनीकी अधिकारी दिए जाने की मांग की है।

इस प्रकरण में एसआईटी जांच के बाद नोएडा प्राधिकरण ने विजिलेंस लखनऊ में तत्कालीन 24 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर करवाई थी। एसआईटी ने त्रिस्तरीय कार्रवाई की सिफारिश की थी। इसमें एक एफआईआर, दूसरा न्यायालय में अभियोजन दायर किए जाने और तीसरी कार्रवाई विभागीय जांच की है। विभागीय जांच को 12 आरोपी अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र जारी करने की मंजूरी शासन से मिली के एसीईओ प्रवीण मिश्रा ने की। फिर उनके ट्रांसफर के बाद जांच शासन स्तर से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ सौम्य श्रीवास्तव थी। यह विभागीय जांच पहले नोएडा प्राधिकरण के पास पहुंची है।

Noida News: अमर उजाला ने 07 नवंबर 2024 के अंक में प्रमुख समाचार “32 लाख की बोली लगी 3.74 लाख में बिका नंबर, वीआईपी नंबरों की बिडिंग में फेक बिडरों का कब्जा, नई सीरीज में भी लगाई फर्जी बोली”  शीर्षक से प्रकाशित किया है। इस समाचार में बताया गया है कि ईपी सीरीज का 0001 नंबर पूरे एक माह बाद केवल 3.74 लाख रुपये में बिका। जबकि इसके लिए 32 लाख रुपये की बोली लगाई गई थी। फेक बिडिंग के चलते इस नंबर को इतने कम रुपयों में खरीदा गया। इस नंबर के लिए 12 बिडरों ने बोली लगाई थी। करीब एक माह तक इस नंबर को खरीदने के लिए जद्दोजहद चलती रही। अंत में 11 बिडरों ने अपने हाथ पीछे खींच लिए। अब यह नंबर 3.74 लाख रुपये में बिका। हर बार की तरह इस बार भी आखिर में यह नंबर अपनी बोली से कई लाख सस्ते में बिका। विभाग को इससे 28.26 लाख रुपये का नुकसान भी हुआ। इसके बाद भी फेक बिडरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। यही स्थिति कई और नंबरों की भी हुई है। अहम है कि परिवहन विभाग ने 348 नंबरों को वीआईपी श्रेणी में रखा है। नियमानुसार नीलामी के लिए प्रत्येक नंबर पर कम से कम तीन-तीन लोगों का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। यदि किसी नंबर पर तीन से कम बोलीदाता हैं तो वह नंबर नीलाम नहीं किया जा सकता है। इस बार 25 नंबरों की नीलामी में लोगों ने भाग लिया था। जानकारों के अनुसार यूपी 16 ईपी 0001 नंबर के इतना सस्ता बिकने के पीछे फर्जी बोली का लगना है। बोली में शामिल फेक बिडर नंबर को अधिकतम रकम पहुंचाने के लिए ज्यादा बोली लगाते हैं ताकि कोई दूसरा व्यक्ति नंबर नहीं ले सके। इसके तहत अधिकतम बोली लगाने वाला बाद में राशि जमा नहीं करता, ऐसे में दूसरे स्थान पर कम बोली लगाने वाले को नंबर आवंटित कर दिया जाता है।

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समाचार दैनिक जागरण से

Noida News: दैनिक जागरण के नोएडा संस्करण में 07 नवंबर 2024 का प्रमुख समाचार “कैंसर ग्रस्त सात माह की बच्ची का सफल इलाज” शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। इस समाचार में बताया गया है कि सेक्टर-30 स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ चाइल्ड हेल्थ (चाइल्ड पीजीआइ) में पहली बार सबसे छोटी सात माह की कैंसर से ग्रस्त बच्ची के सफल आपरेशन का रिकार्ड बना है। पीडियाट्रिक हीमेटो-आन्कोलाजी विभाग की एचओडी प्रो. डा. राधाकृष्णन और ब्लड बैंक ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन व ब्लड बैंक विभाग के प्रो. डा. सत्यम अरोड़ा के साथ 25 विशेषज्ञों की टीम को यह उपलब्धि हासिल हुई है। कैंसर से जंग लड़ रही सात माह की मासूम को उसके माता-पिता करीब छह माह पहले जांच कराने के लिए लेकर अस्पताल पहुंचे थे।

मासूम बच्ची दिल्ली की रहने वाली है। डाक्टरों ने छह घंटे के मुश्किल समय में बच्चे के खून से सेल्स को निकालकर उसमें सफलता हासिल की है। डा. सत्यम अरोड़ा ने बताया कि अभी तक अस्पताल में 20 से ज्यादा बच्चों का बोनमेरो ट्रांसप्लांट हो चुका है। चाइल्ड पीजीआइ में इससे पहले एक साल से ऊपर के बच्चे का आपरेशन हुआ है। डाक्टरों का दावा है कि पश्चिमी उप्र के तमाम सरकारी अस्पतालों में चाइल्ड पीजीआई की यह सबसे बड़ी उपलब्धि है। दिल्ली में एम्स में इतने छोटे बच्चे का आपेरशन होने की जानकारी नहीं हैं।

डा. राधा कृष्णनन ने बताया कि सात माह की बच्ची को न्यूरो ब्लास्टोमा कैंसर हो गया था। दस किलो या एक साल से छोटे बच्चे के खून में सेल्स को निकालना काफी चुनौतीपूर्ण होता है, जबकि इस बच्ची की उम्र सात माह और वजन छह किलो 400 ग्राम है। बच्ची के खून में सेल्स को निकालने के आटोलोगस किया गया था। इसके लिए ब्लड बैंक में डा सत्यम अरोड़ा की टीम को तैयार किया गया। सबसे महत्वपूर्ण है कि आटोलोगस में सेल्स को निकालने के लिए तेज कीमो देनी पड़ती है लेकिन इसमें बच्ची की जान को खतरा हो सकता था। ऐसे में डाक्टर सत्यम अरोड़ा और उनकी टीम ने छह घंटे की सर्जरी में बच्ची के खून से सेल्स को निकाला। उसके बाद सेल्स को फ्रीज में 18 डिग्री तापमान में रखा गया। करीब 18 दिन बाद खून में परिवर्तन होने के बाद दवाइयों के साथ खून को चढ़ाया गया। इस बीच बच्ची को अलग से खून चढ़ा रहे थे। उनके मुताबिक, 25 लोगों की टीम ने बच्ची के खून से कैंसर के सेल्स को निकालकर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह चाइल्ड पीजीआई के इतिहास में सबसे छोटी बच्ची है। दीपावली पर बच्ची को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उसे घर भेज दिया गया। हालांकि, टीम एक साल तक बच्ची की निगरानी रखेगी। डा. राधाकृष्णनन और डा सत्यम अरोड़ा की टीम की इस उपलब्धि पर अस्पताल के निदेशक डा अरुण कुमार सिंह और मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. आकाश राज ने बधाई दी।

Noida News: दैनिक जागरण के 07 नवंबर 2024 के अंक में अगला प्रमुख समाचार “माइक्रो सरफेसिंग की गुणवत्ता का आकलन शुरू” शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। इस समाचार में बताया गया है कि सड़क जल्दी उखड़ने और रीसरफेसिंग करने पर ऊंचाई बढ़ने की समस्या को शहर में देखा जा रहा है। इसका स्थाई निदान करने के लिए अब प्राधिकरण सड़क बनाने की तकनीक में बदलाव करने जा रहा है सड़कों को रीसरफेसिंग की जगह अब माइक्रो सरफेसिंग के जरिये बनाया जाएगा। माइक्रो सरफेसिंग कैसे की जाती है, यह किस तरह से उपयोगी होगी, इसका परीक्षण करने के लिए प्राधिकरण ने 16 अक्टूबर को सेक्टर-6/7 के बीच की 100 मीटर सड़क पर माइक्रो सरफेसिंग कराई थी। इसका परीक्षण बुधवार को प्राधिकरण अधिकारियों ने शुरू करा दिया है। इसकी पानी से धुलाई कराई गई। अब 6 से 8 दिन तक सड़क की गुणवत्ता का परीक्षण किया जाएगा। विभिन्न परिस्थितियों में बिछाई गई नई  सतह की स्थिति क्या रहती है। इसके लिए सड़क पर पानी डाला जाएगा। भारी वाहन गुजारे जाएंगे। जांच के बाद इस तकनीक से सड़क बनाने के लिए प्राधिकरण टेंडर जारी करेगा। शुरुआत में पांच सड़कों पर माइक्रो सरफेसिंग कराई जाएगी।

ये है माइक्रो सरफेसिंग तकनीकः माइक्रो सरफेसिंग तकनीक से बनी सड़कें अधिक सुरक्षित होती हैं। सड़क पर दरारें आसानी से नहीं आती हैं। इसमें गड्ढे भी कम होते हैं। इसमें मशीन के जरिये डामर, मोटी पिसी गिट्टी व अन्य सामग्री का मिश्रण तैयार किया जाता है। फिर मशीन के जरिये इस मिश्रण को सड़क पर बिछा दिया जाता है। सामान्य रीसरफेसिंग की तुलना में माइक्रो सरफेसिंग की लागत करीब 200 रुपये वर्ग फुट कम आती है। रीसरफेसिंग में सड़क की ऊंचाई 80 एमएम बढ़ती है, लेकिन माइक्रो सरफेसिंग में सिर्फ 8-10 एमएम ही बढ़ेगी। अभी प्राधिकरण में व्यवस्था यह है कि सड़कों की रिसरफेसिंग ही करवाई जा रही है। सड़कों की ऊंचाई ज्यादा न बढ़ जाए इसके लिए प्राधिकरण पुरानी सड़क की परत काटकर उखड़वाता है। फिर दो परत बिछाई जाती हैं, जिसमें पहली परत बिटुमिन और दूसरी मैस्टिक की रहती है।

इन दोनों की ऊंचाई 80 एमएम या इससे ऊपर भी पहुंच जाती है। माइक्रो सरफेसिंग में यह समस्याएं नहीं आएंगी। दावा किया गया कि यदि सड़क के किनारों की. संरचना सही है और नीचे मोटी गिट्टी की परत बची है तो आसानी से माइक्रो सरफेसिंग के जरिये सड़क की मरम्मत हो जाएगी।

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