Thursday, 2 May 2024

Corona Virus : भारतीय वैज्ञानिकों के हाथ लगी मास्टर की, इससे खुलेगा कोरोना के हर वैरियंट का ताला

Toronto : टोरंटो। कोरोना वायरस (Corona Virus) के सफाये की दिशा में भारतीय वैज्ञानिकों (Indian scientists) को बड़ी कामयाबी हाथ…

Corona Virus : भारतीय वैज्ञानिकों के हाथ लगी मास्टर की, इससे खुलेगा कोरोना के हर वैरियंट का ताला

Toronto : टोरंटो। कोरोना वायरस (Corona Virus) के सफाये की दिशा में भारतीय वैज्ञानिकों (Indian scientists) को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। उन्होंने कोरोना वायरस (Corona Virus) के कमजोर नस को ढूंढ निकाला है। उनके हाथ एक ऐसी चाबी लगी है, जो कोरोना के किसी भी वैरियंट के ताले को खोलने में सक्षम होगी। यानि इसे मास्टर की (master key) भी कह सकते हैं। अब उम्मीद जताई जा रही है कि कोरोना वायरस को खत्म करने का हथियार मिल जाएगा। कोरोना वायरस के खिलाफ इंसानों की जंग में अब तक सिर्फ वैक्सीन (Vaccine) ही सामने आए हैं, जिससे इंसानों की जान बच रही है।

भारतीय मूल के एक शोधकर्ता के नेतृत्व में एक टीम ने सार्स-कोव-2 के सभी प्रमुख वेरिएंट्स (Variants) के कमजोर स्पॉट की खोज कर ली है, जिसकी वजह से अब कोरोना वायरस को काफी आसानी से खत्म किया जा सकता है। यानि, अब उन दवाओं का काफी आसानी से निर्माण किया जा सकता है, जिसके खाने के बाद इंसानों के शरीर में मौजूद कोरोना का वायरस खत्म हो जाएगा और इंसान इस जानलेवा वायरस से बच जाएगा। कोरोना वायरस (Corona Virus) के कमजोर स्पॉट को खोजने वाले रिसर्चर्स ने कहा कि अब एंटीबॉडी (Antibodies) के जरिए सीधे कोरोना वायरस के कमजोर स्पॉट को हम निशाना बना सकते हैं और उसे फौरन खत्म कर सकते हैं। इसका मतलब ये हुआ कि अब कोरोना वायरस का असल इलाज मिलने के रास्ते खुल गये हैं, जो इसके सभी प्रकार के वेरिएंट्स पर प्रभावी होंगे। वैज्ञानिकों के इस रिसर्च को नेचर कम्युनिकेशंस (Nature Communications) नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इस स्टडी के मुताबिक, क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (क्रायो-ईएम) का उपयोग वायरस के स्पाइक प्रोटीन के कमजोर स्थान को खोजने के लिए किया गया, इसमें वायरस के परमाणु-स्तर की संरचना को खोजा गया, से एपिटोप-या भाग के रूप में जाना जाता है, जो खुद को इंसानों के शरीर में मौजूद एंटीबॉडी से खुद को जोड़ लेता है।

रिसर्च टीम के प्रमुख सुब्रमण्यम ने कहा कि इस रिसर्च के दौरान उस कमजोर जगह का पता लगा लिया गया है, जिससे हम वायरस को खत्म कर सकते हैं। रिसर्च के दौरान देखा गया है कि ये स्पॉट बड़े पैमाने पर हर तरह के वेरिएंट में अपरिवर्तित रहता है, यानि बदलता नहीं है, जिसे एक एंटीबॉडी के टुकड़े से बेअसर किया जा सकता है। लिहाजा, अब पूरी दुनिया में इलाज के एक रास्ते का डिजाइन मिल गया है, जो संभावित तौर पर बहुत सारे कमजोर लोगों की मदद कर कर सकता है। डॉ. सुब्रमण्यम ने कहा कि एंटीबॉडी इस तरह से काम करता है, जैसे ताले के अंदर चाबी डाला जाता है और ताला खुल जाता है, उसी तरह से एंटीबॉडी भी वायरस के अंदर जाता है और वायरस को खत्म कर देता है, लेकिन जब ये वायरस अपना स्वरूप बदल लेता है, यानि अपना नया वेरिएंट तैयार कर लेता है, तो फिर वो एंटीबॉडी नाम का वो चाबी, वायरस नाम के ताले में नहीं जा पाता है, क्योंकि उस ताले का स्वरूप बदल चुका होता है, लिहाजा हम मास्टर कुंजी की तलाश कर रहे हैं, जो एंटीबॉडी के व्यापक उत्परिवर्तन होने के बाद भी वायरस को बेअसर करना जारी रखते हैं।

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