Friday, 3 May 2024

भारी मुसीबत में हैं हमारे पड़ोसी पाकिस्तान की जनता, भारत की पैनी नजर

Pakistan News : दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से हमारे देश भारत में से कटकर पाकिस्तान बना था। अब पाकिस्तान हमारा पड़ोसी देश…

भारी मुसीबत में हैं हमारे पड़ोसी पाकिस्तान की जनता, भारत की पैनी नजर

Pakistan News : दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से हमारे देश भारत में से कटकर पाकिस्तान बना था। अब पाकिस्तान हमारा पड़ोसी देश है। अनेक मौकों पर पाकिस्तान की चर्चा विभिन्न कारणों से होती रही है। आज हमारे इस पड़ोसी देश पाकिस्तान की हालत बेहद दयनीय हो गई है। पाकिस्तान की जनता भारी मुसीबत में है। ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान का वजूद ही समाप्त हो जाएगा ? इस सवाल के जवाब में ज्यादातर बुद्धिजीवी कहते हैं कि यदि हालत नहीं बदले तो जल्दी ही पाकिस्तान का वजूद समाप्त हो जाएगा।

Pakistan News in hindi

दुर्गति हो गई है पाकिस्तान की

वैसे तो पाकिस्तान के हालात पर अनेक अंतर्राट्रीय स्तर के पत्रकार समाचार तथा लेख लिखते रहे हैं। पाकिस्तान के ऊपर सबसे सटीक विश्लेषण जाने-माने पत्रकार कुलदीप तलवार का होता है। चेतना मंच समाचार समूह के साथ कुलदीप तलवार का पुराना रिश्ता रहा है। उन्होंने पाकिस्तान के हालात पर एक ताजा विश्लेषण किया है। नीचे हम आपको पढ़वा रहे हैं पाकिस्तान के वर्तमान हालात पर वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप तलवार का सारगर्भित विश्लेषण।

भारी मुसीबत में है पाकिस्तान

पाकिस्तान में आगामी आठ फरवरी को आम चुनाव होने जा रहे हैं, जबकि देश की जनता भारी मुश्किलों में फंसी हुई है। वहां महंगाई आसमान छू रही है। जमाखोरी और मुनाफाखोरी बढ़ रही है। पाकिस्तान पर 63,399 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। चीन के अलावा कहीं और से उसे उधार भी नहीं मिल रहा है। पाकिस्तान ने जिन आतंकियों को पाला है, वे भी सक्रिय हैं। इसके अलावा पाकिस्तान ने भारत, ईरान और अफगानिस्तान जैसे अपने पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते खराब कर लिए हैं, जिसके चलते उसकी मुश्किलें बढ़ रही हैं।

बताया जा रहा है कि चुनाव के मद्देनजर इस्लामाबाद की चार यूनिवर्सिटी को भी बंद कर दिया गया है। भारी संख्या में अर्ध सैनिक बल तैनात करके सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से प्रचार में लगी हुई हैं। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के मुखिया इमरान खान जेल में हैं। उनकी पार्टी का चुनाव चिह्न बल्ला छीन लिया गया है। उनके उम्मीदवार स्वतंत्र तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।

पाक सेना का नवाज को समर्थन

पहले भी केंद्र की सत्ता में रह चुकी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो का दावा है कि उनकी पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र रोटी, कपड़ा और मकान से ही जुड़ा हुआ है। यदि पीपीपी जीतती है, तो बिलावल ही प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे। आम ख्याल यह है कि मतदाता पीपीपी को भरपूर वोट देंगे, क्योंकि इस पार्टी के नेताओं ने बड़ी कुर्बानियां दी हैं और पाकिस्तान के लोग उन्हें भूले नहीं हैं। लेकिन दुनिया भर की निगाहें नवाज शरीफ पर लगी हैं, जिन्हें मुल्क की अदालतों ने भ्रष्टाचार के सभी आरोपों से बरी कर दिया है।

बताया जाता है कि पाकिस्तान की सेना अनौपचारिक रूप से नवाज शरीफ का समर्थन कर रही है। यानी सेना किसी भी सूरत में नवाज शरीफ को सत्ता दिलाने की कोशिश करेगी। कुछ समय पहले नवाज शरीफ कह चुके हैं कि ‘कश्मीर का मसला इस्लामाबाद शालीनता के साथ हल करना चाहता है। हमारे देश की समस्याएं न तो भारत की देन हैं और न अमेरिका की। हमने अपने पांव पर खुद ही कुल्हाड़ी मारी है। मगर अब नवाज शरीफ की पार्टी मुस्लिम लीग (नवाज) ने जो चुनावी घोषणा पत्र जारी किया है, उसमें भारत से कश्मीर को लेकर अगस्त, 2019 का फैसला वापस लेने के लिए शर्त लगाई है, लेकिन उनकी यह शर्त कभी पूरी नहीं होगी।

ईरान से पाकिस्तान की ठनी

इस चुनावी गहमागहमी के बीच ईरान से पाकिस्तान की ठन गई है, जबकि कुछ दिनों पहले तक दोनों अच्छे मित्र थे। अचानक पाकिस्तानी आतंकवादियों ने ईरान पर मिसाइल से हमला कर दिया और फिर अगले दिन ईरान ने जवाबी कार्रवाई की। इससे दोनों देशों में जान-माल का भारी नुकसान हुआ। इसके तुरंत बाद दोनों ने इस विवाद को आपसी बातचीत से सुलझाने की घोषणा कर दी। इस घटना से पूरी दुनियाँ हैरान रह गई, क्योंकि ईरान सरकार को इस साल कई अंतरराष्ट्रीय विवादों से निपटना है।

अफगानिस्तान के साथ रिश्ते खराब

भारत से तो पाकिस्तान के रिश्ते खराब हैं ही, अफगानिस्तान के साथ रिश्ते भी निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। पाकिस्तान में करीब 40 लाख अफगान नागरिक हैं, जिनमें 17 लाख अवैध रूप से रह रहे हैं। पाकिस्तान ने अवैध अफगानियों को वापस भेजना शुरू कर दिया है और अब तक पांच लाख अफगानी वापस भेजे भी जा चुके हैं। चूंकि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के पास भी उनको खिलाने-रखने का माकूल इंतजाम नहीं है, इसलिए दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ी है।

इसके अलावा दोनों मुल्कों के बीच तनाव का एक और कारण डूरंड रेखा है। डूरंड रेखा अफगानिस्तान व पाकिस्तान के बीच 2,430 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा है। पिछली सरकारों की तरह अफगान की मौजूदा सरकार डूरंड रेखा को सीमा के रूप में मान्यता देने की तैयार नहीं है। सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों और तालिबान के बीच अक्सर झड़पें होती रहती हैं। इसे हल किए बगैर दोनों देशों के संबंधों में सुधार नहीं आ पाएंगा। उम्मीद करनी चाहिए कि पाकिस्तान में जो नई सरकार सत्ता में आएगी, वह लोकतंत्र के नाम पर आतंक के घिनौने खेल को इजाजत नहीं देगी और जनता के गंभीर मसलों को दूर करेगी, अन्यथा पाकिस्तान में अस्थिरता व अनिश्चितता जारी रहेगी। अब देखना है कि पाकिस्तान की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है !

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