Friday, 3 May 2024

संदेश सिर्फ एक मिठाई ही नहीं इसमें छिपी है रिश्तों और त्योहारों की मिठास इसमे दिखाई देती हैं बंगाल की संस्कृति

Bengali Sandesh Sweet : जब भी हम किसी खुशी को जाहिर करतें हैं या रिशतेदारों से मिलने जातें हैं तो…

संदेश सिर्फ एक मिठाई ही नहीं इसमें छिपी है रिश्तों और त्योहारों की मिठास इसमे दिखाई देती हैं बंगाल की संस्कृति

Bengali Sandesh Sweet : जब भी हम किसी खुशी को जाहिर करतें हैं या रिशतेदारों से मिलने जातें हैं तो सबसे पहलें मुह मीठा कराते हैं ।उस मिठाई के डिब्बे मे ढ़ेर सारी खुशियां और हमारी भावनाएं जुड़ी रहती हैं ।यह हमारे भरतीय परंपरा का हिस्सा है की किसी भी शुभ दिन की शुरुआत चाहे वो कोई त्यौहार हो ,शादी समारोह हो या फिर किसी प्रकार की कोई पूजा मिठाई हमारे भरतीय परंपरा का अभिन्न हिस्सा है ।मिठाईयाँ भी कई प्रकार से हमारे मन को लुभाती हैं ।फिर वो बंगाल का रसोगुल्ला हो या मथुरा के पेड़े हो।हर क्षेत्र और राज्य की अपनी मशहूर मिठाईयाँ होती हैं ।इसी तरह बंगाल की एक स्वादिष्ट  मिठाई के बारें मे बात करने जा रहे हैं जिसका नाम ‘संदेश’ या फिर ‘सोन्देश’ हैं ।

इस मिठाई का नाम ‘संदेश’ कैसे पड़ा:

सोंदेश उत्पत्ति हिंदी शब्द ‘संदेश’ से हुई हैं ।बंगाल मे एक खास परंपरा हैं की किसी भी रिशतेदारों या फिर दोस्तों को खुशी के मौके पर भोजन या मिठाई भेजने की परंपरा निभाई जाती थी ,इसलिये इस मिठाई का नाम संदेश पड़ा ।इस मिठाई के बारे मे कहा जाता है कि इस की उत्पत्ति 16 वीं शताब्दी के आसपास बंगाल क्षेत्र मे हुई थी।इस मिठाई का उल्लेख रामायण और चैतन्य के गीतों मे शामिल हैं ।ढाका क्षेत्र के कुछ लोग इसे प्राणहारा (शाब्दिक रूप से, दिल ‘चोरी करने वाला’) कहते हैं, जो एक नरम प्रकार का सन्देश होता है, जिसमे मावा और दही के साथ बनाया जाता है। इससे पता चलता है कि संदेश की शुरुआत उत्सवों, धार्मिक अवसरों और सामाजिक समारोहों के दौरान लोगों के बीच मधुर संचार और बंधन का एक रूप था।

कैसे बनता हैं पारंपरिक संदेश:

संदेश बनाने के लिये दूध को फाड़कर और मट्ठे से ठोस दही को अलग करके प्राप्त किया जाता है। यह प्रक्रिया पनीर बनाने के समान है लेकिन कुछ सूक्ष्म अंतरों के साथ। फिर दही को सूखा दिया जाता है, और चिकनी, मुलायम और दानेदार बनावट प्राप्त करने के लिए छेना को सावधानी से गूंधा जाता है।एक बार जब छेना तैयार हो जाता हैं तो उसमे लाजवाब स्वाद देने के लियें उसमे विभिन्न प्रकार की मिठास मिलाई जाती हैं ।इसे कई प्रकार की विविधता देने के  लिये इसमें इलायची ,गुलाब जल के साथ कई फलों का भी स्वाद दिया जाता हैं ।

संदेश के कई रूप:

बंगाल में सबसे सरल प्रकार का सन्देश है माखा सन्देश (माखा = गुन्धा)। यह कम आंच पर चीनी के साथ छेना को हल्के से मिलाकर तैयार किया जाता है। सन्देश मूल रूप से मीठा छैना है। जब गेंदों का आकार दिया जाता है, तो इसे कांचागोला (कांचा = कच्चा; गोला = गेन्द) कहा जाता है। संदेश का सबसे पारंपरिक संस्करण ताड़ के गुड़ से बनाया जाता हैं जिसे नोलेन गुरेर संदेश कहा जाता हैं ।ढाका मे इसी प्रकार के संदेश को मावा और दही का उपयोग करके बहुत ही नरम बनाया जाता हैं जिसे प्राणाहार कहा जाता हैं ।

Bengali Sandesh Sweet

बंगाल की संसकृति का प्रतीक हैं संदेश:

संदेश बंगालियों के लियें सिर्फ एक मिठाई नही हैं ये उनके रिश्तों की,त्योहारों की मिठास,शादी जन्मदिन मे मेहमानों के आवभगत और सद्भावना का प्रतीक हैं ।यह मिठाई बंगालियों के लियें सांस्कृतिक महत्व रखती हैं ।संदेश के अलग-अलग रंग रूप बंगाल की कलात्मकता और संवेदनाओ को दर्शाता है।

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