Friday, 3 May 2024

नि:संकोच : विशुद्ध व्यवसाय समाजसेवा कैसे?

 विनय संकोची क्या विशुद्ध व्यवसाय को समाज सेवा और व्यवसाई को समाजसेवी के रूप में मान्यता प्रदान की जानी चाहिए?…

नि:संकोच : विशुद्ध व्यवसाय समाजसेवा कैसे?

 विनय संकोची

क्या विशुद्ध व्यवसाय को समाज सेवा और व्यवसाई को समाजसेवी के रूप में मान्यता प्रदान की जानी चाहिए? आप कुछ भी कहें लेकिन मैं कहता हूं – नहीं, कतई नहीं व्यापार समाज सेवा नहीं हो सकता। आज हर शहर में तथाकथित शिक्षा सेवियों की लाइन लगी हुई है। लेकिन यह तमाम शिक्षासेवी शिक्षा के नाम पर केवल अपनी छोटी-बड़ी दुकानें चला रहे हैं, और इन दुकानों को चलाने के लिए धन बच्चों के मां-बाप की जेबों से निकाल रहे हैं।

अभिभावक परेशान हैं लेकिन चुप हैं, क्योंकि बच्चों के भविष्य का सवाल है। मैंने पहले भी इस मुद्दे पर उंगली उठाई थी तो एक शिक्षा सेवी मित्र ने मेरी बात पर आपत्ति जताते हुए कहा था – ‘हम लाखों-करोड़ों रुपए लगाकर स्कूल- कॉलेज चलाते हैं। आसान है क्या? हम बच्चों को पढ़ने का मौका और माहौल देते हैं, इस बात की भी कोई वैल्यू है कि नहीं?’

जो मेरे मित्र ने कहा जो प्रश्न किए, उसका उत्तर है – ‘फीस नहीं लेते हो क्या? डोनेशन देने के लिए अभिभावकों को मजबूर नहीं करते हो क्या?’ मैं अनेक शिक्षासेवियों को जानता पहचानता हूं जो दो महीने बच्चे की फीस न आने पर पहले उसका नाम काटने की धमकी देते हैं और कभी-कभी उसका नाम काट भी देते हैं। मैं अनेक शिक्षासेवियों से परिचित हूं जो बिल्डिंग फंड का भुगतान न करने पर बच्चे का रिजल्ट रोक लेते हैं। बच्चे के मां-बाप को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं। आप भी ऐसे अनेक शिक्षासेवियों के संपर्क में आए होंगे, जो नए-नए तरीके ईजाद कर अभिभावकों से पैसा वसूलते हैं।

आपने स्कूल खोला है और एक एडमिशन फीस रखी है ठीक है। इसी के साथ आपने ट्यूशन फीस निर्धारित की है, कम या ज्यादा उस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है। जिसकी जेब जिस स्कूल की फीस को अफोर्ड करने लायक होती है, वह अपने बच्चों को उसी स्कूल में पढ़ाता है। लेकिन आप बिल्डिंग फंड किस आधार पर वसूलते हैं। आप डेवलपमेंट चार्ज कौन से कानून के तहत लेते हैं।

बिल्डिंग आपकी बनती है, विकास आपका और आपके स्कूल का होता है फिर अभिभावकों से पैसा क्यों मांगते हैं? शिक्षा पूरी तरह से व्यवसाय बन गई है। आपने शोरूम न खोला, आपने फैक्ट्री न लगाई आपने स्कूल – कॉलेज खोल लिया। प्रश्न यह उठता है कि आप शोरूम खोलने पर किसी से बिल्डिंग फंड और डेवलपमेंट चार्ज नहीं लेते हैं, तो स्कूल-कॉलेज खोलने पर आपको इन ‘टैक्सों’ की याद कैसे आ जाती है? आप डोनेशन किस बात का लेते हैं? कुछ नहीं है, आप उन मां-बाप की मजबूरी का लाभ उठाते हैं, जो अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, कुछ बनाना चाहते हैं। इसमें जो आपका योगदान होता है, उसे कदापि इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन तमाम जरूरी सवाल तो अपनी जगह खड़े ही हैं।

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