Tuesday, 7 May 2024

Sri lanka News : श्रीलंका के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने ली शपथ

Colombo : कोलंबो। गंभीर आर्थिक और राजनैतिक संकट के दौर गुजर रहे श्रीलंका को आठवें राष्ट्रपति के तौर पर अनुभवी…

Sri lanka News : श्रीलंका के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने ली शपथ

Colombo : कोलंबो। गंभीर आर्थिक और राजनैतिक संकट के दौर गुजर रहे श्रीलंका को आठवें राष्ट्रपति के तौर पर अनुभवी नेता रानिल विक्रमसिंघे मिल गए। उन्होंने गुरुवार को राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। प्रधान न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने संसद भवन परिसर में 73 वर्षीय विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। रानिल विक्रमसिंघे के सामने देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने तथा महीनों से चल रहे व्यापक प्रदर्शनों के बाद कानून एवं व्यवस्था बहाल करने की चुनौती है। पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़कर चले जाने और राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था। वह संविधान के अनुसार संसद द्वारा निर्वाचित श्रीलंका के पहले राष्ट्रपति हैं।

मई, 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर. प्रेमदास के निधन के बाद दिवंगत डीबी विजेतुंगा को निर्विरोध चुना गया था। छह बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को बुधवार को देश का नया राष्ट्रपति निर्वाचित किया गया। इससे नकदी के संकट से जूझ रहे इस द्वीपीय देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ चल रही वार्ता के जारी रहने की उम्मीद की जा सकती है। श्रीलंका की 225 सदस्यीय संसद में विक्रमसिंघे को 134 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं सत्तारूढ़ दल के असंतुष्ट नेता डलास अल्हाप्पेरुमा को 82 वोट मिले।

वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को महज तीन वोट मिले। संसद में कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान कराया गया। विक्रमसिंघे पर देश को आर्थिक बदहाली से बाहर निकालने और महीनों से चल रहे प्रदर्शनों के बाद कानून-व्यवस्था बहाल करने की जिम्मेदारी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अगले कुछ दिनों में 20-25 सदस्यों के मंत्रिमंडल का गठन किया जाएगा। राजपक्षे की श्रीलंका पोदुजन पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के समर्थन से विक्रमसिंघे की जीत सत्ता पर राजपक्षे परिवार की पकड़ को दिखाती है, जबकि गोटबाया राजपक्षे, पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद इस्तीफे दे दिए हैं।

विक्रमसिंघे की जीत से एक बार फिर स्थिति बिगड़ सकती है, क्योंकि सरकार विरोधी कई प्रदर्शनकारी उन्हें पूर्ववर्ती राजपक्षे सरकार का करीबी मानते हैं। प्रदर्शनकारी देश के मौजूदा संकट के लिए राजपक्षे परिवार को जिम्मेदार ठहराते हैं। विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति निर्वाचित होने के तुरंत बाद सैकड़ों प्रदर्शनकारी जगह जगह एकत्रित हो गए थे। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ अहम बातचीत का नेतृत्व कर रहे विक्रमसिंघे ने पिछले सप्ताह कहा था कि बातचीत निष्कर्ष के करीब है। श्रीलंका को अपनी 2.2 करोड़ की आबादी की मूल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अगले महीनों में करीब पांच अरब डॉलर की आवश्यकता है। श्रीलंका में महीनों से राजपक्षे के इस्तीफे की मांग की जा रही थी। प्रदर्शनकारियों के राष्ट्रपति आवास और कई अन्य सरकारी इमारतों में घुसने के बाद राष्ट्रपति राजपक्षे देश छोड़कर चले गए और बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

विक्रमसिंघे अब गोटबाया राजपक्षे के बाकी बचे कार्यकाल तक राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे, जो नवंबर 2024 में खत्म होगा। लगभग पांच दशकों तक संसद में रहे विक्रमसिंघे को मई में प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। उनकी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) अगस्त 2020 में हुए आम चुनाव में एक भी सीट जीतने में विफल रही थी।

विक्रमसिंघे को राजनीतिक हलकों में व्यापक रूप से एक ऐसे व्यक्ति के रूप में स्वीकार किया जाता है, जो दूरदर्शी नीतियों के साथ अर्थव्यवस्था का प्रबंधन कर सकता है। वह उस अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिसके बारे में उन्होंने कहा था कि वह मई में उनकी नियुक्ति के समय ध्वस्त हो गई थी। भारत और उसके नेताओं के करीबी माने जाने वाले विक्रमसिंघे अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उनके समक्ष सबसे पहली चुनौती अनाज और ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित करना और प्रदर्शनकारियों को उन्हें एक मौका देने के लिए राजी करना है।

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