Thursday, 14 November 2024

बड़ी खबर : BSP प्रमुख बनेगी प्रधानमंत्री पद की कैंडिडेट, होगा बड़ा खेला

भारत की राजनीति में बड़ा खेला होने वाला है। विपक्षी गठबंधन इंडिया ने तय कर लिया है कि BSP की…

बड़ी खबर : BSP प्रमुख बनेगी प्रधानमंत्री पद की कैंडिडेट, होगा बड़ा खेला

भारत की राजनीति में बड़ा खेला होने वाला है। विपक्षी गठबंधन इंडिया ने तय कर लिया है कि BSP की मुखिया सुश्री मायावती को प्रधानमंत्री पद का कैंडिडेट बनाया जाएगा। सुश्री मायावती के साथ कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी तथा विपक्ष के कुछ प्रमुख नेताओं ने इस विषय में लम्बी बातचीत की है। विपक्षी खेमे का दावा है कि सब कुछ ठीकठाक रहा तो लोकसभा के चुनाव-2024 की अधिकारिक घोषणा होते ही BSP नेता सुश्री मायावती को प्रधानमंत्री पद के चेहरे ( कैंडिडेट) के रूप में सामने लाया जाएगा। इस पूरी योजना पर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी तेजी से काम कर रही हैं।

होगा चौंकाने वाला फैसला

सबको पता है कि भारत में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अचानक कोई भी फैसला करके सबको चौंकाने का काम करते रहे हैं। विपक्षी नेताओं का दावा है कि इस बार अपने बड़े दांव से विपक्षी गठबंधन इंडिया सबको चौंकाने वाला काम करेगा। विपक्ष के इस दांव से भारतीय जनता पार्टी का पूरा खेल बिगड़ सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि सुश्री मायावती को प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाने की घोषणा होते ही भारत की राजनीति में बड़ा खेला हो जाएगा। इस घोषणा के साथ ही उत्तर प्रदेश में मायावती की पार्टी को गठबंधन में 25 सीट देने का प्रस्ताव रखा गया बताया जाता है।

विपक्ष को चेहरा तो BSP को जीवनदान

राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि विपक्ष की तरफ से BSP प्रमुख मायावती को PM का कैंडिडेट बनाने की बातचीत चल रही है। मायावती के PM कैंडिडेट बनने से जहां विपक्ष को एक बड़ा सर्वमान्य चेहरा मिल जाएगा। वहीं BSP को जीवनदान भी मिल जाएगा। विश्लेषक कह रहे हैं कि अगर बहुजन समाज पार्टी इंडिया एलायंस की ओर से पीएम कैंडिडेट्स बन जाती हैं तो कम से कम 5 साल के लिए पार्टी को एक जीवनदान मिल सकता है।  पहली बात तो ये है कि उनके पीएम कैंडिडेट बनने से सुश्री मायावती देश की राजनीति में हाइलाइटेड हो जाएंगी। इस कारण उनके बिछड़े कोर वोटर्स एक बार उनके साथ आ सकते हैं। उनके जो कोर वोटर्स पिछले चुनावों में बीएसपी को खत्म मानकर दूसरी पार्टियों को वोटिंग करना शुरू कर रहे थे वे एक बार फिर से उनके साथ आ सकते हैं। हो सकता है कि देश का पहला दलित पीएम बनाने के नाम पर उनका समुदाय एकजुट होकर मायावती के लिए वोटिंग करे। पार्टी में जो भगदड़ की स्थिति बनी हुई है उस पर लगाम लग सकती है।

बता दें कि 2019 के आम चुनावों में पार्टी को लगभग 22 प्रतिशत वोट मिले। पार्टी ने सपा के साथ गठबंधन में 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था। 2022 के विधानसभा चुनावों में, बसपा के वोट शेयर में 10 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई। सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए केवल 12.8 प्रतिशत वोटों को पाने में बसपा कामयाब हो सकी। यह पार्टी के 1993 में अपने गठन के बाद अपने पहले चुनाव में मिले वोटों से थोड़ा ही अधिक वोट था. 1993 से 2022 के बीच बीएसपी को यूपी में कभी भी 19 प्रतिशत से कम वोट नहीं मिले।

मतलब साफ है कि 2022 के बाद पार्टी में गिरावट का दौर जारी है। 2007 के विधानसभा चुनावों में, जब वह दलितों और ऊंची जातियों के व्यापक गठबंधन के साथ तीन-चौथाई बहुमत के साथ सत्ता में आई, तो पार्टी ने 30.7 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब बसपा को यूपी में एक भी सीट नहीं मिली थी, तब भी उसका वोट शेयर 19.77 प्रतिशत था। 2017 के विधानसभा चुनावों में, जब उसने 19 सीटें जीतीं, तो उसका वोट शेयर 22.23 प्रतिशत था। जाहिर पार्टी को अपने घटते वोट शेयर की चिंता है। इसके लिए इंडिया गठबंधन की ओर से आने वाले पीएम कैंडिडेट के अवसर को मायावती कतई छोडऩा नहीं चाहेंगी। भले ही उनको पीएम बनने की उम्मीद न हो , पर उनके लिए बेहद फायदेमंद सौदा साबित होगा।

मायावती ने कुछ दिनों पहले अखिलेश को भला-बुरा कहते हुए साफ कर दिया था कि वह अकेले ही चुनावी मैदान में उतरेंगी। उसके बाद अखिलेश का जो बयान आया था उससे इस बात के संकेत मिले थे कि कहीं न कहीं अंदरखाने में इस बात की चर्चा हो रही है कि मायावती को इंडिया गठबंधन में शामिल करने के लिए उनको पीएम कैंडिडेट पद का ऑफर दिया जा सकता है. मायावती ने अकेले चुनाव लडऩे के फैसले के साथ ही अखिलेश यादव को गिरगिट की तरह रंग बदलने वाला करार दिया था। इसके बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव का बयान सामने आया था. अखिलेश यादव ने कहा था कि उनकी पार्टी तो बसपा सुप्रीमो मायावती को प्रधानमंत्री बनाने का सपना देख रही थी.अखिलेश यादव ने बिना मायावती का नाम लिए बिना ही कहा था कि एक समय पर सपा ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के लिए संकल्प लिया था. अखिलेश ने कहा था कि प्रधानमंत्री उस वर्ग से हो जिन्होंने समाज की तमाम बुराइयों का हजारों साल सामना किया है।

होती रही है मांग

बहुजन समाज पार्टी के नेताओं की ओर से कई बार उन्हें पीएम पद का दावेदार बनाने की मांग होती रही है. बीएसपी में किसी भी नेता की इतनी हिम्मत नहीं होती कि बिना सुप्रीमो की रजामंदी के वे उनसे संबंधित कोई बयान दे सके। आजतक/इंडिया टुडे के सहयोगी चैनल गुड न्यूज टुडे से बात करते हुए बीएसपी सांसद मलूक नागर ने ये डिमांड रखी थी कि उन्हें आगामी 2024 लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाया जाए। नागर की इस बात को मायावती की पार्टी द्वारा विपक्षी इंडिया गुट में शामिल होने की शर्त के रूप में देखा जा गया था। अमरोहा से सांसद और मायावती के करीबी माने जाने वाले मलूक नागर की बातों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। नागर ने कहा था कि अगर इंडिया गठबंधन सचमुच बीजेपी को हराना चाहता है तो उसे मायावती को इंडिया गठबंधन का प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाना होगा अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर मोदी को रोकना किसी गठबंधन के बूते का नहीं है।

इंडिया गठबंधन के लिए बड़े फायदे का दांव

इंडिया गठबंधन को यह पता है कि राम मंदिर लहर को ध्यान में रख़ते हुए यूपी में बीजेपी से मुकाबला आसान नहीं है। 2019 के चुनाव में जब बीएसपी , आरएलडी, सुभासपा, सपा और अन्य पिछड़े नेता भी साथ थे तो बीजेपी की आंधी को रोका नहीं जा सका। बीएसपी सांसद मलूक नागर कहते हैं कि 13 फीसदी मायावती का वोट और विपक्ष का 37-38 फीसदी वोट इंडिया एलायंस को निर्णायक बढ़त दे सकता है। क्योंकि बीएसपी और विपक्ष का वोट मिलकर यूपी में बीजेपी को मिलने वाले 44 फीसदी वोट से काफी ज्यादा है। मलूक नागर की बातों से इनकार नहीं किया जा सकता है। यदि मायावती को प्रधानमंत्री का चेहरा इंडिया गठबंधन द्वारा घोषित किया जाता है तो यह तय है कि बीएसपी के कोर वोटर्स के हंड्रेड परसेंट वोट इडिया एलायंस को जाएंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया कि मायावती को गठबंधन के साथ चुनाव लडऩे के लिए मनाया जा रहा है। काफी हद तक बातचीत सफलता की ओर है। कहा जा रहा है कि मायावती को पीएम कैंडिडेट बनाने के पीछे सोनिया गांधी का दिमाग काम कर रहा है। उन्हीं की पहल पर प्रियंका गांधी ने इस बातचीत को आगे बढ़ाया है। बहुजन समाज पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि गठबंधन के तहत मायावती को 25 सीटें मिल सकती हैं। कहा जा रहा है कि सब कुछ ठीक रहा तो चुनाव अधिसूचना जारी होते ही बहुजन समाज पार्टी गठबंधन में शामिल हो सकती है। फिर भी इस सबंध में जब तक मायावती की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई फैसला नहीं लिया जाता, तब तक कुछ भी कहना मुश्किल ही है।

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