Wednesday, 22 May 2024

कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर बनी चिंता पर क्या बोले डॉक्टर, जाने सभी सवालों के जवाब

Covishield Vaccine : कोरोना काल के दौरान वैक्सीन बनाने वाली ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने यह बात मानी है…

कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर बनी चिंता पर क्या बोले डॉक्टर, जाने सभी सवालों के जवाब

Covishield Vaccine : कोरोना काल के दौरान वैक्सीन बनाने वाली ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने यह बात मानी है कि उनके द्वारा बनाई गई कोविशील्ड वैक्सीन से कुछ दुर्लभ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। वहीं भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने एस्ट्राजेनेका के बनाए गए फॉर्मूले से ही कोविशील्ड वैक्सीन को मैन्युफैक्चर किया था। ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका कंपनी जिसने कोविशील्ड वैक्सीन बनाई थी उसके खिलाफ 51 मुकदमे चल रहे हैं। कई मामलों में ये बात कही गई है कि कंपनी की बनाई गई कोविशील्ड लगवाने से कई लोगों ने अपनी जान गवाई है साथ ही इससे कई लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए हैं।

एस्ट्राजेनेका ने कही ये बात

इस मामले के सामने आने के बाद से लोगों के अंदर इस बात का डर बैठ गया है कि कोविशील्ड लगवाने के बाद अब उनकी जान को खतरा है और उन्हें कई तरह की बीमारियां भी हो सकती है। लोगों की चिंताओं को देखते हुए एक एस्ट्राजेनेका ने बताया कि ‘परीक्षण और जांच के आधार पर एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ने खुद को सुरक्षित साबित किया है और दुनिया भर के वैज्ञानिक लगातार कह रहे हैं कि टीकाकरण के दुष्प्रभाव बेहद दुर्लभ हैं, जबकि इन बेहद रेयर सािड इफेक्ट की तुलना में लाभ कहीं अधिक हैं।’

इस मामले पर क्या बोलते हैं भारत के डॉक्टर?

इस बारे में जानकारी देते हुए हैदराबाद के अपोलो हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार ने कहा कि एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में स्वीकार किया है कि कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया ब्रांड नामों के तहत बेची जाने वाली उनकी वैक्सीन के टीटीएस (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम विद थ्रोम्बोसिस) नामक साइड इफेक्ट्स होने की संभावना बहुत ही कम है। पहले भी एक्वायर्ड टीटीएस कोविड के टीकों समेत कई अन्य टीकों के प्रतिकूल प्रभाव से जुड़ा रहा है।

आपको बता दें कि टीटीएस एक दुर्लभ कंडीशन है जिसमें शरीर में खून के थक्के बनने लगते हैं और खून में प्लेटलेट्स की संख्या कम होती जाती है। नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सह अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा, ‘यह सब ब्रिटेन की मीडिया ने रिपोर्ट किया है जो ब्रिटेन में अदालती कार्यवाही के दौरान हुआ। वैक्सीन से होने वाले दुर्लभ दुष्प्रभाव टीटीएस पर पहले ही चर्चा हो चुकी है। वास्तव में डब्ल्यूएचओ ने मई 2021 में इस पर एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की थी।’

क्या है थ्रोम्बोसिस एंड थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS)?

थ्रोम्बोसिस एंड थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम जिसे TTS के नाम से भी जाना जाता है को कोविड-19 टीकों से जुड़ी एक दुर्लभ परेशानी माना जा रहा है। डॉक्टर “थ्रोम्बोसिस” शब्द का उपयोग रक्त का थक्का बनने की समस्या के रूप में करते हैं, ये रक्त वाहिकाओं को रोकता है। कभी-कभी यह शरीर के कुछ हिस्सों में रक्त के प्रवाह को बाधित भी कर सकता है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया तब होता है जब किसी व्यक्ति में प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। प्लेटलेट्स रक्त के महत्वपूर्ण घटक होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में मदद करते हैं।

भारत के लोगों को चिंता की है जरूरत?

इस बारे में जानकारी देते हुए डॉ. सुधीर कुमार ने वैक्सीन से संबंधित प्रतिकूल प्रभाव पर कहा कि आमतौर पर वैक्सीन लगने के बाद कुछ हफ्तों के भीतर साइड इफेक्ट होते हैं। इसलिए भारत में जिन लोगों ने 2 साल पहले वैक्सीन ली थी, उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन में सह अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा कि यह साइड इफेक्ट्स पहली खुराक के बाद पहले महीने में ही होते हैं, उसके बाद नहीं।

वैक्सीन के बाद टीटीपी होना है दुर्लभ

डॉ.सुधीर ने बताया कि ‘वैक्सीन के बाद टीटीएस के मामलों की जानकारी सामने नहीं आई है। सिर्फ इसकी अलग-अलग मामलों की रिपोर्ट दर्ज की गई है। जबकि वैक्सीन की लाखों खुराकें दी जा चुकी हैं इसलिए कोविड टीकाकरण के बाद टीटीपी होना अत्यंत दुर्लभ है। साथ ही डॉ. सुधीर ने कहा कि साल 2021 से कोविड टीकाकरण के बाद दुनिया के विभिन्न हिस्सों से टीटीएस के अलग-अलग मामले सामने आए हैं। इसलिए ये खुलासे नए नहीं हैं।

क्या टीटीएस के बारे में पहले से जानते हैं लोग?

डॉ. सुधीर के अनुसार, टीटीएस की बीमारी पिछले 100 सालों से हमारे बीच है जिसके बारे में हर कोई जानता है। सबसे पहला मामला साल 1924 में एक 16 साल की लड़की में देखने को मिला था। टीटीपी के बारे में लोग साल 1982 से जानते हैं और यह पिछले 4 दशकों से चिकित्सा पाठ्यक्रम का हिस्सा रही है।

कई लोगों को खून के थक्के जमने की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं बहुत से लोगों को कार्डियक अरेस्ट आया है, तो क्या यह वैक्सीन से जुड़ा हो सकता है? इस बारे में जानकारी देते हुए डॉ.सुधीर बताया कि कोविड के टीके खून के थक्कों का खतरा बढ़ा सकते हैं। हालांकि, इसका रिस्क बहुत कम है और कार्डियक अरेस्ट या दिल के दौरे के अधिकांश मामलों में इसके पीछे वैक्सीन होने की वजह ना के बराबर है। भारत और अन्य देशों से प्रकाशित कई वैज्ञानिक अध्ययनों में यह साबित हो चुका है। कोविड संक्रमण से रक्त का थक्का बनने का खतरा बढ़ जाता है जो कोविड टीकों की तुलना में कहीं अधिक है।

युवाओं में कार्डियक अरेस्ट की क्या है वजह ?

इसपर डॉ. सुधीर ने कहा कि युवा आबादी में कार्डियक अरेस्ट और दिल के दौरे के पीछे की वजह पारंपरिक रिस्क फैक्टर जैसे गतिहीन जीवन शैली, मोटापा और डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर, नींद की कमी, तनाव, हाई कोलेस्ट्रॉल और अल्ट्राप्रोसेस्ड पैकेज्ड खाद्य पदार्थों का सेवन है। कोविड से भी खतरा बढ़ गया है। लेकिन बहुत कम मामलों में ही कोविड वैक्सीन इसकी जिम्मेदार हो सकती है।

क्या कोवैक्सीन, कोविशील्ड से बेहतर थी?

इस बारे में डॉ. सुधीर ने बताया कि, टीटीएस को सभी कोविड टीकों से जुड़ा पाया गया है और इसलिए इस आधार पर हमारे पास एक कोविड वैक्सीन की दूसरे की तुलना करने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है। इसके अलावा टीटीएस बीमारी को अन्य टीकों जैसे इन्फ्लूएंजा वैक्सीन, न्यूमोकोकल वैक्सीन, एच1एन1 टीकाकरण और रेबीज वैक्सीन के साथ भी रिपोर्ट किया गया है। वहीं कोरोना काल की शुरूआत में जब एस्ट्राजेनेका वैक्सीन देश भर में दी जा रही थी, तो कुछ देशों ने इसे लेने से भी मना कर दिया था। इस बारे में जानकारी देते हुए डॉ. सुधीर ने कहा कि उनकी मुख्य चिंता वैक्सीन की सुरक्षा थी जिसमें वैक्सीन के कारण थक्का बनने का खतरा भी शामिल था। इसी वजह से उन्होंने वैक्सीन पर रोक लगाई थी।

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