Sunday, 16 March 2025

एकनाथ शिंदे का विपक्ष को करारा जवाब, कहा मुझे हल्के में लेने…

Eknath Shinde : महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, “मुझे हल्के में…

एकनाथ शिंदे का विपक्ष को करारा जवाब, कहा मुझे हल्के में लेने…

Eknath Shinde : महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, “मुझे हल्के में न लें, जो लोग मुझे हल्के में लेते हैं, उन्हें मैंने पहले ही चेतावनी दी थी। मैं पार्टी का साधारण कार्यकर्ता हूं, लेकिन बाला साहेब का सच्चा अनुयायी हूं। मेरी बात को सभी को गंभीरता से समझना चाहिए।” शिंदे ने यह बयान महायुति सरकार में किसी तरह की अनबन को लेकर उठ रही विपक्षी दावों के जवाब में दिया है। उन्होंने कहा कि 2022 में जब उन्हें हल्के में लिया गया था, तब उन्होंने पूरी सरकार ही बदल दी थी और डबल इंजन वाली सरकार बनाई थी। इसलिए लोग उनकी बातों को गंभीरता से लें।

मुझे हल्के में लिया था, तब मैंने सरकार बदल दी – एकनाथ शिंदे

शिंदे का यह बयान तब आया है जब कहा जा रहा है कि वह महायुति सरकार से नाखुश हैं, हालांकि शिंदे ने बार-बार इन आरोपों का खंडन किया है। उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा, “जब आपने मुझे हल्के में लिया था, तब मैंने सरकार बदल दी और हम जनता की इच्छा के अनुसार सरकार लेकर आए। विधानसभा में अपने पहले भाषण में मैंने कहा था कि देवेंद्र फडणवीस को 200 से ज्यादा सीटें मिलेंगी, और हमें 232 सीटें मिलीं। इसलिए मेरी बात को हल्के में न लें। जो लोग इस संकेत को समझना चाहते हैं, वे समझ लें और मैं अपना काम जारी रखूंगा।”

सीएम-डिप्टी सीएम में कई मुद्दों पर मतभेद

सियासी अटकलों के बीच हलचल दरअसल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच कई मुद्दों पर मतभेद बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं, जैसे कि संरक्षक मंत्री की नियुक्ति और अलग-अलग समीक्षा बैठकों का आयोजन। भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने तीन महीने पहले महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से 230 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच बढ़ती दूरी को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है और राजनीतिक अटकलें निरंतर बढ़ रही हैं।

हमारी योजनाओं और विकास कार्यों के कारण ही हुए विजयी – शिंदे समर्थक

नतीजों के बाद हालात सामान्य नहीं पिछले नवंबर में चुनाव परिणामों के बाद भाजपा ने फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया था, जिसके बाद शिंदे को उपमुख्यमंत्री के पद पर संतुष्ट रहना पड़ा था। शिंदे के समर्थकों का मानना है कि उनकी योजना, फैसले और विकास कार्यों के कारण ही भाजपा, शिवसेना और राकांपा का गठबंधन विधानसभा चुनाव में विजयी हुआ।

दोनों नेताओं ने मतभेदों को नकारा

शिवसेना के नेताओं के अनुसार, शिंदे उपमुख्यमंत्री का पद लेने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन भाजपा और उनके सहयोगियों ने उन्हें फडणवीस की सरकार का हिस्सा बनने के लिए मनाया। मंत्रियों को शपथ दिलाने के बाद विभागों के बंटवारे में एक सप्ताह से अधिक समय लगा। हालांकि, दोनों नेताओं ने मतभेदों को नकारते हुए यह संदेश देने की कोशिश की कि सब कुछ ठीक है, लेकिन कई घटनाएं इसके विपरीत संकेत दे रही हैं।

दरार की वजह क्या है?

रायगढ़ और नासिक जिलों के संरक्षक मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर विवाद बढ़ता दिखा। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की विधायक अदिति तटकरे और भाजपा नेता गिरीश महाजन को रायगढ़ और नासिक का संरक्षक मंत्री बनाए जाने पर शिवसेना नाराज थी। हालांकि इन नियुक्तियों को रोक दिया गया, फिर भी मामला हल नहीं हो पाया। इसके अलावा, मुख्यमंत्री के वॉर रूम के अलावा, शिंदे और अजित पवार ने अपनी निगरानी इकाइयां बनाई, जो उनके द्वारा संरक्षित जिलों में चल रही परियोजनाओं पर नजर रखने के लिए थीं। शिंदे कई बैठकों से दूर रहे, जिसमें 2027 कुंभ मेले की तैयारियों पर चर्चा के लिए नासिक क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) की बैठक भी शामिल थी, जो फडणवीस ने बुलाई थी।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: हाई कोर्ट जज के खिलाफ लोकपाल के आदेश पर लगाई रोक

ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।

देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुक  पर लाइक करें या  ट्विटर  पर फॉलो करें।

Related Post