Mohan Bhagwat : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि भारत की आज़ादी किसी एक नेता या संगठन का एकल प्रयास नहीं था, बल्कि यह विविध आंदोलनों और सामूहिक संघर्षों का परिणाम है। वे नागपुर में वरिष्ठ स्वयंसेवक रामचंद्र देवतारे की दो खंडों वाली पुस्तक ‘संघ जीवन’ के लोकार्पण समारोह में संबोधित कर रहे थे। डॉ. भागवत ने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य रखते हुए कहा कि देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए 1857 से ही प्रयास शुरू हो गए थे। उस समय देश के कोने-कोने में विद्रोह की चिंगारी फैली और स्वतंत्रता की ज्वाला लंबे समय तक बुझी नहीं। उन्होंने कहा कि, “इस निरंतर आंदोलन और सामूहिक प्रयासों का ही परिणाम था कि हमें 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई।”
संगठन में सामूहिकता का महत्व
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य भी किसी एक व्यक्ति की सोच या निर्णय पर आधारित नहीं होता। “संघ की दिशा सामूहिक चिंतन से तय होती है। जो भी निर्णय लिए जाते हैं, वे सामूहिक सहमति और विचार-विमर्श का परिणाम होते हैं,” उन्होंने कहा। भागवत ने यह भी कहा कि संघ का कार्य किसी व्यक्ति विशेष का नहीं है, बल्कि यह एक समूह की प्रतिबद्धता और सामूहिक दृष्टिकोण पर टिका है। उन्होंने संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि केवल सामाजिक प्रभाव बनाने की बजाय, आंतरिक व्यक्तित्व का निर्माण अधिक आवश्यक है। “दिखावे से अधिक जरूरी है आपके भीतर का चरित्र, और वही समाज को दिशा देता है,” उन्होंने जोड़ा।
कानपुर दौरे पर युवा कार्यकर्ताओं से करेंगे संवाद संघ प्रमुख
संघ प्रमुख मोहन भागवत शनिवार को दो दिवसीय दौरे पर कानपुर पहुंचेंगे। इस प्रवास के दौरान वे संघ के दो महत्वपूर्ण प्रशिक्षण शिविरों का निरीक्षण करेंगे और कई बैठकें भी करेंगे। इन शिविरों का उद्देश्य युवा स्वयंसेवकों में सामाजिक समरसता, जातिविहीन सोच और तटस्थ दृष्टिकोण को मजबूत करना है। पहला शिविर ‘विकास वर्ग’ के नाम से नवाबगंज स्थित दीनदयाल उपाध्याय स्कूल में आयोजित किया जा रहा है। यह क्षेत्रीय शिविर है, जिसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के स्वयंसेवक भाग लेंगे।
दूसरा शिविर ‘शिक्षा वर्ग’ के नाम से समाजवादी नेता हरमोहन सिंह यादव के पैतृक गांव मेहरबान सिंह का पुरवा में आयोजित हो रहा है। यह आयोजन इसलिए भी चर्चाओं में है क्योंकि यह पारंपरिक रूप से समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। अब वहां संघ की उपस्थिति और आयोजन को राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर तब जब यादव परिवार का एक हिस्सा भाजपा के करीब आता दिख रहा है। Mohan Bhagwat