Monday, 14 October 2024

भारत की इन जगहों पर 15 नहीं 18 अगस्त को मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस, जानें क्यों?

Indian Independence Day : भारत ने अंग्रेजों से लंबी लड़ाई के बाद साल 1947 में आजादी मिली थी। इस संघर्ष…

भारत की इन जगहों पर 15 नहीं 18 अगस्त को मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस, जानें क्यों?

Indian Independence Day : भारत ने अंग्रेजों से लंबी लड़ाई के बाद साल 1947 में आजादी मिली थी। इस संघर्ष में बड़ी सख्या में क्रांतिकारियों ने अपनी जान की बाजी लगा थी। जिसके बाद ही भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ती मिल पाई थी। तब से पूरे देश में हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। आपको जानकार हैरानी होगी की पश्चिम बंगाल के नदिया और मालदा जिले में तीन दिन बाद 18 अगस्त को आजादी का जश्नन मनाया जाता है। आइए जानते है ऐसा क्यों होता है।

आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल के नदिया और मालदा जिले 15 अगस्त, 1947 को भारत का हिस्सा नहीं थे। नदिया और मालदा जिले को भारत में 18 अगस्त के दिन शामिल किया गया था। जिसके कारण आज भी वहां 18 अगस्त के दिन अपनी आजादी का जश्न मनाया जाता है।

ऐसे हुआ था आजादी का ऐलान Indian Independence Day

यह जुलाई 1945 की बात है, जब भारत पर शासन कर रहे ब्रिटेन में आम चुनाव हुए थे। इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल की हार हुई और क्लेमेंट एटली प्रधानमंत्री बनकर ऊभरे थे। तभी से भारत की आजादी के दरवाजे खुले। चर्चिल ने प्रधानमंत्री बनने के बाद फरवरी 1947 में ऐलान किया कि 30 जून 1948 से पहले भारत को आजादी मिल जाएगी।

क्लेमेंट एटली ने इस बात का जिम्मा तत्कालीन भारतीय गवर्नर जनरल लॉर्ड लुई माउंटबेटन को दे दिया था। उन्होंने तीन जून 1947 को भारत की आजादी को लेकर प्लान तैयार किया, जिसे माउंटबेटन योजना के नाम से जाना जाता है। इसी योजना के आधार भारत को दो हिस्सों में बांटा गया। इसके बाद 5 जुलाई को माउंटबेटन के प्लान हिसाब से ब्रिटेन की संसद में भारतीय स्वाधीनता अधिनियम (इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट) पास किया गया। इसपर 18 जुलाई को ब्रिटेन के राजा जॉर्ज-VI ने भी मंजूरी दे दी थी।

रेडक्लिफ को मिली थी नक्शा बनने की जिम्मेदारी

इसके बाद माउंटबेटन ने 12 अगस्त 1947 को यह ऐलान कर दिया कि 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो जाएगा। इसके लिए भारत और पाकिस्तान का बंटवारा भी कर दिया गया और इसका जिम्मा अंग्रेज अफसर सिरिल रेडक्लिफ को सौंपा, जिसने दोनों देशों का नक्शा बनाकर तैयार किया, जिसमें सीमाएं निर्धारित कीं। यह नक्शा तैयार करने में सिरिल रेडक्लिफ ने एक चूक कर दी थी। जिससे आजादी के बावजूद बंगाल को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। दरअसल, रेडक्लिफ ने जो नक्शा पहली बार बनाया था, वह उनसे गलत बन गया था।

15 अगस्त  हुआ था विरोध प्रदर्शन

रेडक्लिफ ने भारत के के बंटवारे के लिए जो नक्शा बनाकर तैयार किया, उसमें पश्चिम बंगाल के हिंदू बहुल जिलों मालदा और नदिया को पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) का हिस्सा बताया। वहीं नदिया के शिवानीबाश, शांतिपुर, बोनगांव, कल्याणी, रानाघाट, शिकारपुर, कृष्णानगर और करीमपुर जैसे कस्बों कोभी पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बता दिया था। ऐसे ही मालदा के रतुआ और दक्षिण दिनाजपुर के बेलूरघाट गांव भी भारत में शामिल नहीं किए गए। 15 अगस्त को देश आजाद हुआ तो इन इलाकों में जश्न के बजाय प्रदर्शन शुरू हो गया।

 माउंटबेटन ने दिया था दूसरा आदेश

ऐसा कहा जाता है कि तब पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी और नदिया शाही परिवार के सदस्यों ने कलकत्ता (अब कोलकाता) में अंग्रेज प्रशासन तक इस बात को पहुंचाया। इसके बाद लॉर्ड माउंटबेटन को इसकी जानकारी दी गई। आनन-फानन में माउंटबेटन ने बंगाल के भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे के आदेश दे दिया। इसी के बाद जो हिंदू बहुल बंगाल के जिले थे उन्हें भारत में शामिल किया गया। वहीं जो मुस्लिम बहुल जिले थे उन्हें पाकिस्तान को दे दिया गया। यह सारी प्रक्रिया 17 अगस्त की रात तक पूरी की गई थी। इसीलिए इन सीमावर्ती गांवों में 15 के बजाय 18 अगस्त को आजादी का जश्न मनाया जाता है। Indian Independence Day

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