Amit Shah : क्या ये फैसला है अमित शाह के जीवन की सबसे बड़ी गलती!
पहले 3 महीने में ही हो गया फैसला मई 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली बंपर जीत के बाद प्रधानमंत्री…
Anjanabhagi | December 7, 2021 1:36 AM
पहले 3 महीने में ही हो गया फैसला
मई 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली बंपर जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अपने मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल करते हुए अमित शाह को गृह मंत्रालय का कार्यभार सौंप था। अमित शाह (Amit Shah) भी पूरे जोश के साथ काम पर लग गए। अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के चार महीने के अंदर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को पास करा दिया और एनआरसी के लिए जमीन तैयार करनी शुरू कर दी। इसी दौरान तीन तलाक को खत्म करने वाले कानून का पास होना, अयोध्या मामले पर मंदिर के पक्ष में फैसला आने जैसी घटनाएं भी होती रहीं। इन सबके बीच देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय में असंतोष बढ़ने लगा और देश के कई हिस्सों में सीएए की वापसी के लिए आंदोलन होने लगे। इसकी परिणति दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों के रूप में हुई।
ठंडे बस्ते में डाल दिया खुद का बनाया कानून
उत्तर भारत में हो रही उथल-पुथल के बीच आमतौर पर शांत रहने वाले पूर्वोत्तर से भी हिंसा की ऐसी खबरें आने लगीं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती खड़ी करने वाली थी क्योंकि, ये राज्या चीन और म्यांमार की सीमा से लगे हुए हैं।
गृह मंत्री के तौर पर अमित शाह (Amit Shah) अपने कार्यकाल का ढाई साल पूरा कर चुके हैं और इस दौरान उनके हिस्से में विवाद ही ज्यादा आए हैं। कहने को तो सीएए अब काननू का रूप ले चुका है लेकिन, सरकार ने इसे लागू करने के बजाए ठंडे बस्ते में डाल दिया है। रही बात एनआरसी की तो, उस पर अब मोदी भी बोलने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहे। कॉमन सिविल कोड के मसले पर सरकार तो दूर अब आरएसएस भी बात करने से कतराने लगी है।
उत्तर भारत की असफलता को छुपाने के लिए पहुंच पूर्वोत्तर
अमित शाह ने इन विवादित मसलों से ध्यान हटाने की पूरी कोशिश की। उन्होंने पूर्वोत्तर के मसलों पर काम करना शुरू किया लेकिन, विवादों ने यहां भी उनका साथ नहीं छोड़ा। नॉर्थ ईस्ट में पिछले छह महीनों में चार ऐसी बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं जो अमित शाह के कार्यकाल के स्याह पक्ष को ही मजबूत करती हैं।
जुलाई में असम और मिजोरम पुलिस के बीच हिंसक मुठभेड़ ने पूरे देश को चौंका दिया। अगले ही महीने 15 अगस्त के दिन मेघालय जैसे शांतिप्रिय राज्य से पुलिस की गाड़ी पर कब्जा कर खुलेआम बंदूके लहराते युवाओं की तस्वीरें और वीडियो सामने आईं। सबसे दर्दनाक खबर नागालैंड से आई, जहां सुरक्षा बलों की कार्यवाही में कई मजदूर मारे गए। बाद में सेना ने स्वीकार किया कि सूचना गलत थी और मारे गए लोग निर्दोष थे। घटना के बाद स्थानीय लोगों के गुस्से को काबू करने के लिए सुरक्षा बलों को आम लोगों पर भी गोली चलानी पड़ी जिसमें फिर कई निर्दोषों को जान गंवानी पड़ी।
पहली बार सार्वजनिक तौर पर मागनी पड़ी माफी
इसी साल अमित शाह ने पूर्वोत्तर के कई अलगाववादी समूहों के साथ शांति समझौता किया था। समझौते के तहत लगभग 1000 सशस्त्र अलगाववादियों ने आत्मसमर्पण किया था। इसे पूर्वोत्तर का अब तक का सबसे बड़ा शांति समझौता बताया गया था लेकिन, पिछले छह महीने से लगातार हो रही हिंसक घटनाएं कुछ अलग की सच्चाई बयां कर रही हैं।
नागालैंड की हालिया घटना के बाद तो गृह मंत्रालय सहित सेना को भी अपनी गलती के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मागनी पड़ी है। तो क्या गृह मंत्री के तौर पर अमित शाह फेल हो गए हैं? क्या अब गृह मंत्रालय को किसी अनुभवी मंत्री या नेता के हाथ में सौंपने का वक्त आ गया है?
अमित शाह के लिए खतरा बन रहे भगवाधारी
2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी (BJP) को मिली लगातार जीत का असली नायक अमित शाह को बताया गया था और उन्हें चाणक्य तक कहा गया। पार्टी और संगठन के स्तर पर अमित शाह को इसका ईनाम मिलना तय था।
केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री के बाद गृह मंत्रालय को सबसे प्रतिष्ठित मंत्रालय माना जाता है। पिछले कार्यकाल (2014-19) में शानदार काम करने के बावजूद राजनाथ सिंह से यह मंत्रालय ले लिया गया और अमित शाह को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई।
पिछले ढाई सालों (मई 2019- नवंबर 2021 के बीच) में गृह मंत्रालय ने जो भी काम किए या काननू बनाए उन पर विवाद हुए या उन्हें लागू ही नहीं किया जा सका है। शायद यही वजह है कि 2019 तक मोदी के बाद प्रधानमंत्री पद के अगले दावेदार माने जा रहे अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) से पिछड़ते हुए दिख रहे हैं।
गृहमंत्री के तौर पर अमित शाह की पिछले ढाई साल की यात्रा ने पार्टी और संगठन में उनके शानदार काम को पृष्ठभूमि में ढकेल दिया है। जबकि, विवादों में रहने के बावजूद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, पीएम मोदी और आरएसएस का विश्वास जीतने में सफल रहे हैं।
आगामी यूपी विधानसभा चुनाव परिणाम अंतिम तौर पर यह तय कर देंगे कि मोदी के बाद बीजेपी किस नेता को पीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश करेगी। हालांकि, फिलहाल जो हालात हैं वह तेजी से अमित शाह के खिलाफ जाते दिख रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह क्या इस बार भी कोई बड़ा उलटफेर करने में सफल होते हैं या नहीं।
– संजीव श्रीवास्तव