Friday, 3 May 2024

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक और राजनीति के बीच दब गया यह असली मुद्दा

साल 2022 के पहले हफ्ते में ही कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं जो पूरे साल याद रखी जाएंगी। इसमें सबसे…

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक और राजनीति के बीच दब गया यह असली मुद्दा

साल 2022 के पहले हफ्ते में ही कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं जो पूरे साल याद रखी जाएंगी। इसमें सबसे प्रमुख है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के काफिले का बीच सड़क पर रोका जाना।

पांच जनवरी को प्रधानमंत्री अपने काफिले के साथ सड़क रास्ते से भटिंडा (Bathinda) एयरपोर्ट से फिरोजपुर (Ferozepur) हाइवे से होते हुए सतलुज नदी के दूसरी ओर स्थित हुसैनीवाला राष्ट्रीय शहीद स्मारक (National Martyrs Memorial in Hussainiwala ) की ओर जा रहे थे। हुसैनीवाला (Hussainiwala) वही जगह है जहां भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को अंग्रेजों के द्वारा फांसी पर लटकाया गया था।

क्यों मचा हंगामा
प्रधानमंत्री का काफिला अचानक फिरोजपुर (Ferozepur) जिले की घल खुर्द तहसील के पियारियाना गांव के पास एक फ्लाईओवर के मुहाने पर रुक गया। पीएम के काफिले के ठीक सामने किसानों का जत्था खड़ा था। सड़क पर किसानों के वाहन खड़े थे और पीछे से भीड़ पीएम वापस जाओ के नारे लगा रही थी। मौके पर एक ओर प्रधानमंत्री के वाहन को घेरे एसपीजी के सुटेड-बुटेड सशस्त्र जवान खड़े थे और दूसरी ओर पंजाब पुलिस के जवान और अधिकारी।

लगभग 15 से 20 मिनट तक प्रधानमंत्री की गाड़ी बीच सड़क पर खड़ी रही जिससे कुछ दूर प्रदर्शनकारियों का समूह विरोध प्रदर्शन कर रहा था। अंतत: पीएम के काफिले को वापस भटिंडा एयरपोर्ट की ओर वापस लौटना पड़ा क्योंकि, आगे जाना सुरक्षित नहीं था।

राजनीति के बीच दब गया असली मुद्दा
आमतौर पर प्रधानमंत्री या किसी भी वीवीआईपी का काफिला जिस सड़क मार्ग से गुजरता है उसे पूरी तरह खाली करा दिया जाता है। इन रास्तों पर स्थानीय पुलिस बल की तैनाती रहती है जो काफिले के गुजरने से कुछ देर पहले ही अन्य किसी भी तरह के आवागमन को पूरी तरह से रोक देते हैं।

ऐसे में जिस रास्ते से प्रधानमंत्री का काफिला गुजर रहा हो वहां प्रदर्शनकारियों का आ जाना और 15-20 मिनट तक पीएम की गाड़ी का फंसा रहना, ऐसी घटना है जिस पर हंगामा होना स्वाभाविक है।

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई इस घोर लापरवाही को तुरंत ही राजनीतिक रंग दे दिया गया। ऐसा होना स्वाभाविक था क्योंकि, पंजाब में विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election 2022) होने वाले हैं। बीजेपी (BJP) ने पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस (Congress) पार्टी पर प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया। जबकि, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में भीड़ की कमी से ध्यान हटाने के लिए जानबूझकर यह ड्रामा रचा गया।

क्या इन घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखा हमने
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से अलग यह मामला भारतीय सुरक्षा एजेंसियों, पुलिस और खासतौर पर प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए बनाई गई एसपीजी (Special Protection Group) पर गंभीर सवाल खड़े करता है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) सहित एक प्रधानमंत्री (इंदिरा गांधी), एक मुख्यमंत्री (बेअंत सिंह), एक पूर्व प्रधानमंत्री (राजीव गांधी) और एक पूर्व मुख्यमंत्री (प्रताप सिंह कैरों) की हत्या की जा चुकी है। क्या ये घटनाएं भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सबक सीखने के लिए पर्याप्त नहीं हैं?

पीएम के काफिले का बीच रास्ते में रुकना, 15-20 मिनट तक प्रधानमंत्री का सड़क पर फंसे रहना, इस दौरान उनकी गाड़ी के दरवाजे का कई बार खुलना और बंद होना यह दिखाता है कि पीएम की सुरक्षा के लिए बनाए गए प्रोटोकॉल का आंख बंद करके अुनसरण किया जा रहा है।

लापरवाही की 3 बड़ी वजहें
1. संभव है कि लंबे समय से प्रधानमंत्री की सुरक्षा में कोई गंभीर खामी न आने के चलते एसपीजी (SPG) सहित सुरक्षा एजेंसियां अति-आत्मविश्वास का शिकार हो गई हों। उन्हें यह लगने लगा हो कि हमारी व्यवस्था इतनी दुरुस्त है कि इसमें न तो किसी सुधार की गुंजाइश है न बदलाव या अपडेट की जरूरत है।

2. इसकी दूसरी वजह है सरकारी नियमों या प्रोटोकॉल का आंख बंद करके अनुसरण करना। वीवीआईपी सुरक्षा के प्रोटोकॉल को जस का तस बनाए रखना, उसे समय के साथ अपडेट न करना यह बताता है कि सरकारी सिस्टम में लालफीताशाही का बोलबाला अब भी कायम है।

3. प्रधानमंत्री के काफिले के बीच में प्रदर्शनकारियों का आ जाना स्थानीय पुलिस की विफलता का सबूत है लेकिन, काफिले का बीच सड़क पर फंसे रहना और वैकल्पिक एग्जिट प्लान न होना एसपीजी के सुरक्षा घेरे पर भी सवाल खड़े करता है।

इस पूरी घटना में हुई एक अच्छी बात
इस पूरी घटना में एक अच्छी बात भी हुई है जिसे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच अनदेखा किया गया। पांच जनवरी को प्रधानमंत्री को हवाई मार्ग से ​भटिंडा से फिरोजपुर (Ferozepur) जाना था लेकिन, एयरफोर्स ने खराब मौसम के चलते प्रधानमंत्री को ले जाने से इनकार कर दिया। प्रधानमंत्री को इनकार करना इस बात का सबूत है कि भारतीय वायु सेना ने अपनी ड्यूटी को पूरी ईमानदारी से निभाया।

अगर प्रधानमंत्री के सड़क रूट पर किसी बाधा की सूचना नहीं दी गई तो, यह स्थानीय पुलिस की विफलता है। अगर सूचना के बाद भी प्रधानमंत्री के काफिले को ले जाने का फैसला लिया गया और एसपीजी ने प्रधानमंत्री को मना करने का साहस नहीं दिखाया तो, यह देश के शीर्ष सुरक्षा दस्ते के लिए चिंता का विषय है। उसे भारतीय वायु सेना से सबक लेना चाहिए।

गलती चाहे जिसकी हो, इस घटना से अंतत: देश की छवि को नुकसान हुआ है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का दावा करने वाले देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई इस लापरवाही पर भले ही किसी अन्य देश ने टिप्पणी न की हो लेकिन, इसे देखा तो सबने है।

– संजीव श्रीवास्तव

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