आरपी रघुवंशी
Political News : कहते हैं सियासत में जो दिखता है, वह होता नहीं है। और, जो होता है, वह दिखता नहीं है। महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीति भी कुछ ऐसे ही रास्ते पर चल रही है। शिवसेना(Shiv Sena) के मुख्य प्रवक्ता और दिग्गज नेता संजय राउत (Sanjay Raut) की गिरफ्तारी के भी कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। चर्चा है कि राउत की गिरफ्तारी शिंदे गुट के उन बागी विधायकों पर दबाव बनाने के लिए की गई है, जो मंत्री पद के आकांक्षी हैं।
संजय की गिरफ्तारी के पीछे ईडी (ED)जो कहानी बता रहा है, हो सकता है उसमें सच्चाई हो। लेकिन, इससे इतर भी एक कहानी है। उसे समझने के लिए कुछ पहले जाना होगा। महाराष्ट्र की राजनीति के जानकारों का कहना है कि शिवसेना में बगावत के पीछे संजय राउत एक बड़ा कारण रहे हैं। पार्टी नेताओं और विधायकों के साथ उनका बर्ताव अच्छा नहीं था। वह खुद को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से कम नहीं समझते थे। धीरे-धीरे यह चिंगारी दहक उठी और नतीजा पार्टी में टूट के रूप में सबके सामने आया।
जानकार बताते हैं कि भाजपा की ओर से शिवसेना के बागी विधायकों को ‘पूरा सम्मान’ देने का भरोसा दिया गया था। लालच में आकर विधायकों ने पाला बदल लिया। अब हर बागी विधायक मंत्री बनने का ख्वाहिशमंद हैं, लेकिन यह संभव नहीं हो पा रहा है। विधायकों के दबाव के कारण ही सरकार गठन के एक माह बाद भी मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है। इस मसले को हल करने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एक माह में चार बार दिल्ली दरबार में दस्तक दे चुके हैं। लेकिन, अब तक कोई ठोस हल नहीं निकल पाया है।
भाजपा के शीर्ष नेताओं को पता है कि अगर शिवसेना से रूठकर आए बागी विधायकों को दिए वादे को पूरा नहीं किया गया तो वे ‘घर वापसी’ कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो सरकार गिरने का खतरा पैदा हो जाएगा। इसलिए भाजपा और शिंदे की ओर से बहुत संभलकर कदम बढ़ाए जा रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही संजय राउत ने दावा किया था कि महाराष्ट्र में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन होगा। जानकार बताते हैं कि शिंदे गुट के 40 विधायकों में कई ऐसे हैं, जो दागी हैं। ऐसे में संजय राउत की गिरफ्तारी से महत्वाकांक्षा पाले विधायकों को कड़ा संदेश देने की कोशिश की गई है।
संजय राउत की गिरफ्तारी को बागी विधायकों पर दबाव बनाने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। पहला यह कि वे अपने लिए मंत्री पद की जिद छोड़ दें। दूसरा, असंतुष्ट होकर ‘घर वापसी’ की कोशिश करने पर उनका भी हश्र संजय राउत जैसा हो सकता है। जानकारों का कहना है कि संजय राउत की गिरफ्तारी से भाजपा यदि बागियों को संदेश देने में सफल हुई तो उम्मीद है कि महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल के गठन का रास्ता अतिशीघ्र साफ हो जाएगा। बाकी तो पाठक जानते ही हैं कि राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है।