Tuesday, 8 October 2024

सैकड़ों करोड़ रूपए की बंदर-बांट का खेल हुआ है नोएडा के मुआवजा घोटाले में

Noida Authority Compensation Scam: नोएडा प्राधिकरण में हुए मुआवजा घोटाले में 150 करोड़ रूपए तक के गड़बड़ घोटाले के प्रमाण…

सैकड़ों करोड़ रूपए की बंदर-बांट का खेल हुआ है नोएडा के मुआवजा घोटाले में

Noida Authority Compensation Scam: नोएडा प्राधिकरण में हुए मुआवजा घोटाले में 150 करोड़ रूपए तक के गड़बड़ घोटाले के प्रमाण सामने आए हैं। नोएडा का यह मुआवजा घोटाला हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार की SIT इस मुआवजा घोटाले की जांच कर रही है।  SIT अब तक मुआवजा घोटाले के 11 मामले को खंगाल रही थी। अब नोएडा के मुआजा घोटाले के 13 प्रकरण प्रकाश में आ चुके हैं।

क्या है पूरा मामला

आपको बता दें कि यह पूरा मामला नोएडा क्षेत्र के गेझा तिलपताबाद, भूड़ा तथा आसपास के गांवों से जुुड़ा हुआ है। वर्ष-2009 के आस-पास इन गांवों की जमीन का अधिग्रहण नोएडा प्राधिकरण ने किया था। नोएडा प्राधिकरण ने मुआवजे का जो रेट निर्धारित किया था उसे लेकर नोएडा प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों ने बड़ा खेला कर डाला। हुआ यह कि कुछ किसानों से सैटिंग करके नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने कोर्ट केश का हवाला देकर निर्धारित दर से कई गुना अधिक मुआवजे का भुगतान कर दिया। इस प्रकार नोएडा प्राधिकरण के 150 करोड़ रूपए से अधिक का भुगतान गलत ढंग से कर डाला।

इस प्रकरण की शिकायत के बाद जांच शुरू हुई तो नोएडा प्राधिकरण के एक विधि अधिकारी को निलंबित कर दिया गया। अपने निलंबन के विरूद्ध विधि अधिकारी सुप्रीम कोर्ट चला गया। सुप्रीम कोर्ट ने पूरे प्रकरण की जांच SIT से कराने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर SIT ने इस पूरे प्रकरण की जांच करके उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दी है। SIT में उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के अध्यक्ष हेमंत राव, मेरठ में तैनात पुलिस के एडीजी तथा मेरठ के कमिश्नर शामिल हैं।

सामने आया नया प्रकरण

SIT की जांच के दायरे में गेझा गांव के किसान कुंदन, भुल्लड, दलीप, गोपी, विद्यावती, सोहन, छिददा, हंसराज, होराम तथा सालिगराम आदि से जुड़े हुए थे।  SIT की जांच में भूड़ा गांव के 8 किसानों के भी प्रकरण सामने आए हैं।  SIT की रिपोर्ट में कहा गया है कि अथॉरिटी में कोर्ट केस में सेटलमेंट के नाम पर मुआवजा बांटने में हुआ फर्जीवाड़ा सिर्फ गेझा तिलपताबाद तक सीमित नहीं है। भूड़ा गांव में भी 8 किसानों को कोर्ट केस के नाम पर अथॉरिटी अधिकारियों ने बढ़ाकर मुआवजा बांटा है। यह खुलासा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी एसआईटी की जांच में हुआ है।

SIT अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी है। जांच में सामने आया कि यहां जिन किसानों को 93.75 रुपये प्रति वर्ग मीटर मुआवजा दिया जाना था, कोर्ट सेटलमेंट के नाम पर उन्हें 297 रुपये प्रति वर्ग मीटर मुआवजा दिया गया। 2009-2023 के बीच 20 किसानों से कोर्ट केस के नाम पर बाहर सेटलमेंट में करीब 117 करोड़ 56 लाख 95 हजार 404 रुपये ज्यादा मुआवजा दिया गया। एसआईटी ने रिपोर्ट में जिम्मेदारी तय करते हुए अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश भी कर दी है। एसआईटी में बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के चेयरमैन हेमंत राव, एडीजी मेरठ व कमिश्नर मेरठ शामिल थे।

SIT की रिपोर्ट के मुताबिक भूड़ा व आसपास के इलाकों के लिए जिला न्यायालय गाजियाबाद ने 26 जुलाई 1993 को 93.75 रुपये प्रति वर्ग मीटर जमीन का मुआवजा तय किया। इसके बाद करन सिंह की रिट में 21 जुलाई 2014 को हाईकोर्ट ने भी इसी मुआवजे को सही माना। फिर भी भुड़ा के 8 प्रकरण में मुआवजा 297 रुपये प्रति वर्ग मीटर दिया गया। एसआईटी ने रिपोर्ट के पेज नंबर-177 पर निष्कर्ष निकालते हुए लिखा कि न्याय का संतुलन नोएडा अथोरिटी के पक्ष में था। फिर भी कोर्ट केस के नाम पर ज्यादा मुआवजा बांटा गया।

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