Noida News : नोएडा । एसआईटी (SIT) ने नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) की मुआवजा वितरण और जमीन अधिग्रहण में हुई गड़बड़ी से जुड़ी जांच पूरी कर रिपोर्ट तैयार कर ली है। यह रिपोर्ट करीब 200 पन्नों की है। मुआवजा गड़बड़ी मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान शासन ने एसआईटी के जरिए दी गई रिपोर्ट को न्यायालय के समक्ष रखा। शासन ने पूरी रिपोर्ट हिंदी में होने के कारण इसका अंग्रेजी में अनुवाद कराने के लिए न्यायालय से अतिरिक्त समय मांगा। ऐसे में न्यायालय ने शासन को रिपोर्ट को ट्रांसलेट करने के लिए वक्त देने को मंजूरी दी है। इस वजह से न्यायालय रिपोर्ट को लेकर कोई सुनवाई नहीं कर सका। अब अगले महीने होने वाली सुनवाई में न्यायालय इस रिपोर्ट के आधार पर कोई आदेश दे सकता है। इस मामले में कई अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
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प्राधिकरण के आधिकारिक की मानें तो एसआईटी (SIT) ने करीब 200 पेज की रिपोर्ट तैयार की है। इसमें प्राधिकरण की जानकारी में आए गेझा गांव के 11 प्रकरणों के अलावा कुछ और गांवों में बांटे गए मुआवजों की फाइलों में गड़बड़ी मिली है। इन फाइलों में सैकड़ों करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान प्राधिकरण को होने की बात कही गई है। बताया गया कि मुआवजा देने की प्रक्रिया में बेशक फाइल सहायक विधि अधिकारी स्तर से चली, लेकिन इस मामले में मंजूरी देते समय आला अधिकारियों ने भी लापरवाही बरती।
मुआवजा वितरण की गड़बड़ी में शामिल रहे अधिकारियों-कर्मचारियों से शपथपत्र के साथ अपने और अपने परिवार की संपत्ति का भी ब्योरा देने को कहा गया है। अब अगले महीने सुनवाई में न्यायालय एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर कोई फैसला दे सकता है। गेझा गांव में बांटे गए मुआवजा वितरण गड़बड़ी मामलें तत्कालीन सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र नागर और दिनेश सिंह को निलंबित किया जा चुका है। इस मामले में सेक्टर-20 और फेज-1 थाने में केस दर्ज हुआ था।
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