अंजना भागी
Noida News : कहते हैं कूड़े के दिन भी कभी बदलते हैं परंतु कोई कोई अपना भाग्य ऐसा लिखवा कर लाता है कि वह सदा दुर्भाग्य ही बना रहता है। आर ब्लॉक के नोएडा की और से प्रवेश द्वार पर एक ओर तो खूब सूरत घर हैं। इनके बिलकुल सामने इंदुस्ट्रियल इलाका है। यह दीवार उस बड़ी सी फैक्ट्री की ही दीवार है। ऐसा नहीं कि इसको सवारने की कोशिश नहीं की गई। इसको भी कई बार संवारा गया बल्कि इस पर भी देसी स्लोगन लिखे गये लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात। अब तो मैं आपको इस दीवार का दुर्भाग्य ही कहूंगी। आज नोएडा सेक्टर 11 को बने लगभग 45 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी यदि नोएडा से दिल्ली की ओर जाते है। या कोंडली की ओर से ग्यारह से निकलते हैं तो एक नाला सामने से आता है एक नाला कोंडली की ओर जाता है। जहां इन दो नालों का जोड़ बनता है यह कोना अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर वक्त गंध या दुर्गंध छोड़ता है। ऐसा नहीं कि यह अकेला ही पॉइंट है जहां पर दो नाले मिल रहे हैं । सेक्टर 11 से लगभग चार सड़के दिल्ली की ओर जा रही है चारों ही सड़कों पर कोना भी है और दीवार भी लेकिन इस कोने में कैसी चुंबक लगी है जो यहां से गुजरने वाले अधिकांश पुरुषों को गुरुत्वाकर्षण की तरह इस कोने की ओर खिंचती है। अधिकांश पुरुषों को इस कोने पर आते ही ऐसे ब्रेक सा लग जाता है जैसे उसे किसी जादूई शक्ति ने ही रोक लिया हो। हैरानी तो तब होती है जब पैदल, साइकिल वाला, स्कूटर वाला, मोटरसाइकिल वाला यहाँ तक की गाड़ी वाले भी गाड़ी एक किनारे पर लगा देते हैं इस कोने की और दोड़ते हैं लघु शंका करते हैं और फिर अपनी राह पकडते हैं।
नोएडा की दीवार का दुर्भाग्य
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स्कूल जाने वाले बच्चे साइकिल से जाएं या पैदल जाए वहां अपनी साइकिल रोककर बकायदा मूत्र विसर्जन में किसकी धार ऊंची का कंपटीशन करते हैं । ऐसा नहीं की फैक्ट्री के मालिक ने इस दीवार की इज्जत बचाने की कोशिश ना की हो । कई कोशिशें की, पौधे रखवाये। लेकिन उसका भी कोई असर नहीं हुआ जहां भी कुछ लिखा था उससे एक गज की दूरी पर लोग फारिग होते ही रहे। फैक्ट्री का मालिक भी आखिरकार तंग आ गया और उसने भी अब दीवार बेज्जती के लिए छोड़ ही दी है। लेकिन वहां सामने रहने वाले रेजिडेंट्स, उसके आसपास रहने वाले रेजिडेंट्स तथा सामने एल ब्लॉक मार्केट के लोगों को दो नालों का यह कोण इक बददुआ सा लगता है। इस कोने से दाएं हाथ की तरफ 100 मीटर पर बाथरूम है इसके बाएं हाथ की तरफ सामने मार्केट में पब्लिक शौचालय है। उससे थोड़ा आगे चलो तो एच ब्लॉक मार्केट में भी पब्लिक शौचालय है। लेकिन इस दीवार में ऐसी क्या चुंबक है यह जानना अत्यंत मुश्किल है। सेक्टर 11 में नोएडा प्राधिकरण की मीटिंग सेक्टर की समस्याओं को लेकर बुलाई गई थी। आधे लोगों को यही शिकायत थी कि इस दीवार का कुछ किया जाए यह परेशानी स्वच्छता कर्मचारियों के आगे भी रखी गई थी। उन्हें या तो यकीन ही नहीं आया कि जिस पॉइंट के 300 मीटर के घेरे में तीन टॉयलेट हों फिर भी लोग किसी जगह का कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं? प्राधिकरण ने फिर भी कि अनहाइजीनिक तो है ही न तथा इस दीवार की भी कुछ इज्जत सलामत रहेगी इसलिये जल्दी ही दोनों ओर से नाले को कवर करवा दिया। लेकिन यहां तो हद ही हो गई दो पत्थरों के बीच में थोड़ी सी जो स्पेस है और दीवार लोगों का अब वह ही पूरी तरह से टारगेट बन गया है। उसका इस्तेमाल वैसे ही चल रहा है। लोग नाले के ऊपर चढ़कर दीवार पर अब ऊपर से ऊपर तक मूत्र विसर्जन करने लगे हैं हमें तो यही समझ नहीं आता कि अगर किसी को लघुशंका से फारिग होना ही है तो उसमें दीवार का क्या रोल है? अब तो प्राधिकरण का ही आसरा है यदि वे इस दीवार पर कुछ ऐसी चित्रकारी करवा दे या तो छोटी सी बगिया ही इस दीवार की बेहुरमति या बेइज्जती थाम सकती है अन्यथा 40 सालों से तो यह दीवार शायद सेक्टर 11 की सबसे बेइज्जत दीवार है अब इस पॉइंट को मानसिक स्वच्छता की अधिक आवश्यकता है।
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अब तो स्वच्छता विभाग ही तय कर सकता है कि नोएडा की इस दीवार को बेइज्जत होने से कैसे बचाया जाए?