Saturday, 4 May 2024

अविश्वास प्रस्ताव में ना विपक्ष हारा ना ही सत्ता हारी किन्तु मणिपुर हार गया No Confidence Motion

No Confidence Motion : (रवि अरोड़ा) देश में अविश्वास प्रस्ताव पर हो रही बहस का सीधा प्रसारण देखना बहुत ही…

अविश्वास प्रस्ताव में ना विपक्ष हारा ना ही सत्ता हारी किन्तु मणिपुर हार गया No Confidence Motion

No Confidence Motion : (रवि अरोड़ा) देश में अविश्वास प्रस्ताव पर हो रही बहस का सीधा प्रसारण देखना बहुत ही ज्ञानवर्धक होता है। सरकार द्वारा किए गए एक एक काम की सिलसिलेवार जानकारी और सरकार की विफलताओं का चिट्ठा एक साथ मिल जाता है। पहले अविश्वास प्रस्तावों की तो खबर नहीं मगर 1990 में वीपी सिंह की सरकार के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव से आज तक आए सभी ऐसे प्रस्तावों पर तो मैं भी सजग रहा हूं। देवगौड़ा और अटल बिहारी वाजपेई की सरकार के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्तावों के समय नेताओं द्वारा कही गई अनेक बातें तो आज तक मुझे याद हैं।

No Confidence Motion

अब उन्ही वक्तव्यों की रौशनी में यह दावे से कहा जा सकता है कि ताज़ा अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बहस से स्तरहीन चर्चा देश ने इससे पहले कभी नहीं देखी होगी। विपक्ष के बड़े नेता राहुल गाँधी आज तक शब्दों का चयन नहीं सीख सके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो दंभ में इतने चूर नजर आए कि उन्हें पूरा सुनना भी किसी यातना से कम नजर नहीं आ रहा था । रही सही कसर स्मृति ईरानी ने फ्लाइंग किस का मुद्दा उछाल कर पूरी कर दी। समझ नहीं आता कि जब हमारी संसद का स्तर ही इतना छिछला है तो बाकी इदारों से क्या उम्मीद की जा सकती है ?

बड़े नेताओं ने खा रखी थी कसम

बेशक विपक्ष की और से गौरव गोगोई और गृह मंत्री अमित शाह जैसे कुछ वक्ता अवसर के अनुरूप और विषय पर बोले मगर अन्य बड़े नेताओं ने तो जैसे मुद्दे पर बात न करने की ही कसम खा रखी थी। राहुल गांधी से देश की एक बड़ी आबादी को बहुत उम्मीदें लगा रखी हैं मगर अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए उन्होंने निराश ही किया ।

भारत माता की हत्या और मोदी की रावण से तुलना जैसा बहुत कुछ ऐसा उन्होंने कहा जो बेशक मोदी विरोधियों के कलेजे को ठंड पहुंचा गया हो मगर स्वयं उनकी राजनीति के लिए उचित नहीं है। शब्दों के चयन में उनसे बार बार हो रही चूक यकीनन उन्हें आगे बढ़ने से ही रोकेगी। उधर, स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो सिर से पांव तक अभिमान से चूर नजर आए। अपने 132 मिनट के भाषण में उन्होंने कांग्रेस को पानी पी पी कर कोसा और 112 मिनट तक मणिपुर का जिक्र भी नहीं किया । परिणाम यह हुआ कि ऊब कर विपक्षी सांसद बहिर्गमन ही कर गए।

मोदी ने उड़ाया विपक्ष का उपहास

मोदी हर दो चार मिनट बाद कांग्रेस और उसके बडे़ नेताओं का ही हंस हंस कर उपहास उड़ाते नजर आए और स्कूल मास्टर की तरह अपने सांसदों से भी अपने शब्द दोहरवाते रहे । कमाल की बात तो यह थी कि अविश्वास प्रस्ताव आया था 26 दलों के गठबंधन इंडिया की ओर से मगर कांग्रेस के अतिरिक्त किसी अन्य दल का मोदी जी ने नाम तक नहीं लिया। वे घूम फिर बात गांधी परिवार पर ही ले आते थे । बेशक अविश्वास प्रस्ताव गिर गया और मोदी सरकार का बाल भी बांका नहीं हुआ मगर मोदी जी को भी सोचना तो पड़ेगा कि कब तक हर बात के लिए कांग्रेस को दोष दिया जायेगा, कहीं जनता उकता गई तो ?

फ्लाइंग किस पर बवाल, महिलाओं की नग्नता पर चुप्पी

स्मृति ईरानी कभी भी गंभीर नेता नहीं रहीं। राहुल गांधी पर हमला करने के लिए ही भाजपा ने उन्हें रख छोड़ा है और हर बार वे अपना यह काम पूरा भी करती हैं। मगर यह क्या बात हुई कि फ्लाइंग किस का ही आरोप राहुल गांधी पर जड़ दिया ? स्मृति की पहल पर 21 महिला सांसदों ने राहुल के आचरण को महिला विरोधी बताकर सभापति से लिखित शिकायत की है।

ये वही महिला सांसद हैं जिन्होंने मणिपुर में महिलाओं की नग्न परेड पर एक शब्द भी नहीं कहा और धरने पर बैठी महिला पहलवानों का भी कभी जिक्र तक नहीं किया। बेशक राहुल गांधी बालमना हैं और अपने लाड़ प्यार का इजहार सार्वजानिक रूप से भी कर देते हैं मगर फिर भी उनके बाबत स्तरहीन आरोप लगाना तो हैरान कर देने वाला है। जबकि उधर भाजपा मे ही अनेक ऐसे सांसद हैं जिन पर बलात्कार जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। हैरानी की बात है कि इन शिकायत कर्ता महिला सांसदों ने कभी इन बलात्कारियों के बाबत भी कुछ नहीं कहा और उनके साथ बैठने से मना नहीं किया।

टीवी की गुलाम मानसिकता का परिचय

अविश्वास प्रस्ताव के समय लोकसभा टीवी ने भी अपनी गुलाम मानसिकता का खुल कर परिचय दिया। राहुल गांधी के भाषण के समय वह सभापति ओम बिड़ला को दिखाता रहा जबकि मोदी के भाषण के समय पल भर को भी उन्हें कैमरे की जद से बाहर नहीं किया। मोदी जी के भाषण के समय जब राहुल गांधी का जिक्र होता था, उस समय यदि देश राहुल गांधी की भाव भंगिमाएं देखता तो क्या ही अच्छा होता मगर मोदी प्रेम में लोकसभा टीवी के कैमरा मैन को तो जैसे इसकी फुर्सत ही नहीं मिली।

No Confidence Motion

आखरी बात । इस पूरी बहस में हम कहां हैं ? हो सकता है कि भाजपा को इसका फायदा हुआ हो अथवा कांग्रेस या फिर और कोई दल इससे लाभान्वित हुआ हो मगर हमें क्या मिला ? हमें तो बताया गया था कि बात मणिपुर पर होगी । मगर उस पर तो भावनाएं भड़काने अथवा उस पर रख डालने के अतिरिक्त कुछ नहीं हुआ ? चलिए इसे भी छोड़िए। मूल बात ! मणिपुर और उसकी महिलाओं को इस अविश्वास प्रस्ताव से क्या हासिल हुआ ? No Confidence Motion

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