Major Dhyanchand Birthday: एक हॉकी खिलाड़ी ऐसी हॉकी खेलता था, कि देखने वालों को लगता की वो हॉकी नहीं खेल रहा है, बल्कि जादू दिखा रहा है। उस खिलाड़ी के इशारों पर गेंद ऐसे नाचना शुरू कर देती थी। जैसे उस खिलाड़ी के स्टिक पर कोई चुंबक लगा हो।
किसी-किसी व्यक्ति को तो उनकी हॉकी स्टिक में गोंद लगे होने का शक होता। इसीलिए उस खिलाड़ी को नाम दिया गया हॉकी का जादूगर। वो खिलाड़ी कोई और नहीं भारत के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद जी थे।
Major Dhyanchand Birthday ऐसे पड़ा नाम ध्यानचंद
On #NationalSportsDay and birth anniversary of Major #dhyanchand ji I pay my humble tribute to the legendary. pic.twitter.com/M1dqdRABcU
— Paritush P Choudhury🇮🇳 (@paritush_assam) August 29, 2023
मेजर ध्यानचंद जी का आज जन्मदिन (Major Dhyanchand Birthday) है। उनका जन्म आज ही के दिन 29 अगस्त, 1905 को यूपी के इलाहाबाद में हुआ था। अब इस दिन को खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। देशवासी उन्हें इस अवसर पर याद कर रहे हैं।
मेजर ध्यानचंद का बचपन में घरवालों द्वारा नाम ध्यान सिंह रखा गया था। लेकिन उनका हॉकी के प्रति इतना समर्पण था कि वो न सिर्फ दिन में ही नहीं, बल्कि रात में चंद्रमा की रोशनी में भी प्रैक्टिस किया करते थे। इस कारण घरवालों ने उनका नाम बदल कर ध्यान सिंह से ध्यानचंद कर दिया।
खेल के प्रति था गजब का समर्पण
मेजर ध्यानचंद का हॉकी के प्रति गजब का समर्पण था। इसी का परिणाम है कि उन्होंने भारत को लगातार तीन ओलंपिक (1928 एम्सटर्डम, 1932 लॉस एंजेलिस और 1936 बर्लिन) में हॉकी का स्वर्ण पदक दिलाने का कारनामा किया। वो अभ्यास मैच तक को बड़ी गम्भीरता से लेते थे।
जब ओलंपिक से पहले एक अभ्यास मैच में भारत को जर्मनी के हाथों 1-4 से हार का सामना करना पड़ा, तो वो उस हार से टूट गए। उन्होंने हार को भी पूरी गम्भीरता से लिया और हर के कारणों की वजह ढूंढी। Major Dhyanchand Birthday
अपनी आत्मकथा ‘गोल’ में मेजर ध्यानचंद ने लिखा कि, “इस हार ने हमें इतना हिला कर रख दिया, कि हम पूरी रात सो नहीं पाए, हमने तय किया कि इनसाइड राइट पर खेलने के लिए हमें आईएनएस दारा को भारत से तुरंत जर्मनी बुलाना चाहिए।”
बर्लिन ओलंपिक में ऐसे छुड़ाए जर्मन टीम के छक्के
राष्ट्रीय खेल दिवस की ढेरों शुभकामनाएं एवं भारत के महान हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।#NationalSportsDay #dhyanchand ji pic.twitter.com/oX2jh5dx9q
— 🇮🇳 𝙱𝚛𝚒𝚓𝚎𝚜𝚑 𝙿𝚊𝚝𝚎𝚕🚔🪖 (@Brijesh242013) August 29, 2023
1936 में हुए बर्लिन ओलंपिक में फाइनल मैच में भारत और जर्मनी के बीच टक्कर होनी थी। बर्लिन के हॉकी स्टेडियम में उस दिन 40 हजार दर्शकों के साथ-साथ जर्मन तानाशाह हिटलर की भी मौजूदगी थी। हाफ टाइम तक भारत सिर्फ 1 गोल से ही आगे था। इस बात से ध्यानचंद जी खुश नहीं थे। उन्हें महसूस हुआ कि उनके जूते उनके खेल में बाधा बन रहे हैं।
इसलिए हाफ टाइम के बाद जब खेल दोबारा शुरू हुआ, तो ध्यानचंद जी ने अपने स्पाइक वाले जूते निकाले और नंगे पैर खेलना शुरू कर दिया और उन्होंने नंगे पैर कमाल की हॉकी खेली। इसके बाद उन्होंने पूरे जोश से खेलना शुरू कर दिया। तो उन्हें देखकर बाकी खिलाड़ियों में भी जोश आ गया। फिर तो भारत ने एक के बाद एक कई गोल दाग दिए। देखते ही देखते भारत के 6 गोल हो गए।
इसके बाद जर्मन टीम काफी हताश हो गई और उसने निगेटिव हॉकी खेलना शुरू कर दिया। उनका मुख्य टारगेट भारतीय स्टार खिलाड़ी ध्यानचंद ही थे। इसके चलते उनके गोलकीपर टिटो वार्नहोल्ज ने अपनी हॉकी स्टिक मेजर ध्यानचंद के मुंह पर इतनी जोर से मारी कि उनका दांत टूट गया।
उपचार के बाद मैदान में लौटने पर मेजर ध्यानचंद ने अपने खिलाड़ियों को रणनीति बदलने के निर्देश दिए और कहा कि अब कोई गोल न मारा जाए। बल्कि अब जर्मन खिलाड़ियों को ये सिखाया जाए कि गेंद पर नियंत्रण कैसे किया जाता है। इसके बाद भारतीय खिलाड़ी बार-बार गेंद को जर्मनी की ‘D’ में ले जाते और फिर गेंद को बैक पास कर देते।
Sports News: इससे जर्मन खिलाड़ियों की उलझन और बढ़ गई। जर्मन खिलाड़ियों की समझ में ही नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है। उस फाइनल मैच को भारत ने हॉकी के जादूगर Major Dhyanchand के 3 गोल की बदौलत 8-1 से जीत, गोल्ड मैडल भी जीत लिया।
Major Dhyanchand Birthday
अगली खबर
Virat Naveen Crash: एशिया कप में नहीं दिखेगी विराट-नवीन की भिड़ंत, जाने इन दोनों खिलाड़ियों की टक्कर न होने की वजह
देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें।
देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।