Friday, 3 May 2024

डीपफेक: एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग,बच के रहना जरूरी

ऐसी तकनीक है जिसमे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके किसी भी व्यक्ति की आवाज या चेहरे को किसी अन्य व्यक्ति की आवाज या चेहरे मे बदल कर दिखाया या सुनाया जा सकता है

डीपफेक: एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग,बच के रहना जरूरी

Deepfake Technique : जी हाँ,डीपफेक एक ऐसी तकनीक है जिसमे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके किसी भी व्यक्ति की आवाज या चेहरे को किसी अन्य व्यक्ति की आवाज या चेहरे मे बदल कर दिखाया या सुनाया जा सकता है। डीपफेक मे वीडियो, ऑडियो, या कोई भी मल्टीमीडिया कंटेंट बनाने के लिए,किसी भी व्यक्ति के चेहरे, आवाज, या एक्सप्रेशन को मैनिपुलेट किया जाता है।

क्या है डीपफेक

डीपफेक मे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दुरूपयोग किया सकता है। किसी व्यक्ति के चेहरे या आवाज को किसी अन्य व्यक्ति की तरह दिखाने के लिए डीपफेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है। इसमें, डीपफेक से व्यक्ति अपने चेहरे को किसी बड़े स्टार के चेहरे के साथ स्वैप करके वीडियो बना सकता हैं, जिसे देखकर लगता है कि वीडियो में  वो सेलिब्रिटी खुद मोजूद है। ऐसे वीडियो को देख लोग भ्रमित हो सकते हैं और असली और नकली की पहचान कर पाना  मुश्किल हो जाता है।

डीपफेक कैसे काम करता है 

डीपफेक तकनीक  का दुरुपयोग भी हो सकता है, जैसे की किसी के नाम पर फेक न्यूज या भ्रामक कंटेंट बनाकर किसी को बदनाम किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल किसी का गलत प्रचार या  कोई अन्य घोटाले करने के लिए भी हो सकता है। इसीलिए आज इसके गंभीर परिणाम को समझते हुए डीपफेक तकनीक  पर नजर रखना और इसे कानून के दायरे में लाना बहुत जरूरी है।

डीपफेक तकनीक के इस्तेमाल से कई तरह के ख़तरे पैदा हो सकते हैं

डीपफेक का पता कैसे लगाया जाता है Deepfake Technique

ये ख़तरे न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि समाज और उधोगो व व्यापार को भी भारी नुक्सान पहुचा सकते हैं।

डीपफेक तकनीक  के दुष्परिणाम: अफ़वाह: डीपफेक वीडियोज का इस्तेमाल करके किसी भी व्यक्ति के चेहरे, आवाज या एक्सप्रेशन को आसानी से मैनिपुलेट किया जा सकता है। इस तरह फ़र्ज़ी जानकारी सामग्री से अफ़वाह फ़ेलने का ख़तरा बढ़ जाता है। क्योंकि असली और नकली में फ़र्क कर पाना सभी के लिए आसान नहीं हैं।

पहचान की चोरीः  डीपफेक तकनीक  के माध्यम से किसी भी व्यक्ति की पहचान को चुराया जा सकता है। इस तरह किसी भी व्यक्ति की छवि को गलत तौर पर पेश करके बदनाम किया जा सकता है।

व्यक्ति की निजता को बड़ा खतरा: डीपफेक तकनीक से व्यक्ति की निजता पर बड़ा खतरा पैदा हो गया है। किसी भी  व्यक्ति  का चेहरा, आवाज़ या उसका कोई भी व्यक्तिगत विवरण डीपफेक का शिकार बन सकता है।

राजनीति दुरुपयोगः जनमत पर असर डालने के लिए डीपफेक से दूसरे नेता के भाषणों और वीडियो को मैनिप्युलेट करके गलत रूप से पेश किया जा सकता है जिसका परिणाम बहुत घातक हो सकता है।

साइबर सुरक्षा का खतरा :डीपफेक्स तकनीक से साइबर सुरक्षा में  महत्वपूर्ण खतरा पैदा हो गया हैं, क्योंकि इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग व्यक्तियों के वास्तविकता की तरह दिखने वाले नकली वीडियो या ऑडियो रिकॉर्डिंग्स बनाने में शामिल होता है। इन डीपफेक तकनीकों का  कों को विभिन्न हानिकारक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है, जिससे संभावित सुरक्षा खतरे पैदा हो सकते हैं।

आपसी भरोसा कमजोर होनाः डीपफेक प्रयोग के बढ़ने से लोगो का आपस में भरोसा करना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि इसमें असली और नकली को पहचानने में मुश्किल होती है जिसका रिश्तो और समाज पर गलत असर पड़ेगा।

कानूनी जटिलताएँः  भारत में ऑनलाइन अपराधों के खिलाफ कई कानूनी उपाय उपलब्ध हैं जिसका उपयोग करके अगर कोई गलत कंटेंट बनाता है तो  उसके खिलाफ  लीगल एक्शन लिया जा सकता है, लेकिन असली नकली को अलग कर पाना  बहुत मुश्किल होता है  इसलिए आज  डीपफेक को  नियंत्रित करने क लिए एक  कठोर कानून बनाने की जरूरत है।

डीपफेक से बचने के कुछ उपाए;Deepfake Technique

डीपफेक से बचने के लिए कुछ तरीके हैं, लेकिन ये तकनीक बहुत तेजी से बढ़ रही है, इसलिए निरंतर सतर्कता और अधिक सटीक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता हैं।

उन्नत प्रमाणीकरण प्रणालियाँः एडवांस्ड ऑथेंटिकेशन सिस्टम का इस्तेमाल, जैसे बायोमेट्रिक पहचान, रेटिना स्कैन, फिंगर प्रिंट स्कैन, जो ट्रेडिशनल पासवर्ड से ज्यादा सिक्योर होते हैं। ..

ब्लॉकचेन तकनीकः ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल,जिसका इस्तेमाल करके डीपफेकप्रूफ डेटाबेस बनाया जा सके और किसी भी सामग्री की अखंडता को बनाए रखने के लिए  इस्तेमाल किया जा सके। ..

डीपफेक डिटेक्शन टूल्सः डीपफेक डिटेक्शन टूल्स का इस्तेमाल करके कुछ कंपनियों और शोधकर्ताओं ने डीपफेक डिटेक्शन एल्गोरिदम विकसित किए हैं, जो असली और डीपफेक कंटेंट को अलग करने में मदद करते हैं। ..

शिक्षा और जागरूकताः लोगो को डीपफेक तकनीक के बारे मे  जागरुक करना और उनको सिखाना की कैसे असली और नकली सामग्री को पहचानना जा सकता है। जागरूकता बढ़ने से लोगों को सतर्क रहने में मदद मिलेगी। ..

कानूनी ढांचाः कानूनी ढाँचे को मजबूत बनाकर डीपफेक तकनीक का गलत इस्तेमाल करने वालो पर कठोर कार्यवाही की जा सकती है। कानून  बनाने से  लोगो के मन मे डर होगा और इसका गलत  इस्तेमाल करने से बचेंगे। ..

मीडिया सृजन में पारदर्शिताः मीडिया क्रिएशन में ट्रांसपेरेंसी बनाये रखना ताकि लोगों को पता चले की क्या कंटेंट रियल है और क्या नहीं। ये मीडिया हाउस और कंटेंट क्रिएटर्स के लिए बड़ी जिम्मेदारी है। ..

जिम्मेदार उपयोग को प्रोत्साहित करनाः  सोशल मीडिया प्लेटफार्म के  माध्यम से लोगो  को इसके जिम्मेदार उपयोग के लिए प्रोत्शाहित करना होगा।

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