Saturday, 27 April 2024

51 महीने बाद भी लखनऊ के ऐतिहासिक घंटाघर पर PAC और पुलिस का पहरा

Lucknow News  : देश में नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) की अधिसूचना जारी हो चुकी है। केंद्र की मोदी सरकार ने…

51 महीने बाद भी लखनऊ के ऐतिहासिक घंटाघर पर PAC और पुलिस का पहरा

Lucknow News  : देश में नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) की अधिसूचना जारी हो चुकी है। केंद्र की मोदी सरकार ने अपने संकल्प पत्र में वादा किया था इसलिए तमाम तरह के विरोध- प्रदर्शन होने के बावजूद सरकार ने हार नहीं मानी। पहले संसद में यह प्रस्ताव रखा गया तो विपक्ष ने जमकर विरोध जताया। वहीं, बिल पास होने के बाद देश के विभिन्न राज्यों में इसका विरोध देखने को मिला। वैसे तो CAA का विरोध दिल्ली के शाहीनबाग से शुरू हुआ था। लेकिन 17 जनवरी, 2020 की शाम इसकी आंच यूपी की राजधानी के पुराने लखनऊ में स्थित ऐतिहासिक घंटाघर पर पहुंच गईं। यहां आज भी उस दौरान हुए आंदोलन की दहशत कायम है। दिन रात PAC और स्थानीय पुलिस के जवान इसकी रखवाली कर रहे हैं। जिससे कि घंटाघर का दीदार करने वालों को दूर से ही लुफ्त उठाना पड़ रहा है। हालांकि, अगर ऐतिहासिक घंटाघर के इतिहास की बात करें तो वो भी बेहद खास है जोकि लखनऊ की खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करता है।

66 दिनों तक डटी रहीं थीं महिलाएं

आज भले ही बैरीगेटिंग, काटों वाले तार समेत तमाम तरह की बंदिशे लगा दी गईं हो लेकिन पुराने लखनऊ में स्थित घंटाघर सभी की जुबान पर है। दरअसल, दिल्ली के शहीनबाग की तर्ज पर करीब 30 महिलाएं अचानक लखनऊ में स्थित घंटाघर पर CAA और NRC के विरोध में धरने पर बैठ गई। हालांकि, सरकार ने हर कोशिश की थी, इस प्रदर्शन को खत्म करवाने की, लेकिन राजनीतिक दलों के समर्थन से आंदोलन और बड़ा रूप ले रहा था। मुस्लिम महिलाएं दिन रात तमाम तकलीफें सहने के बाद 66 दिनों तक घंटाघर पर डटी रहीं। इसके बाद हिंसा, गोलीबारी, गाड़ियों और पुलिस चौकी में आगजनी की तस्वीरें भी किसी से छिपी नहीं हैं। साल 2019-20 के मंजर का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि आज भले (51 महीने) 1528 दिन इस धरना प्रदर्शन को खत्म हुए हो गए हों। लेकिन इसका दहशत आज भी है। यही वजह है कि यहां की संवेदनशीलता को देखते हुए पीएसी और स्थानीय पुलिस का भी जमावड़ा लगा रहता है। हालांकि डीसीपी पश्चिम दुर्गेश कुमार से इस संबंध में बात कि तो उन्होंने कहा कि बीते दिनों डीजीपी प्रशांत कुमार ने संवेदनशील इलाकों में पुलिस द्वारा गस्त करने के निर्देश दिए थे चूंकि घंटाघर पर महिलाओं ने प्रदर्शन किया था इस लिए यहां पर निगरानी के लिए पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं।Lucknow News

PAC के जवान दिन रात दे रहें पहरा Lucknow News 

वैसे तो आंदोलन खत्म करने के लिए यूपी सरकार ने की तमाम कोशिशें की। लेकिन यूपी की योगी सरकार ने कोशिशें जितनी ज्यादा की, प्रदर्शन करने वालों की संख्या उतनी ही बढ़ती गई। इसे रोकने के लिए घंटाघर की बिजली तक काट दी गई। लेकिन महिलाओं ने मोमबत्तियां जला लीं। मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में रात गुजारी। सर्दी की रातों में आग जलाने के लिए लाए गए कोयले पर पुलिस-प्रशासन ने पानी डलवा दिया। महिलाएं ठिठुरती रहीं, लेकिन प्रदर्शन नहीं रुका। प्रदर्शनकारियों ने तमाम तकलीफें सहने के बाद भी 66 दिनों तक धरना चलाया था। इसके बाद कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए चली गई थीं। हालांकि हालात ठीक होने पर दोबार धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी थी। इसके बाद से घंटाघर पर पीएसी तंबू गाड़कर दिन-रात पहरा दे रही है। इसके साथ ही ठाकुरगंज थाने की पुलिस भी लगातार निगरानी रखे है। किसी भी व्यक्ति को घंटाघर के आसपास जाने की भी अनुमति नहीं है।

नागरिकता देने के लिए बना कानून- सरकार

केंद्र सरकार ने 11 मार्च 2024 को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) लागू कर दिया। ये कानून बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसियों को नागरिकता देने का काम करेगा। CAA लागू होने के बाद देश के लगभग सभी राज्यों की पुलिस को अलर्ट पर रखा गया। किसी भी हाल में कानून व्यवस्था न बिगड़े इसको लेकर सरकार के निर्देश पर जिम्मेदार अधिकारी फील्ड पर नजर आए। दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस की साइबर सेल भी पूरी तरह सचेत दिखी।

अवध के पहले लेफ्टिनेंट के स्वागत में बना था घंटाघर Lucknow News 

अवध के पहले संयुक्त प्रांत के लेफ्टिनेंट गवर्नर जॉर्ज कूपर के स्वागत में नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने 1881 में घंटाघर बनवाना शुरू किया। यह 1887 में बनकर पूरा हुआ। कुछ लोग इसे सर जॉर्ज ताजिर को समर्पित विजय स्तंभ का रूप भी बताते हैं। इसका शानदार डिजाइन रस्केल पायने ने तैयार किया था। तकनीकी दृष्टि से विश्व की 3 ऐतिहासिक घड़ियों में यह एक है। ब्रिटेन की फर्म जेडब्ल्यू बेंसन ने इसका निर्माण बिग-बेन की तरह किया था। कहा जाता है कि घंटाघर में लगी घड़ी की सुइयां बंदूक की धातु से बनी हैं। इसी वजह से यह सुइयां भारतीय मौसम के अनुकूल हैं। इसकी सुइयां लंदन के लुईगेट हिल से लाई गई थीं। 14 फीट लंबा और डेढ़ इंच मोटा पेंडुलम लंदन की वेस्टमिंस्टर क्लॉक से बड़ा है। इसमें घंटे के आसपास फूलों की पंखुड़ियों के आकार की बेल्स लगी हैं, जो हर घंटे बजती हैं।

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