Saturday, 21 June 2025

राजनाथ आम से मिली नई पहचान, पद्मश्री बागवान ने बताई नामकरण की खास वजह

UP News :  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मलीहाबाद की सरज़मीं न केवल अपनी आम की विरासत के लिए…

राजनाथ आम से मिली नई पहचान, पद्मश्री बागवान ने बताई नामकरण की खास वजह

UP News :  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मलीहाबाद की सरज़मीं न केवल अपनी आम की विरासत के लिए जानी जाती है, बल्कि यहां के बागबानों की नायाब सोच भी इसे वैश्विक पहचान दिला रही है।  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मलीहाबाद के चर्चित बागवान और ‘मैंगो मैन’ के नाम से विख्यात पद्मश्री कलीमुल्लाह खान ने एक बार फिर अपने नवाचार से चर्चा बटोरी है। उन्होंने आम की एक नई किस्म विकसित कर उसे देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नाम पर ‘राजनाथ आम’ का नाम दिया है।

दो पौधों के संगम से जन्मा एक खास आम

इस किस्म को विकसित करने में खान ने ‘ग्राफ्टिंग’ तकनीक का सहारा लिया हैयह बागवानी की एक विशिष्ट पद्धति है, जिसमें दो अलग-अलग पौधों को जोड़कर एक नई नस्ल तैयार की जाती है। कलीमुल्लाह खान के अनुसार, यह सिर्फ एक बागवानी प्रयोग नहीं, बल्कि एक विचारशील श्रद्धांजलि है उन नेताओं को, जिन्होंने देशहित में उत्कृष्ट योगदान दिया है। यह पहली बार नहीं है जब खान ने किसी प्रसिद्ध शख्सियत के नाम पर आम की किस्म रखी हो। इससे पहले वे नरेंद्र मोदी, अमित शाह, सोनिया गांधी, सचिन तेंदुलकर और ऐश्वर्या राय जैसे नामों को अपने आमों के ज़रिए अमर कर चुके हैं।

राजनाथ सिंह के नाम पर आम रखने को लेकर उन्होंने समाचार एजेंसी से कहा, “मैं उन्हीं लोगों के नाम पर आम रखता हूं जो देश की निस्वार्थ सेवा करते हैं। मेरा उद्देश्य है कि आने वाली पीढ़ियां इन नामों को याद रखें। अगर कोई एक आम भी लोगों को राजनाथ सिंह के संतुलित और शांतिप्रिय स्वभाव की याद दिला दे, तो मेरा उद्देश्य पूरा हो जाएगा।”

खान की सोच में झलकता है देश का हित

राजनाथ सिंह को शांति के पक्षधर बताते हुए कलीमुल्लाह खान ने कहा कि हाल की एक चर्चा में उन्होंने पाया कि सिंह युद्ध नहीं, बल्कि संवाद में विश्वास रखते हैं। “जंग से कुछ नहीं मिलता, सिर्फ नफरत बढ़ती है,”—यह विचार कलीमुल्लाह की सोच को और भी परिपक्व बनाता है। 1919 में मलीहाबाद में आम की लगभग 1300 किस्में पाई जाती थीं, जिनमें से कई अब इतिहास बन चुकी हैं। कलीमुल्लाह खान इन्हें संरक्षित करने के मिशन में जुटे हुए हैं और अब तक 300 से अधिक किस्में विकसित कर चुके हैं। वे चाहते हैं कि आम की विरासत न केवल जीवित रहे, बल्कि इसका स्वाद और औषधीय महत्व भी आमजन तक पहुंचे।    UP News

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