UP News : उत्तर प्रदेश के चर्चित IAS अफसर अभिषेक प्रकाश को चारों तरफ से घेर लिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार भ्रष्टïाचार के आरोपी IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश को सबसे बड़ी सजा देने के मूड में है। उत्तर प्रदेश सरकार का प्रयास है कि IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश को ऐसी सजा मिले जो प्रदेश तथा देश के IAS अफसरों के लिए एक बड़ा उदाहरण बन जाए। उत्तर प्रदेश सरकार का प्रयास यह है कि उत्तर प्रदेश के चर्चित IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश को जल्दी ही जल्दी बर्खास्त कराए जाए। किसी IAS अधिकारी को बर्खास्त कराने की शक्ति उत्त्तर प्रदेश सरकार के पास नहीं है। IAS अधिकारियों की नियुक्ति तथा बर्खास्तगी संघ लोक सेवा आयोग की सिफारिश पर भारत के राष्टï्रपति करते हैं। UP News
चारों तरफ से जांच के दायरे में घिर गया है उत्तर प्रदेश का चर्चित IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश
उत्तर प्रदेश का चर्चित IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश चारों तरफ से जांच के दायरे में घिर गया है। उत्तर प्रदेश सरकार का प्रयास है कि IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश के विरूद्घ इतनी सख्त कार्यवाही की जाए कि भविष्य में कोई आईएएस IAS भ्रष्टïाचार करने के विषय में सोचता हुआ भी डर जाए। उत्तर प्रदेश के इन्वेस्ट यूपी के CEO के पद पर रहते हुए निलंबित किए गए अभिषेक प्रकाश के विरूद्घ 15 दिन के अंदर पांच-पांच जांचों का आदेश हुआ और उन पर जांचों का शिकंजा कसता चला गया। निलम्बन के साथ ही गोमतीनगर थाने में 20 मार्च को दर्ज एक एफआईआर में उनका नाम बढ़ाने को लेकर मंथन चल रहा है। साथ ही विजिलेंस, ईडी जांच के आदेश हुए। डिफेंस कारीडोर के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर हुई धांधली में जांच हुई तो उन्हें दोषी पाया गया।
शासन ने सोलर संयत्र लगाने वाले एक उद्योगपति से पांच प्रतिशत रकम रिश्वत के तौर पर मांगे जाने को लेकर गम्भीर रुख अख्तियार किया है। इसके बाद ही ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई। आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश के करीबी निकांत जैन के खिलाफ गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज हुई। इसमें अभिषेक प्रकाश का नाम तो नहीं है लेकिन शासन ने उनके निलम्बन का जो आदेश जारी किया, उसमें कई आरोप दिखाए गए। निलम्बन के दूसरे दिन ही शासन ने विजिलेंस जांच के आदेश कर दिए। इस बीच ईडी ने भी जांच शुरू कर दी। UP News
उत्तर प्रदेश के IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश से अभी तक नहीं हुई पूछताछ
विजिलेंस, ईडी और राजस्व के अधिकारी अभी अभिषेक प्रकाश के खिलाफ कई बिन्दुओं पर जांच कर रहे हैं। इस जांच में साक्ष्य मिलने और कई तथ्यों को एक कड़ी में पिरोने के बाद अभिषेक प्रकाश से पूछताछ की तैयारी है। अभी किसी जांच एजेन्सी ने अभिषेक प्रकाश से पूछताछ नहीं की है। जल्दी ही उन्हें नोटिस भेजी जाएगी। अभिषेक के खिलाफ जांच पर जांच के आदेश होने पर उनके कई करीबी भी कार्रवाई के दायरे में आ रहे हैं। मेरठ के एक युवक, लखनऊ में तैनात रहे दो अफसरों के अलावा तीन निजी व्यक्ति भी जांच एजेन्सियों के रडार पर है। अभिषेक के करीबी निकांत जैन ही इन करीबियों का मुखिया बना हुआ था। शासन ने सोलर संयत्र लगाने वाले एक उद्योगपति से 5 प्रतिशत रकम रिश्वत के तौर पर मांगे जाने को लेकर गम्भीर रुख अख्तियार किया है। इसके बाद ही ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई। आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश के करीबी निकांत जैन के खिलाफ लखनऊ के गोमी नगर थने में एफआईआर दर्ज हुई है। UP News
उत्तर प्रदेश का कोई IAS अधिकारी नहीं हुआ बर्खास्त
उत्तर प्रदेश सरकार का प्रयास चर्चित IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश को बर्खास्त करवाने का है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार में तैैनात कोई IAS अधिकारी पहले कभी बर्खास्त नहीं हुआ है। उत्तर प्रदेश के अनेक IAS अधिकारी सस्पेंड भी हुए हैं यहां तक कि जेल में भी गए हैं। दरअसल किसी भी IAS अधिकारी की नियुक्ति तथा बर्खास्त करने की पॉवर केवल भारत के राष्टï्रपति के पास होती है। संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की सिफारिश पर राष्टï्रपति आईएएस IAS अधिकारी की नियुक्ति करते हैं। यूपीएससी की सिफारिश पर ही IAS अधिकारी को बर्खास्त कर सकते हैं।
आपको बता दें कि IAS अफसरों के साथ ही केंद्रीय सेवाओं के सभी अफसरों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। सरकार इनकी नियुक्ति को गजट में अधिसूचित करती है, इसीलिए ये अफसर गजेटेड अफसर कहे जाते हैं। इनमें IAS, IPS और IFS जैसी सेवाओं के अधिकारी शामिल होते हैं। ऐसे में इन अफसरों को राष्ट्रपति के अलावा और कोई भी बर्खास्त नहीं कर सकता है। UP News
भारत के संविधान में दर्ज है IAS अधिकारी को बर्खास्त करने के नियम
IAS अधिकारी की सेवा के नियम और बर्खास्तगी के बारे में संविधान के अनुच्छेद 311 में बताया गया है. इसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो संघ की सिविल सेवा या अखिल भारतीय सेवा या राज्य की सिविल सेवा का सदस्य होता है, उसकी नियुक्ति करने वाली अथॉरिटी के अलावा कोई और उसे पद से नहीं हटा सकता। यानी अगर कोई संघीय सेवा का अफसर है तो उसे केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति और कोई राज्य की सिविल सेवा का अफसर है तो उसे राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल बर्खास्त करते हैं।
ऐसे अफसरों के बारे में संविधान का अनुच्छेद 311(2) बर्खास्तगी, हटाने या पद घटाने के दंड से संबंधित है. यह सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करने वाले सेवा नियमों के तहत बड़ी सजा की श्रेणी में शामिल है. इस प्रक्रिया के तहत सबसे पहले सरकारी कर्मचारी (आईएएस अफसर भी) पर आरोप तय कर आरोप पत्र तैयार किया जाता है। अगर अफसर केंद्रीय सेवा का है तो केंद्र सरकार और राज्य सेवा का है तो राज्य सरकार की ओर से आरोप पत्र तैयार किया जाता है। आईएएस अफसरों के खिलाफ आरोप पत्र केंद्र सरकार तैयार करती है। इसमें अफसर के खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को सूचीबद्ध किया जाता है।
आरोप तय होने के बाद अफसर को एक निश्चित तिथि तक आरोपों को स्वीकार करने या नकारने और जवाब देने के लिए कहा जाता है। फिर आरोप पत्र के साथ सेवा नियमों के तहत जांच भी शुरू होती है। हालांकि, कुछ मामले ऐसे होते हैं, जिनमें जांच की जरूरत नहीं होती है। अगर किसी अफसर को उसके आचरण के आधार पर बर्खास्त किया जाता है या हटाया जाता है या उसका पद घटाया जाता, जिसके कारण उसे आपराधिक आरोप में दोषी ठहराया गया है तो जांच की जरूरत नहीं रह जाती। यदि किसी अफसर को पद से हटाने या पदावनत करने से पहले सक्षम प्राधिकारी को लगता है कि ऐसी जांच करना युक्तिसंगत रूप से व्यवहारिक नहीं है या फिर राष्ट्रपति या राज्यपाल को यह लगता है कि राज्य की सुरक्षा के हित में ऐसी जांच समीचीन नहीं है तो जांच नहीं की जाती है। किसी IAS अफसर के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकारें या केंद्रीय मंत्रालय/विभाग समय-सीमा के भीतर प्रस्ताव भेजते हैं। यह प्रस्ताव कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी को भेजा जाता है। इसके बाद ही बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू होती है। UP News
अरविंद जोशी थे बर्खास्त होने वाले पहले IAS अधिकारी
देश में बर्खास्त होने वाले पहले IAS अफसर 1979 बैच के अरविंद जोशी थे। अरविंद जोशी के घर पर साल 2010 में चार फरवरी को आयकर विभाग का छापा पड़ा था। तब उनके घर से 3.6 करोड़ रुपये बरामद हुए थे। साथ ही इस छापे में अरबों रुपये की संपत्ति का खुलासा हुआ था। मध्य प्रदेश कैडर के IAS अफसर अरविंद जोशी की पत्नी टीनू जोशी भी IAS अफसर थीं। इनके 74 बंगला स्थित सरकारी आवास पर छापे के अगले दिन ही दोनों को निलंबित कर दिया गया था। मामले की जांच के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने दोनों को सेवा से हटाने का प्रस्ताव अक्तूबर 2011 में केंद्र सरकार को दिया था। जुलाई 2014 में दोनों IAS अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया था। UP News
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