Saturday, 27 April 2024

मध्य प्रदेश की बेटी पहले बनी पत्रकार, अब बन गई प्रदेश की मुखिया, IAS अफसर का अनोखा सफर

IAS officer Radha Raturi Story : राधा रतूड़ी या यूं कहें कि महिला IAS अफसर राधा रतूडी। यह भी बोल…

मध्य प्रदेश की बेटी पहले बनी पत्रकार, अब बन गई प्रदेश की मुखिया, IAS अफसर का अनोखा सफर

IAS officer Radha Raturi Story : राधा रतूड़ी या यूं कहें कि महिला IAS अफसर राधा रतूडी। यह भी बोल सकते हैं कि उत्तराखंड प्रदेश की पहली महिला मुख्य सचिव (Chief Secretary) राधा रतूडी या फिर कहें कि मध्य प्रदेश की बेटी, महाराष्ट्र की पत्रकार, यूपी की IAS अफसर राधा रतूडी। इसी प्रकार के अनेक संबोधनों से आज पूरे भारत में आईएएस अफसर राधा रतूडी की चर्चा हो रही है। बुधवार (31 जनवरी 2024) की सुबह महिला आईएएस अधिकारी राधा रतूडी को उत्तराखंड की मुख्य सचिव बनाया गया है।

IAS officer Radha Raturi Story

पहली महिला मुखिया

वर्ष 1988 बैच की आईएएस अधिकारी राधा रतूडी उत्तराखंड प्रदेश की पहली महिला चीफ सेकेटरी बनी है। आप इस प्रकार भी कह सकते हैं कि राधा रतूडी उत्तराखंड प्रदेश की पहली प्रशासनिक मुखिया बनी है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक चारों तरफ महिला आईएएस अफसर राधा रतूडी की ही चर्चा हो रही है। चर्चा होना इसलिए जायज है, क्योंकि राधा रतूडी का कैरियर किसी फिल्मी हीरो या हीरोइन के कैरियर की तरह बेहद दिलचस्प है। हम आपको विस्तार से बताते हैं कि महिला आईएएस अफसर राधा रतूडी के अनोखे सफर के विषय में।

मध्य प्रदेश की बेटी बनी उत्तराखंड की सबसे बड़ी अफसर

आपको बता दें कि उत्तराखंड की सबसे बड़ी प्रशासनिक कुर्सी (चीफ सेक्रेटरी) पर बैठने वाली आईएएस अधिकारी राधा रतूडी मूल रुप से मध्य प्रदेश की रहने वाली है। कक्षा 12वीं में पढ़ते हुए राधा रतूडी ने एक सफल पत्रकार बनकर देश की सेवा करने का सपना देखा था। उन्हें क्या पता था कि उन्हें भारत की सर्वोच्च सेवा आईएएस बनकर देश की सेवा करनी है। आज राधा रतूडी भारत की हर महिला के लिए एक मिसाल बन गई है।

उत्तराखंड की बहू है राधा रतूडी

मध्य प्रदेश की बेटी और उत्तराखंड की बहू राधा रतूड़ी अपनी सादगी और सौम्यता के लिए जानी जाती हैं। पत्रकारिता से शुरू हुआ सफर इंडियन इनफॉरमेशन सर्विस (आईआईएस) और इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) के बाद इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) तक पहुंचा है। मुंबई से पोस्ट ग्रेजुएट मास कम्युनिकेशन करने के बाद राधा रतूड़ी ने इंडियन एक्सप्रेस मुंबई में ट्रेनिंग ली थी। इसके बाद उन्होंने इंडिया टुडे मैगजीन में भी काम किया। 1985 में अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन करने के साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने के साथ ही उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने की तैयारी भी की। राधा रतूड़ी के पिता बीके श्रीवास्तव सिविल सर्विस में थे।

अपने पिता की सलाह पर राधा रतूड़ी ने यूपीएससी की तैयारी की। उन्हें इंडियन इंफॉर्मेशन सर्विस में सफलता मिली। 1985-86 में नियुक्ति के लिए राधा रतूड़ी दिल्ली गईं, लेकिन उनको दिल्ली रास नहीं आई। उन्होंने एक बार फिर यूपीएससी की परीक्षा देने का फैसला किया। यहां अगले ही प्रयास में राधा रतूड़ी को इंडियन पुलिस सर्विस में जगह बनाने में कामयाबी मिली। 1987 में राधा रतूड़ी आईपीएस में चयनित होने के बाद हैदराबाद में ट्रेनिंग के लिए गई थीं, जहां उनकी मुलाकात 1987 बैच के ही आईपीएस अनिल रतूड़ी से हुई। यहां से दोस्ती का सफर शुरू हुआ तो बात शादी तक पहुंच गई।

पति पत्‍नी में रही दूरी

IPS में बार-बार तबादलों के कारण पति-पत्नी को अक्सर तैनाती के लिए अलग-अलग स्थान पर रहना पड़ा। इसके बाद राधा रतूड़ी ने IAS के लिए प्रयास किया। 1988 में राधा रतूड़ी ने IAS का एक्जाम क्रैक किया और देहरादून के मसूरी में ट्रेनिंग ली। उस समय आईपीएस अनिल रतूड़ी उत्तर प्रदेश में तैनाती पर थे। जबकि मध्य प्रदेश बैच की टॉपर होने के कारण राधा रतूड़ी को मध्य प्रदेश कैडर मिला। इस तरह एक बार फिर दोनों के सामने अलग-अलग राज्यों में तैनाती को लेकर बड़ी चुनौती सामने आई। इसके बाद राधा रतूड़ी ने उत्तर प्रदेश कैडर में जाने के लिए प्रयास शुरू किया। करीब 1 साल बाद राधा रतूड़ी को उत्तर प्रदेश का कैडर मिला।

आईएएस में चयन के बाद राधा रतूड़ी ने देश के चार राज्यों में अपनी सेवाएं दिया। मध्य प्रदेश में काम करने के बाद कैडर चेंज हुआ और उन्हें उत्तर प्रदेश के बरेली में पोस्टिंग मिली। इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश में विभिन्न जिम्मेदारियों को देखा। इस दौरान आईपीएस अनिल रतूड़ी के नेशनल पुलिस अकादमी हैदराबाद में जाने पर राधा रतूड़ी ने स्टडी लीव ले ली। इसके बाद वह प्रतिनियुक्ति पर आंध्र प्रदेश में पोस्टिंग लेकर 2 साल जॉइंट सेक्रेटरी के रूप में सेवारत रहीं। वर्ष 1999 में वह वापस उत्तर प्रदेश आ गई। 9 नवंबर 2000 को जब उत्तराखंड राज्य अलग राज्य के रूप में स्थापित हुआ तो राधा रतूड़ी ने उत्तराखंड कैडर ले लिया। इसके बाद से अब तक उत्तराखंड में सेवाएं दे रहीं हैं।

गाने का भी है शौक

चर्चा है कि राधा रतूड़ी घर के कामकाज खुद भी करती हैं। अपने बच्चों को भी अपने काम दूसरों पर छोड़ने की बजाए खुद करना सिखाया है। महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के प्रति भी वे बेहद संजीदा रहीं। राधा रतूड़ी अपने फैसलों के लिए जितनी दृढ़ रहती हैं, उतनी ही भावुक हुए बच्चों और लड़कियों के प्रति भी रहती हैं। आईएएस राधा रतूड़ी अपनी संस्कृति से भी खासा लगाव रखती हैं। पढ़ने-लिखने की शौकीन होने के साथ ही लोकगीतों के प्रति भी उनका लगाव कई मंचों पर झलकता है। इनके पति डॉ. अनिल रतूड़ी उत्तराखंड डीजीपी पद से रिटायर हो चुके हैं। तो है ना उत्तराखण्ड की पहली महिला मुखिया राधा रतूडी का कैरियर किसी फिल्मी हीरो अथवा हीरोईन के जैसा हम राधा रतूडी को उनकी नई तैनाती के लिए बधाई तथा नई पारी के लिए शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं।

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