Saturday, 27 April 2024

Health : डिज़ाइनर संस्कारी बच्चे,कल का फसाना आज की हकीकत !

अंजना भागी  गर्भ संस्कार भी व्यवसाय की तरह बच्चे डिज़ाइन करने का आश्वासन देगा ? Health :  गर्भ संस्कार विषय…

Health : डिज़ाइनर संस्कारी बच्चे,कल का फसाना आज की हकीकत !

अंजना भागी

 गर्भ संस्कार भी व्यवसाय की तरह बच्चे डिज़ाइन करने का आश्वासन देगा ?

Health :  गर्भ संस्कार विषय आमतौर पर कभी भी चर्चा का विषय नहीं रहा । पर अब समय आ गया है जिस पर चर्चा और विश्लेषण दोनों ही होने  चाहिएं। क्योंकि एक मजबूत, शक्तिशाली, सक्षम राष्ट्र बनाने के लिए गर्भ संस्कार की जरूरत है। इतिहास में भी गर्भावस्था में ही ज्ञान सीख कर आये बच्चों के उदाहरण हैं। लेकिन अब ये बच्चे संस्कारी होंगे, ज्ञानी होंगे या क्या होगा इसका परिणाम ये कहा नहीं जा सकता ,लेकिन इसने एक जिज्ञासा तो पैदा की ही है ।

एम्स में न्यूक्लियर मेग्नेटिक रेसोनेंस एंड मेग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (एन. एम. आर ) विभाग की प्रमुख डॉक्टर रमा जय सुंदर का भी कहना है कि किसी व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य के लिए आधुनिक चिकित्सा, योग, और आयुर्वेद के संयोजन की आवश्यकता है । सनवर्धीनी न्यास की अखिल भारतीय संगठन सचिव माधुरी मराठे का भी यही मानना है एक सशक्त देश के कल्पना हेतु  इतिहास में भी इसके बहुत से उदाहरण हैं।

Health :

अभिमन्यु ने अपनी मां सुभद्रा के गर्भ में पिता अर्जुन से चक्रव्यूह बेधन सीखा

अभिमन्यु का तो सर्वविदित है,अभिमन्यु ने अपनी मां सुभद्रा के गर्भ में पिता अर्जुन से चक्रव्यूह बेधन कैसे किया जाए की पूरी विद्या सीख ली थी और महाभारत के युद्ध में उसका इस्तेमाल भी किया था । चक्रव्यूह से बाहर कैसे आना है यह वह नहीं सीख पाया था तो उसकी जिंदगी भी दांव पर लग गयी थी।

प्रश्न यह भी उठता है कि यदि गर्भावस्था में अच्छे संस्कार देने से बच्चे विद्वान और संस्कारी पैदा होते हैं तो महाभारत का युद्ध ही क्यों होता। इसका कारण है कि हम हमेशा महाभारत के युद्ध के विषय में तो चर्चा करते हैं । पर गांधारी जब विवाह कर अपने ससुराल आई थी तो गांधारी के परिवार पर क्या गुजरी इस पर चर्चा नहीं करते ।  ग्रह नक्षत्रों के अनुसार गांधारी की कुंडली में दोष था की उसका जिससे भी विवाह होगा उसके पति की आयु शेष नहीं बचेगी। इसलिए उसका पहला विवाह बकरे से किया गया था। धृतराष्ट्र को जब इस बात का पता चला तो उसने गांधारी के मायके के पूरे परिवार को ही कारागार में डलवा दिया था। उन्हें  जीवित रहने को बहुत ही थोड़ा भोजन दिया जाता था।  उतने से वे सिर्फ शकुनि का जीवन बचाने में ही लग गये थे क्योंकि उस समय शकुनी ही उन सब में स्वस्थ था। अंत में वे सभी स्वर्ग सिधार गये थे। मरने से पहले शकुनि के पिता ने शकुनि से कहा की मेरे मरने के बाद मेरी हड्डियों से तुम पासे बनाना वह पासे सिर्फ तुम्हारा ही कहना मानेंगे और फिर तुम हमारे परिवार के साथ हुए इस दुर्व्यवहार का बदला जरुर लेना। परिवार के साथ हुए उस दुर्व्यवहार का ही बदला शकुनि ने कौरवों से पूरी तरह लिया भी । इस दुर्व्यवहार की चर्चा कोई भी नहीं करता । यहां तक कि भगवान कृष्ण ने भी शकुनि पर कभी क्रोध नहीं किया था उसकी अपने  परिवार के प्रति निष्ठा के कारण।  यूं कौरवों को बनाने में शकुनि का भी बहुत ही महत्वपूर्ण रोल रहा था। यह रोल उसने अपने परिवार के साथ हुए दुरव्यवहार के कारण ही तो निभाया था।

Health : हिरण्य कश्यप के घर में नारायण भक्त प्रहलाद का जन्म भी  गर्भ  संस्कार का उदाहरण

हिरण्यकश्यप जो कि एक राक्षस राजा था उसके यहां प्रहलाद जैसे नारायण भक्त का जन्म लेना उसके पीछे भी प्रह्लाद की मां का कठिन तप था। जिसने पूरी गर्भावस्था में नारायण की आराधना की थी । ऐसे पुत्र की प्राप्ति के लिए जिससे उसके यहां राक्षस साम्राज्य समाप्त हो तथा नारायण का साम्राज्य हो जाये । इसी तरह जीजाबाई ने भी भगवान से गर्भस्थ शिशु एक वीर पुत्र हो, की कामना की थी । गर्भावस्था के दौरान बहादुरी की कहानियों को पढ़ा और सुना था। और उसी मार्ग पर वह शिवाजी को लेकर चली भी । छत्रपति शिवाजी ही केवल ऐसे वीर राजा थे जिन्होंने मुगलों को नाकों चने चबवाये थे ।

Health : आज का समाज कुछ अलग पटरी पर जा रहा है।  हमारे बच्चे वेस्टर्न कल्चर की और बहुत ज्यादा मुखातिब हो रहे हैं। इन बच्चों के  माता – पिता तक उसमें खुद को एडजस्ट नहीं कर पा रहे हैं। हमारे बच्चे इसे जेनरेशन गैप कह रहे हैं । क्या समाज एक अलग ही दिशा की ओर नहीं चला जा रहा है ? बच्चों में सहनशीलता का अभाव है। एक दम ही सुसाइड को उतारू हो जाते हैं । उनका क्रोधी स्वभाव,  न किसी की बात को सुनना और न ही किसी को सुनाना । जिसकी सुनते हैं या सुनाते हैं वे अपने रिश्तों में नहीं होते सोश्ल मीडिया में ही जीवन तलाशना । परिवार से आज के बच्चे कटे ही रहते हैं।
Health :
कभी – कभी  वे खुद  दुविधा में भी पड़ जाते हैं। सोश्ल मीडिया पर होने वाले सकैम  में फंस कर । उन्हें क्या करना है ? क्या नहीं करना है?  ऐसे में बहुत ही जरूरी हो जाता है कि बच्चों में संस्कार वो भी गर्भ से ही शुरू किए जाएँ। क्योंकि माता-पिता और आने वाली संतान जब तीनों मिल संस्कारवान शिशु की कामना और प्रयत्न करेंगे तो बच्चे भी अवश्य बदलेंगे। बच्चों का उत्तम विकास भी किया जा सकेगा।  गर्भावस्था से ही उन पर ध्यान दिया जाए अब तो विज्ञान यह तक साबित करने में लगा है कि गर्भ में ही बच्चे के अच्छे संस्कारों के लिए उनके जींस भी बदले  जा सकेंगे। यद्यपि इस पर अभी रिसर्च चालू भी  नहीं हुई है।

लेकिन यह भी सच है कि क्या गर्भ संस्कार से वाकई गर्भ में रहते बच्चे संस्कारी होंगे या गर्भास्थ बच्चों को आपकी इच्छा अनुसार कैसे डिज़ाइन किया जाये का नया व्यवसाय बनेगा  ?

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