Friday, 26 April 2024

ये तो अंगडाई है-आगे और लड़ाई है

आर.पी.रघुवंशी नोएडा। ‘अभी तो ये अंगडाई है-आगे और लड़ाई हैÓ। नोएडा के किसानों ने इस नारे को पूरी सिद्दत के…

ये तो अंगडाई है-आगे और लड़ाई है

आर.पी.रघुवंशी

नोएडा। ‘अभी तो ये अंगडाई है-आगे और लड़ाई हैÓ। नोएडा के किसानों ने इस नारे को पूरी सिद्दत के साथ बुलंद कर दिया है। आंदोलनरत किसानों ने घोषणा की है कि हम टूट जाएंगे, किन्तु सरकार की जुल्म, ज्यादती व दमनकारी नीति के आगे झुकेंगे नहीं। किसानों ने यह भी दावा किया है कि उनका आंदोलन शीघ्र ही और व्यापक रूप धारण करेगा।

सब जानते हैं कि वर्ष 1976 में नोएडा प्राधिकरण की स्थापना के समय से ही नोएडा के किसानों को सरकारी तंत्र की उपेक्षा का शिकार होना पड़ा है। किसानों के लिए जमीन उनकी माँ के बराबर होती है। शहर बसाने के लिए यहां के किसानों की जमीनों को कौडिय़ों के भाव खरीद कर बेहद महंगी दरों में बेचा जाता है। शुरू से ही समय-समय पर किसान अपने हकों की आवाज भी उठाते रहे हैं। अनेक मौकों पर किए गए किसान आंदोलन की बदौलत किसानों की मांगें टुकड़ों में पूरी की जाती रही है।  इसे नोएडा के किसानों का दुर्भाग्य कहें अथवा क्षेत्र की राजनीतिक एवं सामाजिक परिस्थितियों का दोष समझें, किन्तु पिछल्े दो दशकों से क्षेत्र के किसानों के एक दर्जन से अधिक मुददे लंबित हैं। इन मुददों में सबसे बड़ा विषय किसानों की आबादी की जमीनों की समस्या है।  नोएडा प्राधिकरण किसानों की आबादी पर आए दिन अपने पीले पंजे चलाता रहता है। तमाम ज्यादतियों के बावजूद लगभग 25 वर्षों से नोएडा में कोई सुसंगठित एकजुट मजबूत आंदोलन खड़ा नहीं हो पाया है।

क्षेत्र की तमाम गतिविधियों पर बारीकी से निगाह रखने वाले विश्लेषकों का दावा है कि इस बार खलीफा सुखबीर पहलवान के नेतृत्व में एक संगठित आंदोलन आकार ले रहा है। कल दमनकारी नीति का प्रयोग करके पुलिस व प्रशासन ने आंदोलन की रीढ़ तोडऩे का प्रयास किया है। कल के प्रयास के बाद प्रशासनिक मशीनरी मानकर चल रही थी कि अब आंदोलन समाप्त हो जाएगा। सरकारी तंत्र की यह सोच आज निराधार साबित हुई है। आज फिर किसान सड़कों पर उतरे हैं। विश्लेषकों का दावा है कि यह आंदोलन धीरे-धीरे विस्तार लेता जा रहा है। प्रशासन जितनी सख्ती करेगा आंदोलन उतना और बढ़ेगा।

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता खलीफा सुखबीर सिंह को कल जेल भेजा जा चुका है। जेल से ही अपने एक संदेश में पहलवान सुखबीर सिंह ने घोषणा कर दी है कि उनका आंदोलन अपने किसानों के सारे अधिकार लेकर ही समाप्त होगा। संदेश में कहा गया है कि किसान टूट तो जाएंगे, किन्तु किसी भी कीमत पर झुकेंगे नहीं। धीरे-धीरे आंदोलन को और विस्तार दिया जाएगा। किसानों की जो संख्या कल दो हजार के आसपास थी अब जल्दी ही वह 25 हजार तक पहुंच जाएगी। उन्होंने नारा बुलंद किया है कि- ‘अभी तो ये अंगड़ाई है आगे और लड़ाई हैÓ।

सर्वमान्य नेता के रूप में उभर रहे हैं खलीफा
नोएडा के किसानों के आंदोलन में इस बार सबसे खास बात यह नजर आ रही है कि इस आंदोलन में एक सर्वमान्य चेहरा सामने आ रहा है। यह चेहरा है प्रसिद्ध पहलवान रह चुके खलीफा सुखबीर पहलवान का। जिस प्रकार वे क्षेत्र के प्रत्येक गांव के किसानों को एकजुट करने में कामयाब होते दिखाई दे रहे हैं उससे जाहिर हो रहा है कि लम्बे अर्से बाद नोएडा के किसानों को एक सर्वमान्य नेता मिल गया है।

एसी वाले किसान
नोएडा क्षेत्र का यह इतिहास रहा है कि यहां कोई लम्बा व तगड़ा आंदोलन आज तक खड़ा नहीं हो पाया है। इसके पीछे अधिकतर आंदोलनकारी वातानुकूलित (एसी) वाली संस्कृति का विकास मानते हैं। इन लोगों का कहना है कि मुआवजे के रूप में मिली सरकारी रेवड़ी के बलबूते पर नोएडा के किसान सुविधा भोगी हो गए हैं। यही कारण है कि वे ना तो कोई प्रदर्शन आदि करने की क्षमता रखते हैं और ना ही सरकारी तंत्र से भिडऩे की हिम्मत जुटा पाते हैं। बची खुची कसर यहां सक्रिय नोएडा प्राधिकरण के वे एजेंट पूरी कर देते हैं जो नेता के वेश में असल में सरकारी तंत्र की दलाली करते हैं। इन दलालों को नोएडा ने मालामाल कर दिया है।

बांटो व राज करो
नोएडा प्राधिकरण व सरकारी तंत्र हमेशा से यहां के किसानों को जातियों में बांटने का काम करता रहा है। दरअसल इस क्षेत्र में गुर्जर, यादव एवं चौहान समाज के किसानों का ही बाहुल्य है। जब कभी किसानों का कोई आंदोलन खड़ा होता है तो उस आंदोलन की कमान जिस जाति के नेता के हाथ में होती है बस उसी जाति का आंदोलन घोषित कर दिया जाता है। इस बार के आंदोलन पर नजर रखने वाले दावा  कर रहे हैं कि सरकारी तंत्र इस आंदोलन को यादव समाज व समाजवादी पार्टी से जोड़कर प्रचारित कर रहा है। विश्लेषकों का दावा है कि यदि अगले कुछ दिनों तक किसान एकजुट होकर लड़ते रहे तो इस बार सरकारी तंत्र व अनेक दलालों के सारे हथकंड़े धरे के धरे रह सकते हैं।

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