देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) आज नेवी को सौंप दिया गया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों यह शुभ काम हुआ। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9:30 पर कोच्चि स्थित कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड पहुंचे, जहां पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किय। इसके बाद 9:48 पर इन्होंने देश ने निर्मित पहले एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) को नेवी को सौंपा।
इस खास मौके की कई तस्वीरें सामने आई हैं। कोच्चि शिपयार्ड में पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसैनिकों से मुलाकात की।
आइए जानते हैं INS विक्रांत के बारे में –
आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) देश में बनाया गया पहला सबसे बड़ा युद्धपोत है। 20 मिग-29 फाइटर जेट्स और 10 हेलीकॉप्टर को ले जाने की क्षमता रखने वाले इस युद्धपोत को बनाने में करीब 20 हजार करोड रुपए खर्च हुए थे। यह विमान एक साथ 40 हजार टन का वजन उठा सकता है। साल 1971 में हुए युद्ध में इस युद्धपोत ने अपने सीहॉक लड़ाकू विमान से बांग्लादेश के चिटगांव, कॉक्स बाजार व खुलना में दुश्मनों के कई ठिकानों को नष्ट किया था।
31 जनवरी 1997 को INS विक्रांत को नेवी से हटा दिया गया था। अब पूरे 25 साल बाद एक बार फिर INS विक्रांत की वापसी हुई है।
INS Vikrant is an example of Government’s thrust to making India’s defence sector self-reliant. https://t.co/97GkAzZ3sk
— Narendra Modi (@narendramodi) September 2, 2022
सिर्फ 4 देशों में है ऐसा जहाज बनाने की क्षमता –
भारत के अलावा दुनिया के सिर्फ 4 देशों में ही 40 हजार और इससे ज्यादा वजन उठाने वाले विमान वाहक जहाज का निर्माण करने की क्षमता है। यह देश है अमेरिका रूस ब्रिटेन और फ्रांस। साल 2017 में आई एन एस विराट के रिटायर होने के बाद भारत के पास सिर्फ आईएनएस विक्रमादित्य विमान वाहक बचा था। अब आईएनएस विक्रांत के वापस आने से काफी सहूलियत हो जाएगी।
आईएनएस विक्रांत को तैयार करने में लगे 13 साल –
आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) को फिर से तैयार करने में 13 साल लग गए। सबसे पहले अगस्त 2011 में इसका स्ट्रक्चर तैयार हुआ। इसके बाद साल 2013 के अगस्त महीने में इसे पहली बार लांच किया गया। दिसंबर 2020 में इसका बेसिन ट्रायल्स पूरा हुआ। इसके बाद साल 2021 में अगस्त महीने में इसे पहली बार समुद्र में उतारा गया। जुलाई 2022 में इसके सी ट्रायल्स किए गए। 2 सितंबर 2022 को आईएनएस विक्रांत भारतीय नेवी को सौंपा गया। जून 2023 तक यह पूरी तरह से ऑपरेशनल मोड में आ जाएगा।