Sunday, 5 May 2024

Health Update : ऑफिस की लंबी नौकरी, आपकी आयु न कर दे छोटी

  Health Update :   सैय्यद अबू साद Health Update : लंबे समय तक बैठने से भी हमारे शरीर में…

Health Update : ऑफिस की लंबी नौकरी, आपकी आयु न कर दे छोटी

 

Health Update :

 

सैय्यद अबू साद

Health Update : लंबे समय तक बैठने से भी हमारे शरीर में कुछ ऐसे परिवर्तन होने लगते हैं जो कि हानिकारक होते हैं। भले ही हम इन पर गौर न कर पाते हैं। आमतौर पर हम दफ्तरों में करीब 8-10 घंटे तक कम्प्यूटर के सामने बैठे रहते हैं। इस तरह आपका दिन का एक तिहाई हिस्सा ऑफिस में ही गुजरता है। इस कारण से आपके सिर से लेकर पैर तक बीमारियां अपनी मौजूदगी बना सकती हैं। हाल के वर्षों में हुए कई अध्ययनों ने ऑफिस वर्कर्स की सेहत को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, यदि आप भी ऑफिस जॉब करते हैं तो अपनी सेहत को लेकर सावधान हो जाने की आवश्यकता है। ज्यादातर लोगों में एक छोटी सी गलती देखी जा रही है जिसके सेहत पर कई प्रकार से गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

Health Update :

 

लंबे समय बैठकर काम करना है खतरनाक
रिसर्च के दौरान अध्ययनकर्ताओं ने पाया जो लोग लंबे समय तक बैठे रहने वाले काम करते हैं, उनमें कई गंभीर बीमारियों का जोखिम अन्य लोगों की तुलना में काफी अधिक देखा जा रहा है, जो समय से पहले मृत्यु के खतरे को बढ़ाने वाला हो सकता है। जब आप बैठे होते हैं, तो कम ऊर्जा खर्च करते हैं। शोध में लंबे समय तक बैठे रहने को कई स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं से जोड़ा गया है। उनमें मोटापे के साथ रक्तचाप में वृद्धि, हाई ब्लड शुगर का खतरा, कमर के आसपास अतिरिक्त चर्बी जमा होने और अस्वास्थ्यकर कोलेस्ट्रॉल का स्तर (जो मेटाबॉलिक सिंड्रोम का कारण बनता है) अधिक देखा गया है। कुल मिलाकर लंबे समय तक बैठे रहने से हृदय रोग और कैंसर से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।

क्या कहती है रिसर्च
अमेरिका स्थित जामा कार्डियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि जो लोग दफ्तरों में लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं, उनमें दिल के दौरे और स्ट्रोक सहित हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा भी अधिक होता है। चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज और पेकिंग यूनियन मेडिकल कॉलेज द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, एक ही स्थान पर बैठकर दिन में आठ घंटे से अधिक काम करने वाले लोगों में दिल का दौरा या स्ट्रोक होने का खतरा 20 प्रतिशत अधिक पाया गया है। लंबे समय तक बैठे रहने से हार्ट फेलियर का खतरा लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इस रिचर्स में 11 वर्षों का लंबा समय दिया गया। इस अध्ययन में 21 देशों के 1.05 लाख से अधिक लोगों के रिकॉर्ड की जांच की गई। जब अध्ययन समाप्त हुआ, तब तक 6,200 से अधिक मौतें दर्ज की गईं। इसमें दिल के दौरे के 2,300, स्ट्रोक के 3,000 मामले और 700 अन्य मामले दर्ज किए गए। शोधकर्ताओं ने बताया कि लंबे समय तक बैठे रहने से रक्त का संचार बाधित हो रहा है, शारीरिक रूप से गतिविधियां कम होने से हृदय पर अतिरिक्त दबाव देखा जा रहा है।

कर्मचारियों में बढ़ रही मानसिक समस्या
मार्केट रिसर्च फर्म आईपीएसओएस द्वारा हाल ही में एक सर्वेक्षण किया गया जिसमें ऑफिस में काम करने वाले लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानने की कोशिश की गई। इसके अनुसार हर 2 में से एक कॉर्पाेरेट कर्मचारी खराब मानसिक स्वास्थ्य के उच्च जोखिम में है। सर्वेक्षण में आठ भारतीय शहरों और ई-कॉमर्स, एफएमसीजी सहित 10 क्षेत्रों के 3,000 कॉर्पाेरेट कर्मचारियों को शामिल किया गया। सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि पिछले वर्ष लगभग 10 में से आठ कर्मचारियों ने मानसिक थकान के कारण कम से कम दो सप्ताह के लिए काम छोड़ दिया था। 10 में से नौ कर्मचारियों को लगता है कि उनका वर्क-लाइफ बैलेंस काफी खराब हो गया है।

पारिवारिक जीवन होता है उथल-पुथल
मनोचिकित्सकों का कहना है, कर्मचारियों में बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं। काम का दबाव, विपरीत परिस्थितियां, जॉब को लेकर अनिश्चितता और समाज में उनके काम को लेकर लोगों में तुलनात्मक भाव होना इसका प्रमुख कारण हो सकता है। मनोचिकित्सक डॉ प्रवीण अस्थाना बताते हैं, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करा रहे कई रोगियों में काउंसिलिंग के दौरान पता चलता है कि भले ही उनका पारिवारिक जीवन उथल-पुथल हो, घर में कोई गंभीर बीमार हो फिर भी उन्हें मजबूरी में काम करना पड़ता है। इस तरह की विपरीत परिस्थितियों में उत्पादकता कम होना स्वाभाविक है, जिसके कारण ऑफिस में उनको लेकर और तनाव बढ़ता है।

ऑफिस में हो सपोर्टिव माहौल
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अब भी लोगों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कलंक का भाव है जिसके कारण कर्मचारी एक दूसरे से अपनी समस्याओं को साझा नहीं कर पा रहे हैं। युवाओं में बढ़ रही ये समस्या काफी चिंताकारक है, क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सीधा असर कई बीमारियों से संबंधित है। ऑफिस में सपोर्टिव माहौल बनाने की आवश्यकता है। चिंता और अवसाद से जूझ रहे कर्मचारियों को उनकी मानसिक स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए यह आवश्यक है। सालान हेल्थ चेकअप के साथ सभी कर्मचारियों की काउंसिलिंग भी की जानी चाहिए।

महिला कर्मचारियों में अधिक जोखिम
अध्ययनों में ऑफिस वर्कर्स में यह समस्या काफी तेजी से बढ़ती देखी जा रही है। एक अध्ययन में बताया गया कि भारत में हर दो में से एक कॉर्पाेरेट कर्मचारी में किसी न किसी प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य समस्या का जोखिम हो सकता है। इसका असर लिंग आधारित भी देखा गया है। शोध में बताया गया है कि पुरुष कर्मचारियों की तुलना में महिला कर्मियों में इसका जोखिम अधिक देखा जा रहा है। सर्वे में पता चला कि महिला कर्मचारियों में पुरुषों की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की समस्या अधिक है। 41 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 56 प्रतिशत महिलाओं में किसी न किसी प्रकार की समस्या का जोखिम है। इसका मुख्य कारण यह है कि महिला कर्मचारियों को लगता है कि उन्हें अक्सर लैंगिक पूर्वाग्रह और महिलाओं के काम को लेकर रूढ़िवादी सोच का सामना करना पड़ता है।

काम के बीच ब्रेक लेते रहें
अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, उनमें दिल से संबंधित बीमारियों के होने की आशंका 17 प्रतिशत कम होती है। ऐसे में भले ही आप लॉन्ग सिटिंग जॉब करते हैं, पर दैनिक व्यायाम की आदत है, काम के दौरान थोड़े-थोड़े देर पर उठकर टहल लेते हैं, आहार स्वस्थ और धूम्रपान नहीं करते हैं तो इससे होने वाले दुष्प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। लंबे समय तक बैठने का सीधा संबंध शारीरिक निष्क्रियता से है जिसके हमारी सेहत पर कई गंभीर दुष्प्रभावों का जोखिम हो सकता है। डॉक्टर सभी लोगों से काम के बीच में थोड़े-थोड़े देर के ब्रेक लेने की अपील करते हैं।

Health Update: Long office job, don't shorten your life
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरफ सभी लोगों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर कर्मचारियों का मन ही स्वस्थ नहीं होगा तो इसका सीधा असर उनकी कार्यात्मक उत्पादकता पर हो सकता है। यह उनके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।

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