Thursday, 2 May 2024

Gujarat Riots : नरोदा गाम हत्याकांड में पूर्व मंत्री माया कोडनानी, बजरंगी समेत सब बरी

अहमदाबाद। आखिर, 20 साल के लंबे इंतजार के बाद गुजरात दंगों पर फैसला आ गया। अदालत ने वारदात के सभी…

Gujarat Riots : नरोदा गाम हत्याकांड में पूर्व मंत्री माया कोडनानी, बजरंगी समेत सब बरी

अहमदाबाद। आखिर, 20 साल के लंबे इंतजार के बाद गुजरात दंगों पर फैसला आ गया। अदालत ने वारदात के सभी आरोपियों को बरी कर दिया। साल 2002 के गोधरा हत्याकांड के बाद गुजरात में फैले दंगों के दौरान नरोदा गाम मामले में अहमदाबाद की विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए इस मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। गोधरा में हुए आगजनी के बाद 28 फरवरी 2002 में नरोदा गाम में भारी हिंसा हुई थी, जिसमें 11 लोग मारे गए थे

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गौरतलब है कि इस मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के बाबू बजरंगी सहित 86 आरोपितों पर अल्पसंख्यक समुदाय के 11 सदस्यों के हत्या में शामिल होने का आरोप लगा था। इस मामले में 86 आरोपी थे, जिसमें से ट्रायल के दौरान 18 की मौत हो चुकी है। SIT मामलों के विशेष जज एसके बक्शी की कोर्ट आज इस मामले में अहम फैसला सुनाते हुए माया कोडनानी, बाबू बजरंगी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

क्या है पूरा मामला

घटना साल 2002 के 27 फरवरी की है, उस दिन साबरमती एक्सप्रेस अयोध्या से गुजरात पहुंची थी. गुजरात में एंट्री लेने के कुछ देर बाद वडोदरा के पास गोधरा में इस ट्रेन को घेरकर इसके S-6 डिब्बे में आग लगा दी गई. यह डिब्बा कारसेवकों से भरा हुआ था जो अयोध्या से लौट रहे थे. आग लगने से 59 लोग मारे गए।

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इस आगजनी के एक दिन बाद गुजरात में सांप्रदायिक तनाव फैल गया। गोधरा कांड के अगले दिन यानी कि 28 फरवरी को गोधरा में कर्फ्यू लगा दिया गया। सभी स्कूल, दुकानें और बाजार बंद कर दिए गए। भीड़ में शामिल लोगों ने हर किसी पर पथराव करना शुरू कर दिया। धीरे धीरे माहौल और खराब होता गया और पथराव के बाद आगजनी, तोड़फोड़ शुरू हो गई। इस दौरान 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।

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गोधरा में हुए सांप्रदायिक तनाव के बाद नरोदा पाटिया गांव में भी दंगे शुरू हो गए। इन दोनों इलाकों में इस सांप्रदायिक हिंसा के दौरान लगभग 97 लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा के बाद पूरे राज्य में जगह-जगह पर दंगे हुए थे। भारत के तत्कालीन गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल ने 11 मई 2005 को गुजरात दंगों में मारे गए लोगों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर राज्यसभा में लिखित बताया था कि गुजरात में हुए दंगे में 790 मुसलमान और 254 हिंदू यानी कुल 1,044 लोग मारे गए थे।

वहीं 223 लोग ऐसे थे, जो उस वक्त तक लापता बताए गए थे, जिन्हें बाद में मरा हुआ मान लिया गया था। इन 223 लापता लोगों को शामिल करने के बाद भारत सरकार की ओर से दिए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक गुजरात दंगों में कुल 1267 लोग मारे गए थे। हालांकि स्थानीय लोगों और कुछ ग़ैर-सरकारी संगठन की माने तो दंगों में दो हज़ार से भी ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी। इन 20 सालों में गुजरात दंगों से जुड़े कुल 9 केस दर्ज किए गए थे। इनमें 8 का ट्रायल पूरा हो चुका है। इनमें गोधरा कांड, बेस्ट बेकरी, सरदारपुरा मामला, नरोदा पाटिया, गुलबर्ग सोसाइटी, ओडे विलेज, दीपडा दरवाजा और बिलकिस बानो का केस शामिल हैं।

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माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया गया

नरोदा गाम मामले में 2009 में अदालती कार्यवाही शुरू हुई थी, जिसमें में 327 लोगों के बयान दर्ज किए गए थे। साल 2012 में SIT मामलों की विशेष अदालत ने माया कोडमानी और बाबू बजरंगी को हत्या और षडयंत्र रचने का दोषी पाया था। पूर्व बीजेपी विधायक माया कोडनानी पर आरोप था कि उन्होंने गोधरा कांड से गुस्साए हजारों लोगों की भीड़ को भड़काया था, जिसके बाद नरोदा गाम में मुसलमानों की हत्या हुई। इस हिंसा में 11 लोगों की जानें गई थीं। 82 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जबकि माया कोडनानी का कहना है कि दंगे की सुबह गुजरात विधानसभा में थी। माया का कहना है कि इस जिस दिन दंगा हुआ, उसी दिन दोपहर में वे गोधरा ट्रेन हत्याकांड में मारे गए कार सेवकों के शवों को देखने के लिए सिविल अस्पताल पहुंची थीं। जबकि चश्मदीद गवाहों ने कोर्ट में कहा है कि माया कोडनानी दंगों के समय नरोदा में मौजूद थीं और उन्हीं ने भीड़ को उकसाया था।

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