Tuesday, 30 April 2024

होम लोन नहीं चुकाया तो कोई टेंशन नहीं, करें यह उपाय

Home Loan : शहर में होम लोन का चलन तेजी से बढ़ रहा है। अपना खुद का घर बनाने का…

होम लोन नहीं चुकाया तो कोई टेंशन नहीं, करें यह उपाय

Home Loan : शहर में होम लोन का चलन तेजी से बढ़ रहा है। अपना खुद का घर बनाने का सपना होम लोन से ही तो पूरा होता है। कई बार होम लोन की किश्त यानि ईएमआई समय पर नहीं दे पाते हैं। होम लोन की ईएमआई ना दे पाने के कारण अक्सर लोग बड़े तनाव में आ जाते हैं। तनाव में आकर होम लोन के मामले में गलती कार बैठते हैं। होम लोन के मामले में कभी भी टेंशन नहीं लेनी चाहिए। बस कुछ जरूरी उपाय करने हैं।

Home Loan

क्या हैं होम लाने के जरूरी उपाय

किसी भी कारण से होम लोन नहीं चुका पा रहे हैं  यानी EMI चुकाने में असफल रहते हैं तो इसके लिए भी कुछ उपाय हैं. ग्राहक ने जिस बैंक से होम लोन लिया है, वहां संपर्क करके अपनी वित्तीय प्राथमिकताओं के आधार पर होम लोन पुनर्गठित करने के तरीकों पर चर्चा कर सकते हैं. ग्राहक बैंक को अपनी परेशानी बता सकता है, साथ ही दस्तावेज सौंप सकते हैं. लोन का पुनर्गठन से कुछ महीनों तक EMI टालने या ईएमआई की राशि कम करने में मदद मिल सकती है. हालांकि ऐसे मामले में होम लोन की टेन्योर बढ़ जाएगा. इसके अलावा इसका सीधा हल ये है कि होम लोन की EMI को हरसंभव समय पर चुकाने की कोशिश करें. इसके लिए कोई फिक्स्ड डिपॉजिट है तो उसे तोड़ दें. कहीं भी निवेश है तो उसे निकाल EMI भर दें. इसके लिए परिवार या दोस्तों से उधार भी ले सकते हैं और बाद में अपनी सुविधा के अनुसार वापस कर सकते हैं।

रिकवरी एजेंट से ना डरें

लोन नहीं चुकाने पाने से वित्तीय संस्थाओं की ओर से रिकवरी एजेंट को भेजकर ग्राहक पर दबाव बनाया जाता है. उसे डराया-धमकाया भी जाता है. देशभर में रिकवरी एजेंट्स की मनमानी के कई मामले सामने आते रहते हैं. अगर आपको भी होम लोन चुकाने को लेकर रिकवरी एजेंट परेशान करे तो आप सीधे पुलिस से शिकायत कर सकते हैं. क्योंकि लोन की किस्त नहीं चुका पाना सिविल विवाद के दायरे में आता है, इसलिए डिफॉल्टर के साथ कोई मनमानी नहीं की जा सकती है. इसके अलावा आप को RBI को भी लिखित शिकायत दे सकते हैं।

सिक्योर होता है होम लोन

आपको बता दें कि कुछ लोग होम लोन (Home Loan) की EMI समय पर नहीं चुका पाते हैं. खासकर नौकरी छूटने या फिर मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में EMI भरने से चूक जाते हैं. क्या आपको पता है होम लोन की EMI नहीं चुकाने पर क्या होता है? कितनी EMI तक बैंक इंतजार करता है और फिर क्या एक्शन लेता है? दरअसल, होम लोन को सिक्‍योर लोन की कैटेगरी में रखा जाता है, इसलिए इसके बदले ग्राहक को गारंटी के तौर पर बैंक के पास किसी संपत्ति को गिरवी रखना होता है।

अब आइए जानते हैं, होम लोन नहीं चुकाने पर RBI की गाइडलाइंस क्या है. अगर कोई ग्राहक होम लोन की पहली किस्त नहीं चुकाता है तो बैंक या वित्तीय संस्थान उसे गंभीरता से नहीं लेता है. बैंक को लगता है कि किसी कारणवश एक EMI में देरी हो रही है. लेकिन जब ग्राहक लगातार दो EMI नहीं भरता है, तो बैंक सबसे पहले एक रिमाइंडर भेजता है. इसके बाद भी ग्राहक तीसरी EMI की किस्त भुगतान करने में असफल रहता है तो बैंक फिर लोन चुकाने के लिए एक कानूनी नोटिस भेजता है।

एक तरह से तीसरी EMI नहीं चुकाने के साथ बैंक कार्रवाई के मू़ड में आ जाता है. अगर कानूनी नोटिस के बाद लोन नहीं चुकाता है तो फिर बैंक ग्राहक को डिफॉल्टर घोषित कर देता है. साथ ही बैंक लोन अकाउंट को NPA मान लेता है. अन्य वित्तीय संस्थाओं के मामले में यह सीमा 120 दिन की होती है. इस समय सीमा के बाद बैंक वसूली प्रक्रिया के बारे में सोचने लगता है।

सिक्‍योर्ड लोन में प्रॉपर्टी को गिरवी रखा जाता है, ताकि लोन न चुकाने पर बैंक उस प्रॉपर्टी को बेचकर लोन की भरपाई कर सके. हालांकि बैंक की तरफ से ये आखिरी विकल्प होता है. RBI की गाइंडलाइस के मुताबिक ग्राहक लोन को चुकाने के लिए काफी समय दिया जाता है. बैंक के पास अपने पैसे वापस लेने के लिए कानूनी तौर पर आखिरी विकल्प नीलामी होता है. नीलामी से मिली राशि को लोन की रकम की भरपाई की जाती है।

मौटे तौर पर बैंक तीन महीने की ईएमआई नहीं चुकाने के बाद ग्राहक को दो महीने का और वक्त देता है. अगर ग्राहक इसमें भी चूक जाते हैं, तो बैंक ग्राहक संपत्ति के अनुमानित मूल्य के साथ नीलामी नोटिस भेजता है. अगर ग्राहक नीलामी की तारीख से पहले यानी नीलामी नोटिस मिलने के एक महीने बाद भी किश्त नहीं भरता है तो बैंक नीलामी औपचारिकताओं के साथ आगे बढ़ता है।

हालांकि इन 6 महीने के भीतर ग्राहक किसी भी समय बैंक से संपर्क कर बकाया राशि का भुगतान कर मामले को सुलझा सकता है.  समय पर लोन नहीं चुकाने से सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि बैंक ग्राहक को डिफॉल्डर घोषित कर देता है. जिससे ग्राहक का सिबिल/क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है. सिबिल स्कोर खराब होने से भविष्य में किसी भी तरह के लोन मिलने में परेशानी होती है।

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