Friday, 26 April 2024

भारत की जनसंख्या रिपोर्ट में बंगाल ने मारी बाजी, यूपी बिहार को मिला सबक

भारत की जनसंख्या बढ़नी रुक गई है! सुनने में यह बात अटपटी लग सकती है लेकिन, यह सच है। 24…

भारत की जनसंख्या रिपोर्ट में बंगाल ने मारी बाजी, यूपी बिहार को मिला सबक

भारत की जनसंख्या बढ़नी रुक गई है! सुनने में यह बात अटपटी लग सकती है लेकिन, यह सच है। 24 नवंबर जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 2 प्रतिशत हो गई है।

कैसे रुक गई भारत की जनसंख्या वृद्धि
सवाल उठना स्वाभाविक है कि अगर हमारी जनसंख्या हर साल दो प्रतिशत बढ़ रही है तो, जनसंख्या वृद्धि रुकने की बात कहां से आई?

विशेषज्ञों के अनुसार जनसंख्या वृद्धि दर दो प्रतिशत या उससे कम होने पर जनसंख्या में वास्तविक बढ़त नहीं होती क्योंकि, हर साल लगभग इतने ही लोगों (2%) की मृत्यु भी होती है। इसे कहा जाता है, जनसंख्या का स्थिर हो जाना।

क्या 2050 में चरम पर होगी भारत की जनसंख्या?
दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल, लैंसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की जनसंख्या 2050 में चरम पर (160 करोड़) होगी। इसके बाद यह घटनी शुरू हो जाएगी और 21वीं सदी के अंत तक यह घटकर 140 करोड़ हो जाएगी।

हालांकि, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के आंकड़ों को देखकर लगता है कि भारत की जनसंख्या 160 करोड़ के आंकड़े को छूने से बहुत पहले ही घटनी शुरू हो जाएगी। कौन सा अनुमान सही साबित होता है यह तो वक्त के साथ ही पता चलेगा लेकिन, दो प्रतिशत की वर्तमान जनसंख्या वृद्धि दर सकारात्मक उम्मीद बंधाती है। वजह साफ है कि आने वाले वक्त में शिक्षा और जागरुकता का स्तर बढ़ेगा और जनसंख्या वृद्धि की दर और भी कम होगी।

पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या बढ़ने का कारण
इस सर्वे में जिस बात को सबसे ज्यादा प्रमुखता दी जा रही है वह है पुरुषों की तुलना में महिलाओं की आबादी का बढ़ जाना। सर्वे के मुताबिक भारत में 1000 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या 1020 हो गई है।

जबकि, 2015-16 के सर्वे में प्रति एक हजार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या 991 थी। इसकी दो वजहें हैं। पहली, प्रति हजार नवजात शिशुओं में लड़कियों की संख्या 2015-16 में 919 हुआ करती थी, जो 2019-21 के वर्तमान सर्वे में बढ़कर 929 हो गई है।

दूसरी वजह पुरुषों की परेशानी बढ़ाने वाली है। भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की उम्र ज्यादा होती है। महिलाएं, पुरुषों की अपेक्षा औसतन तीन साल ज्यादा जीती हैं। वजह भी स्पष्ट है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा संयमित और नियमित होती हैं।

इन राज्यों ने बढ़ाई चिंता
इस सर्वे में सकारात्मक बातों के अलावा कुछ बातें चिंता बढ़ाने वाली हैं। भारत की औसत जनसंख्या वृद्धि दर भले ही दो प्रतिशत हो गई है लेकिन, अभी भी कुछ राज्य ऐसे हैं जिनका औसत राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा है।

इस मामले में सबसे खराब स्थिति बिहार की है। बिहार की जनसंख्या वृद्धि दर देश में सबसे ज्यादा (3%) है। जो राष्ट्रीय औसत से लगभग 50% ज्यादा है। जनसंख्या वृद्धि के मामले में खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में दूसरा नंबर मेघालय (2.9%), तीसरा यूपी (2.4%) और चौथा झारखंड (2.3%) का है।

बिमारू (BIMARU: बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, यूपी) राज्यों में होने के बावजूद राजस्थान और मध्य प्रदेश की जनसंख्या वृद्धि दर 2% है, जो राष्ट्रीय औसत के बराबर है।

इन राज्यों ने पेश की मिसाल
इन राज्यों की तुलना में गोवा (1.3%), पंजाब (1.6%), पश्चित बंगाल (1.6%), महाराष्ट्र (1.7%) सहित दक्षिण भारत के ज्यादातर राज्यों की जनसंख्या वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। हालांकि, अच्छा संकेत यह है कि बिहार, झारखंड और यूपी की जनसंख्या वृद्धि दर पिछले सर्वें के मुकाबले कम हुई है।

साथ ही पश्चिम बंगाल (1.6%) और गोवा (1.3%) की जनसंख्या वृद्धि दर इस भ्रम को भी तोड़ती है कि जनसंख्या बढ़ने के लिए कोई धर्म या समुदाय विशेष के लोग जिम्मेदार हैं। संकेत साफ है कि जिन राज्यों में साक्षरता दर, महिलाओं की स्थिति और रोजगार के बेहतर अवसर हैं वहां बिना किसी सख्त उपाए के ही जनसंख्या बढ़ने की रफ्तार कम होती है।

क्या यूपी, बिहार लेंगे ये सबक?
यह सर्वे, जनसंख्या विस्फोट के नाम पर दुनिया को डराने वाले विशेषज्ञों को भी संदेश है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में धीमे ही सही लेकिन, सुधार जारी है। यहां, न तो चीन जैसे सख्त जनसंख्या कानून की जरूरत है, न ही किसी धर्म या समुदाय विशेष को निशाना बनाने की। जरूरत है तो, उन राज्यों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को मुख्य मुद्दा बनाने की जो अभी भी जाति और धर्म की राजनीति में उलझे हुए हैं।

– संजीव श्रीवास्तव

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