Sports: नई दिल्ली। युवा और खेल मामलों के केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को कहा कि अगले वर्ष एक अप्रैल से सभी खेल संघों के संबंध में सुझाव ऑनलाइन लिये जाएंगे और उन्हें पारदर्शी बनाया जाएगा।
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लोकसभा में नियम 193 के तहत ‘भारत में खेलों को बढ़ावा देने की जरूरत और सरकार द्वारा उठाये गये कदम’ विषय पर पहले से जारी चर्चा पूरी हुई। चर्चा में हस्तक्षेप करते ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्पना के अनुरूप आज देश में दूर-दराज की खेल प्रतिभाओं को राष्ट्रीय स्तर पर मौके मिल रहे हैं और उनका मनोबल बढ़ा है।
उन्होंने कहा, एक अप्रैल 2023 से सभी खेल संघों के संबंध में शिकायतें और सुझाव ऑनलाइन लिये जाएंगे और उन्हें पारदर्शी बनाया जाएगा।
ठाकुर ने कहा कि आज देश में सभी खेल संघों की कमान योग्य और दिग्गज खिलाड़ियों के हाथों में है। उन्होंने इस बाबत सदन में बैठे भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह और हाल में टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव चुने गये पूर्व दिग्गज टेबल टेनिस खिलाड़ी कमलेश मेहता का जिक्र किया।
उन्होंने 10 दिसंबर को होने वाले भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष के चुनाव का भी उल्लेख किया जिसमें पूर्व एथलीट पी टी उषा एकमात्र उम्मीदवार हैं।
ठाकुर ने कहा कि पहले खेल पुरस्कारों के लिए आवेदन भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) से होकर भारत सरकार को और फिर खेल संघों के पास जाते थे, लेकिन अब ऑनलाइन माध्यम से आवेदन किया जाता है और खिलाड़ियों का आवेदन इधर-उधर चक्कर नहीं काटता रहता।
सदन में चर्चा के दौरान विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा अलग-अलग राज्य के खिलाड़ियों का उल्लेख किये जाने और उन्हें प्रोत्साहित किये जाने की वकालत करने के संदर्भ में ठाकुर ने कहा कि खिलाड़ी किसी भी राज्य के हों, कोई भी भाषा बोलते हैं, वे ‘टीम इंडिया’ का हिस्सा हैं।
ठाकुर ने कहा कि खेल संघों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये प्रयास किये गए हैं और अब हमारे खिलाड़ी भी खेल संघों में प्रमुख पदों पर आ रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खेल स्पर्धाओं से पहले खिलाड़ियों से बात करते हैं, टूर्नामेंट के दौरान भी उनसे बात करते हैं और जीतकर आने वाले खिलाड़ियों से भी बात करते हैं।
ठाकुर ने कहा कि इससे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ता है और उसके सकारात्मक परिणाम आते हैं। उन्होंने कहा कि पहले इस तरह के अनुभव शायद ही रहे हों।
उन्होंने खेलों पर खर्च बढ़ने की बात कही और कहा कि जब मोदी सरकार आई थी तब तक खेल और युवा मामलों के मंत्रालय का बजट 1219 करोड़ रुपये था जो 2022-23 में बढ़कर 3062 करोड़ रुपये हो गया। उन्होंने कहा कि अकेले खेल विभाग का बजट 874 करोड़ रुपये से बढ़कर 2000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया।
ठाकुर ने खेल बजट का पूरी तरह खर्च नहीं होने के कुछ सदस्यों के दावों को खारिज करते हुए कहा कि यह व्यय बजट से ज्यादा हुआ है और केवल एक साल कोविड के कारण इसमें कमी आई।
खेल मंत्री ने पैरालंपिक खिलाड़ियों के साथ भेदभाव के आरोपों का भी खंडन करते हुए कहा कि इस सरकार में सभी खिलाड़ियों के साथ समान व्यवहार किया जाता है और सम्मान देने में भी उनके साथ कोई भेदभाव नहीं हुआ है।
ठाकुर ने कहा कि टॉप्स (टार्गेट ओलंपिक पोडियम योजना) के तहत सरकार देश-विदेश में खिलाड़ियों के रहने, खाने और प्रशिक्षण का खर्च उठा रही है और साथ ही उन्हें छह लाख साल सालाना जेब खर्च दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 2028 और 2032 में होने वाले पैरोलंपिक खेलों के खिलाड़ियों का चयन टॉप्स योजना के तहत पहले ही किया जाएगा।
इस सरकार में खेलों के क्षेत्र में देश के प्रदर्शन पर ठाकुर ने कहा कि चाहे पैरालंपिक हो या ओलंपिक, सभी में आज तक के सबसे अधिक पदक आये हैं। उन्होंने कहा कि टोक्यो ओलंपिक में देश को सात तो टोक्यो पैरालंपिक में 19 पदक मिले, वहीं 73 साल में पहली बार बैडमिंटन में थॉमस कप में स्वर्ण पदक भी देश को मिला।
उन्होंने सभी सांसदों से आग्रह किया कि अपने अपने क्षेत्रों में खेल प्रतिस्पर्धा या खेल महाकुंभ का आयोजन करें जिससे अधिक से अधिक ग्रामीण प्रतिभाओं को मौका मिलेगा।
ठाकुर ने बताया कि देश में खेलों के आधारभूत ढांचे के लिए जहां पहले 600 करोड़ रुपये खर्च होते थे, अब 2700 करोड़ से ज्यादा खर्च किये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश में अब तक 733 खेलो इंडिया केंद्रों के निर्माण की शुरुआत हो चुकी है और अगले साल 15 अगस्त तक पूरे एक हजार ऐसे केंद्र बनकर तैयार हो जाएंगे।
ऑल इंडिया फुटबॉल फेडेरेशन (एआईएफएफ) पर अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संघ फीफा के प्रतिबंध के बारे में सवाल पर अनुराग ठाकुर ने कहा कि हमारे प्रयासों से सात दिनों में प्रतिबंध हटा लिये गए ।
उन्होंने कहा कि फीफा द्वारा एआईएफएफ की मान्यता स्थगित करने का विषय उस प्रशासक समिति (कमिटि आफ एडमिनिस्ट्रेटर) द्वारा संघ का चुनाव कराने से जुड़ा था जिसकी नियुक्त उच्चतम न्यायालय ने की थी और हमारी सरकार ने अदालत में भी कहा था कि चुनाव होना चाहिए ।