Tuesday, 30 April 2024

Noida News : एमिटी विवि में ‘आधुनिक कैरेक्टराइजेशन तकनीक’ पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

Noida news : एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से गत 14 दिसंबर से ”आधुनिक कैरेक्टराइजेशन तकनीक’ पर डीएसटी…

Noida News : एमिटी विवि में ‘आधुनिक कैरेक्टराइजेशन तकनीक’ पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

Noida news : एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से गत 14 दिसंबर से ”आधुनिक कैरेक्टराइजेशन तकनीक’ पर डीएसटी प्रायोजित सात दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।  इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्राप्त कुल 600 आवेदकों में से 30 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण के लिए चुना गया है।

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एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ समारोह में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की शोध और विकास संरचना की प्रमुख और वैज्ञानिक डा प्रतिष्ठा पांडे ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने अनुसंधान एवं विकास अवसंरचना के विकास और प्रचार के लिए विभिन्न योजनांए प्रारंभ की है और फिस्ट, साथी और स्तुति जैसे कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू किया गया है।
एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट के सीईओ डा नितिन बत्रा ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्यौगिकी विभाग के पास देश के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए भव्य दृष्टि है और यह युवा वैज्ञानिकों को नवीनतम बुनियादी ढांचें और उपकरणों की जानकारी प्रदान करके उस दृष्टि को पूरा कर रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन (कॉलेजस) प्रो बलराम पानी ने कहा कि सहयोग अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब ज्ञान और अनुभव को अन्य शोधकर्ताओं के साथ साझा किया जाता है तो इसका गुणक प्रभाव होता है जो समाज के साथ देश पर भी बहुत अधिक प्रभाव डालता है। अनुसंधान के बिना कोई वैज्ञानिक विकास नही हो सकता इसलिए नवीनतम उपकरणों की जानकारी प्रदान करना और अनुसंधान के क्षेत्र व्यावहारिक रूप से लागू करना महत्वपूर्ण है।

एमिटी संाइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों को अत्याधुनिक उपकरणों का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त होगा जो उनके लिए अत्यधिक लाभकार सिद्ध होगा। साथी शोधकर्ताओं से जुडऩा और नेटवर्किंग प्रशिक्षण कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग इसलिए शोधकर्ताओं को एक दूसरे की मदद और समर्थन करना चाहिए।

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