Saturday, 27 April 2024

नए जोड़े क्यों चुन रहे DINK (Dual Income No Kids) Lifestyle, क्या बदल जाएगी हैप्पी फैमिली की पुरानी तस्वीर

यह शादी के लिए एक ऐसी शर्त या समझौता है जिसमें यह जोड़े बच्चे मुक्त जीवन चाहते हैं, जिसमें यह बच्चों के लालन पालन की जिम्मेदारियां से मुक्त होकर अपना समय और पैसा अपनी खुद के लग्जरी लाइफ, घूमने फिरने और जीवन के हर ऐशो आराम को भोगने में लगाना चाहते हैं

नए जोड़े क्यों चुन रहे DINK (Dual Income No Kids) Lifestyle, क्या बदल जाएगी हैप्पी फैमिली की पुरानी तस्वीर

DINK Lifestyle In India  : शादी के लिए नई जनरेशन नए-नए प्रयोग कर रही हैं। दोहरी आय से भरपूर पैसा कमाने वाली ये नई जोड़िया अब अपनी जिंदगी को कम जिम्मेदारियों के साथ भरपूर जीना चाहती है। जिसमें अब परिवार का स्वरूप भी बदल जाएगा। यही वजह है की तेजी से DINK का चलन बढ़ रहा है।

क्या है यह DINK  : DINK आजकल सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड कर रहा है। इस फ्रेज का मतलब है “Dual Income No Kids” यानी दोहरी आय, कोई संतान नहीं । आजकल कई जोड़े दोहरी आय और कोई बच्चा नहीं का विकल्प को चुन रहे हैं।

Dual Income No Kids  दोहरी आय, कोई संतान नहीं

यह शादी के लिए एक ऐसी शर्त या समझौता है जिसमें यह जोड़े बच्चे मुक्त जीवन चाहते हैं, जिसमें यह बच्चों के लालन पालन की जिम्मेदारियां से मुक्त होकर अपना समय और पैसा अपनी खुद के लग्जरी लाइफ, घूमने फिरने और जीवन के हर ऐशो आराम को भोगने में लगाना चाहते हैं। सोशल मीडिया पर अब DINK प्लेटफार्म भी उपलब्ध है जहां इस तरह की सोच रखने वाले लोग एक दूसरे को तलाश रहे हैं। कई पेशेवर लोगों का कहना है कि हम महिलाओं के अस्तित्व को मातृत्व से नहीं जोड़ते और बच्चा ही दांपत्य जीवन का सबसे बड़ा आधार है हम यह भी नहीं मानते और हमारी सोच के ऐसे कई लोग हैं जो सोशल मीडिया पर मिल रहे हैं और हम एक दूसरे को के साथ जिंदगी बिताने के लिए तैयार है, जिसमें बच्चा ना पैदा करना सहमति से लिया गया फैसला होगा । आजकल शहरी जोड़ों के बीच DINK की प्रवृत्ति बढ़ रही है और ऐसे लोग जानबूझकर बच्चे मुक्त जीवन शैली का विकल्प चुन रहे हैं । यह विकल्प उन्हें बच्चों के पालन पोषण से जुड़े खर्चों से बचा कर दोहरी आय से अपने जीवन को अपने ढंग से जीने की आज़ादी देता है।

DINK शब्द 1980 के दशक के उत्तरार्ध से अस्तित्व में है, लेकिन ये हाल ही में सोशल मीडिया में लोकप्रिय हुआ  है।

गिटनक्स मार्केट डेटा रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में DINK की आबादी प्रति वर्ष 30 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।

क्यों बनना चाहते हैं  DINKs भारत में बढ़ रहा चलन

DINK बनने के निर्णय के पीछे मुख्य कारक “मानसिक और शारीरिक श्रम है जो एक बच्चे को पालने के लिए आवश्यक होता है। कोविड के बाद उपजी स्थिती में, नौकरियों की कमी, कर्ज और महंगाई के बोझ के बीच बच्चे पैदा न करना इन जोड़ो को विवेकपूर्ण विकल्प लगता है। प्यू रिसर्च सेंटर की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 61 प्रतिशत कपल ने कहा कि वे बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं क्योंकि वे इसे वहन नहीं कर सकते। जबकि कुछ लोगों के लिए यह निर्णय स्वतंत्रता की आवश्यकता से उपजा है। इस आज़ादी का मतलब है अपनी छुट्टियों और खाली समय का आनंद लेने की पूरी आज़ादी जो बच्चों के पालन पोषण और पढ़ाई की जिम्मेदारियों के बीच मुश्किल होता है।

बच्चे का विकल्प तलाशते जोड़े 

जीवन में भावनात्मक लगाव के लिए DINKs के साथ  DINKWAD, Dual Income No Kids With a Dog (दोहरी आय, कोई बच्चा नहीं, एक कुत्ते के साथ) का भी चलन देखा जा रहा है। ये जोड़े बच्चों के प्यार की कमी को कुत्ते पाल कर पूरा कर रहे हैं । इन्हे ये अपना परिवार ही मानते हैं।

DINK जीवन का चयन DINK Lifestyle In India

DINK जीवन का चयन 

DINK प्रवृत्ति का बढ़ता चलन-  पश्चिमी देशों में यह शब्द 1980 के दशक के उत्तरार्ध में सामने आया, जो युवा शहरी पेशेवर जोड़ो की सोच को प्रतिबिम्बित करता है। जो मानते हैं कि सामाजिक बदलाव से परिवार के प्रति दृष्टिकोण भी बदला हैं। समय के साथ, सांस्कृतिक धारणाएँ विकसित हुई हैं, और बाल-मुक्त रहने का विकल्प अब अधिक व्यापक रूप से स्वीकार किया जाने लगा है, जो व्यक्तिगत संतुष्टि की बदलती धारणाओं को दर्शाता है।

लेकिन  ​​मनोविज्ञानिकों का मानना है कि डीआईएनके जीवनशैली कि बड़ी वजह समाज का व्यक्तिवादी परिवर्तन है। लोग जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे करियर, रहने की जगह और बच्चे पैदा करने सहित विवाह में व्यक्तिगत स्वतंत्रता को ही तरजीह दे रहे हैं जो पहले पारिवारिक और सामाजिक निर्णय होते थे । वे अब सामाजिक नियमों और मानदंडों का पालन नहीं करते हैं, जो पुरानी पीढ़ियाँ बिना इसके कारण और प्रासंगिकता पर सवाल उठाए किया करती थीं।

इसके अतिरिक्त, अब आधुनिक जीवन में, पेशेवर तरक्की और करियर कई व्यक्तियों के लिए प्राथमिकता रखते हैं। डिंक जोड़ों के पास अपने काम और करियर की प्रगति के लिए समर्पित होने के लिए अधिक समय और ऊर्जा होती है जब उन पर बच्चों की देखभाल के कर्तव्यों का बोझ नहीं होता है। वे अपने व्यक्तित्व का बेहतर विकास कर सकते हैं , अपने शौक और जुनून को समय दे सकते है, जो कि अन्य जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे होने पर नहीं किया जा सकता है।

DINK और निःसंतान जोड़ों में है फर्क

DINK जोड़ों के पास बच्चे पैदा न करने की स्वतंत्र इच्छा होती है, और उनकी तुलना  निःसंतान जोड़ों के साथ करना ठीक नहीं होगा । कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की समाजशास्त्री पारुल भंडारी का कहना है , “डिंक जोड़े केवल महत्वाकांक्षी जोड़े नहीं हैं जिनमें कोई भावना या प्यार नहीं है जैसा कि कई रूढ़िवादिताए हमें विश्वास दिलाती हैं।” उन्होंने कहा, “बल्कि, यह संभव है कि उनके आध्यात्मिक या मानवीय दृष्टिकोण ने उन्हें यह निर्णय लेने के लिए मजबूर किया होगा।”

जहां हमारे समाज में उपभोक्तावाद और उच्च व्यक्तित्व की भावना में वृद्धि देखी जा रही है, वहीं आध्यात्मिक में रुचि भी बढ़ रही है। “कई जोड़े किसी आध्यात्मिक या मानवीय उद्देश्य के लिए अधिक समय समर्पित करने के लिए DINK जीवन चुन सकते हैं। ऐसे लोग भी हैं जो इस पहले से ही प्रतिस्पर्धी और कठिन दुनिया में एक और जीवन नहीं लाना चाहते हैं।

ज़िम्मेदारी से बचने का बहाना तो नहीं ! DINK Lifestyle In India

DINK दंपत्तियों को अकसर स्वार्थी माना जाता है जो अपने आराम और महत्वकांक्षा के कारण बच्चा न करने के पीछे कई तरह के तर्क देते हैं । यह कलंक महिलाओं के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जो बच्चे पैदा करने और अपने करियर या व्यक्तिगत लक्ष्यों से अधिक परिवार को प्राथमिकता देने का दबाव महसूस कर सकती हैं।

दूसरी चिंता बुढ़ापे को लेकर है: जब आप बूढ़े हो जाएंगे तो आपकी देखभाल कौन करेगा? बुढ़ापे में देखभाल और सहायता के लिए बच्चों पर निर्भर न रहने पर, DINK दंपत्ति को महंगी दीर्घकालिक देखभाल सेवाओं में निवेश करने या पैसा दे कर देखभाल करने वालों पर निर्भर रहने की आवश्यकता हो सकती है।

अकेलेपन का खतरा :  DINK Lifestyle  शुरू मे जोड़ो को अच्छा लग सकता है लेकिन बाद में उनमें अलगाव और अर्थहीनता की भावना विकसित हो सकती है। जब उनके दोस्त और सहपाठी परिवार शुरू करते हैं तो DINK जोड़े अपने सामाजिक दायरे से अलगाव की भावना का अनुभव कर सकते हैं। जो उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है । यह उनके अकेलेपन और खालीपन को बढ़ा सकता है। अगर ये जोड़े किसी वजह से अलग हो जाते हैं तो ऐसे मे ये फैसला उनके भविष्य पर भारी पड़ पर सकता है जहां वे किसी सहारे और सुरक्षा का अभाव महसूस करते हैं जो पार्टनर के न रहने पर बच्चे दे सकते हैं ।DINK Lifestyle In India

इन संकेतों से पता लगाएं कि आपका पार्टनर आपके साथ खुश है या नहीं

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