Friday, 26 April 2024

Qutub Minar Case- फैसला 9 जून को, कोर्ट ने कहा 800 साल से भगवान बिना पूजा के हैं तो आगे भी….

Delhi- दिल्ली में स्थित ऐतिहासिक इमारत कुतुबमीनार (Qutub minar) मामले में आज दिल्ली के साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई है।…

Qutub Minar Case- फैसला 9 जून को, कोर्ट ने कहा 800 साल से भगवान बिना पूजा के हैं तो आगे भी….

Delhi- दिल्ली में स्थित ऐतिहासिक इमारत कुतुबमीनार (Qutub minar) मामले में आज दिल्ली के साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई है। ASI और हिंदू पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को 1 हफ्ते में लिखित जवाब देने को कहा है। अब इस मामले में कोर्ट अपना फैसला 9 जून को सुनाएगी।

क्या है कुतुब मीनार से जुड़ा हुआ मामला-

हिंदू पक्ष का कहना है कि 27 मंदिरों को ध्वस्त करके कुव्वात उल इस्लाम मस्जिद का निर्माण किया गया है। अतः हिंदुओं को वहां पर पूजा का अधिकार मिलना चाहिए। जबकि ASI का कहना है कि कुतुब मीनार (Qutub minar) एक स्मारक है अतः वहां किसी प्रकार की धार्मिक गतिविधि नहीं हो सकती।

आज साकेत कोर्ट में अपनी दलील पेश करते हुए हिंदू पक्ष के हरिशंकर जैन ने कहा कि उनके पास पुख्ता सबूत है कि 27 मंदिरों को तोड़कर यहां कुवत उल इस्लाम मस्जिद बनाई गई है इसलिए वहां उनको पूजा की इजाजत दी जाए हिंदू पक्ष की दलीलों के बीच एडीजे निखिल चोपड़ा ने कहा कि 800 सालों से अगर वहां देवता बिना पूजा के भी वास कर रहे हैं, तो उनको ऐसे ही रहने दिया जा सकता है।

गौरतलब है कि सिविल कोर्ट ने हिंदू पक्षकारों की याचिका को खारिज कर दिया है। अब 9 जून को कोर्ट के फैसले में तय किया जाएगा कि हिंदू पक्ष की याचिका को मंजूरी देते हुए मस्जिद परिषद में मौजूद हिंदू जैन देवी देवताओं की पूजा की इजाजत दी जाएगी या नहीं।

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हिंदू पक्ष का कहना है मंदिर का निर्माण नहीं बस पूजा का अधिकार चाहिए –

आज कोर्ट में हुई दलील के दौरान हिंदू पक्ष की तरफ से दलील रखी गई की मस्जिद का निर्माण देवी-देवताओं की मूर्तियों को तोड़कर किया गया है। अतः उन्हें यहां पूजा का अधिकार दिया जाए हिंदू पक्ष की तरफ से यह साफ किया गया है कि वह मंदिर का निर्माण नहीं चाहते हैं सिर्फ पूजा का अधिकार चाहते हैं। वहीं इस मामले में ASI पक्ष के वकील ने अपनी बात रखते हुए कहा कि 1914 में जब परिसर को नियंत्रण में लिया गया था, उस समय यहां पर पूजा नहीं होती थी, इसके साथ ही मस्जिद में नमाज भी नहीं पढ़ी जाती है। एक स्मारक में किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

अब कोर्ट 9 जून को इस मामले में अपना फैसला देगी।

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